सांकेतिक फोटो-सोशल मीडिया
आनंद विजय सिंह
आम तौर पर देश के अलग अलग हिस्सों में अपना रसूख दिखाने की कुछ लोगों में होड़ लगी हुई है. ख़ासकर वाहन मालिक अपने वाहनों पर प्रेस, आर्मी या पुलिस लिखी हुई स्टिकर लगाकर ट्रैफिक नियमों का सरेआम उल्लंघन करते हैं. पकड़े जाने पर कुछ चालान पुलिस काटती है. लेकिन इसके लिए कोई कठोर कार्रवाई नहीं होती है.
बिहार में ऐसे वाहनों की काफ़ी संख्या है. चाहे दो पहिया या चार पहिया वाहन हों उस पर प्रेस, आर्मी या पुलिस लिखी हुई स्टिकर लगाकर यातायात नियमों की धज्जिया उड़ाते हैं और पकडे जाने पर पुलिस पर धौंस जमाते हैं. ऐसे लोग अगर कभी पकड़ लिए जाते हैं और उनका फर्जी स्टिकर काम नहीं आ पाता है तो वो कुछ फाइन देकर बच जाते हैं. ऐसे लोग पुलिस और आम-लोगों के लिए सिरदर्द बन जाते हैं. ऐसे स्टीकर का उपयोग आसामाजिक तत्व के लोग भी धड़ल्ले से कर रहे हैं और आपराधिक वारदातों को बेखौफ अंजाम दे रहे हैं. इतना ही नहीं, कई लोग ऐसे भी हैं जो अपने वाहनों के नंबर प्लेट पर सांकेतिक भाषा में कुछ न कुछ लिखवा देते हैं.
अब ऐसे लोगों को सबक सिखाने और और उनके खिलाफ कार्रवाई करने के लिए बिहार पुलिस ने कमर कस ली है. आमतौर पर प्रेस, पुलिस और आर्मी से जुड़े लोगों के परिवार के सदस्य भी उनकी गाड़ी का उपयोग करते हैं. अब ऐसी गाड़ियों का उपयोग सिर्फ पदधारक ही करेंगे और दूसरा कोई व्यक्ति इन गाड़ियों का इस्तेमाल नहीं कर सकेगा. ऐसा पाये जाने पर गाड़ी के मालिक पर कार्रवाई की जाएगी. ऐसे लोगों को अब जेल भी हो सकती है.
बिहार के पुलिस महानिदेशक विनय कुमार ने वाहनों पर प्रेस और पुलिस का स्टीकर लगाकर हवा बनाने वालों के खिलाफ सख्त आदेश जारी किया है. डीजीपी के आदेश के बाद अब किसी भी गाड़ी पर पुलिस या प्रेस लिखे जाने पर सूक्ष्मता से जांच होगी. डीजीपी ने जो आदेश जारी किया है उसमें साफ तौर पर इस बात का जिक्र है कि ऐसा पाया जा रहा है कि कई वाहनों पर प्रेस, पुलिस, आर्मी एवं अन्य सांकेतिक शब्द, रजिस्ट्रेशन पट्टी पर अंकित कर उपयोग किया जा रहा है. वाहनों में प्रायः कोई पुलिस कर्मी अथवा प्रेस कर्मी सवार नहीं रहते हैं. वाहनों पर प्रेस या पुलिस लिखकर असामाजिक एवं अपराधिक प्रवृति के व्यक्तियों के द्वारा अपराध एवं असामाजिक कार्य के लिए उपयोग किए जाने की संभावना प्रबल रहती है. ऐसी स्थिति में असामाजिक एवं अपराधिक तत्वों की गतिविधि पर अंकुश एवं अपराध नियंत्रण हेतु यह आवश्यक है कि प्रेस या पुलिस लिखे वाहनों की सूक्ष्मता एवं संवेदनशीलता से जाँच कर यातायात नियमों सहित अन्य विधिक कार्रवाई की जाए.
राजधानी पटना के पुलिस मुख्यालय में डीजीपी ने पुलिस अधिकारियों के संग एक बैठक की जिसमें उन्होंने सख्ती के साथ सिपाही से लेकर पदाधिकारियों तक सभी को असामाजिक गतिविधियों से दूर रहते अनुशासन में रहकर अपना कर्तव्य निभाने का सख्त निर्देश दिय़ा है. उन्होंने कहा कि हाल के दिनों में ऐसे मामले आए हैं, जिसमें ऐसा लग रहा है कि पुलिस ही अपराधी की भूमिका में है. ऐसा नहीं होना चाहिए. पुलिसकर्मी पूरी प्रतिबद्धता से अपना दायित्व निभाएं. साथ ही डीजीपी ने कहा कि कानून का शासन स्थापित करने की जिम्मेदारी पुलिस की ही है. यह जरूरी है कि जनता, सरकार और विभाग की जो अपेक्षाएं हैं, पुलिसकर्मी उसपर खरा उतरे.
डीजीपी ने कहा कि ये जनता के सहयोग के बिना संभव नहीं है इसलिए बेहतर पुलिसिंग के लिए हर स्तर पर जनता का सहयोग जरूरी है. पुलिस की अवधारणा में जनता को सर्वोपरि माना गया है. गवाह से लेकर बयान तक हर चरण पर पुलिस को जनता की जरूरत पड़ती है. विधि-व्यवस्था के सवाल पर डीजीपी ने कहा कि पुलिस हर मामले में त्वरित कार्रवाई कर रही है. अपराधियों से पूरी सख्ती से निबटा जा रहा है. इस आदेश की प्रति सभी अपर पुलिस महानिदेशक, आइजी मुख्यालय, सभी क्षेत्रीय आइजी-डीआइजी और एसएसपी-एसपी को भेजी गई है. अब देखना है कि डीजीपी के इस निर्देश को बिहार पुलिस के सिपाही औऱ पदाधिकारी कितनी कड़ाई से लागू कर पाते हैं और ऐसे असामाजिक तत्वों में इसका कितना खौफ पैदा कर पाते हैं.
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