दिव्यांगजनों की सेवा और स्वाभिमान का अमृत दशक
आज का दिन अंतरराष्ट्रीय दिव्यांग दिवस के रूप में मनाया जा रहा है। इस साल भारत के संविधान के 75 वर्ष भी पूर्ण हुए हैं। हमारा संविधान हमें समानता और अंत्योदय के लिए काम करने की प्रेरणा देता है।बीते 10 वर्षों में हमने दिव्यांगजनों की उन्नति की मजबूत नींव रखी है।
शारदा सिन्हा के छठ गीत सदैव सदियों तक गूंजते ही रहेंगे
शारदा सिन्हा के गाने सिर्फ़ मनोरंजन ही नहीं, बल्कि सामाजिक संदेश भी देते हैं. वो महिलाओं की ताकत और स्वतंत्रता के लिए आवाज़ उठाती हैं, और सामाजिक बुराइयों के खिलाफ भी मुखर हैं.
Microsoft Outage: माइक्रोसॉफ्ट के सर्वर में क्यों आई समस्या और क्या है इसका समाधान
बीते 19 जुलाई माइक्रोसॉफ्ट आउटेज के कारण भारत सहित कई प्रमुख देशों के एयरलाइंस, मीडिया, अस्पताल, सार्वजनिक सेवाएं कुछ घंटों के लिए लगभग ठप पड़ गई थीं.
ढलान पर औपचारिक शिक्षा
शैक्षिक सुधार की किसी भी योजना में इस तरह की संस्तुति कदापि नहीं होती कि जिस शिक्षक को आप प्रयोग और नवाचार की जिम्मेदारी देने जा रहे हैं, उनकी नीयत पर शक करें.
विकास की योजनाओं का हो ‘सोशल ऑडिट’
‘सोशल ऑडिट’ करना लोकतंत्र के लिए बहुत ही फायदेमंद है. जो भी प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री ईमानदार होगा, पारदर्शिता में जिसका विश्वास होगा और जो वास्तव में अपने लोगों की भलाई और तरक्की देखना चाहेगा, वो सरकारी तंत्र के दायरे के बाहर इसे अपनी प्राथमिकता में रखेगा.
अष्ट बलिदानी:- भावी पीढ़ियों के लिए बुनियादी दस्तावेज
आज जब देश अपने अमृत काल में प्रवेश कर चुका है तब "अष्ट बलिदानी" खण्डकाव्य के रचयिता संजीव कुमार त्यागी ने इस घटना को विश्व पटल पर सकारात्मकता के साथ रेखांकित एवं पुनर्स्थापित किया है।
NEET Result: क्या नेशनल टेस्टिंग एजेंसी से चूक हुई है? अगर ऐसा हुआ तो यह बहुत ही चिंताजनक
कोर्ट ने परीक्षा की शुचिता बनाए रखने की हिदायत देते हुए अपना पक्ष रखने की बात कहते हुए आठ जुलाई की तारीख दी है. लोग सवाल उठा रहे हैं तो यह चिंता की बात तो है ही.
World Ocean Day: बढ़ते तापमान का महासागरों पर प्रभाव चिंताजनक
महासागर खतरे में हैं, इसके पीछे ग्लोबल वार्मिंग तो एक कारण ही है, जबकि अत्यधिक मछलियों का दोहन, समुद्र में खनन, तटों पर अंधाधुंध विकास, प्रदूषण और प्लास्टिक अपशिष्ट जैसी समस्याएं महासागरों के परिस्थिति तंत्र को बिगाड़ रही हैं.
अलेक्जेंडर पुश्किन: रूसी साहित्य का दिनकर
रूसी साहित्यकार अलेक्जेंडर पुश्किन का जन्मदिवस रूसी भाषा दिवस के रूप में भी मनाया जाता है. अभिजात वर्ग में जन्मे विद्रोही प्रवृति के पुश्किन को निरंकुश जारशाही के विरुद्ध आवाज उठाने के लिए निर्वासित भी किया गया, पर निर्वासन में ही उन्होंने सबसे प्रभावशाली रचनाओं का सृजन किया.
Bihar को अलग राज्य के रूप में पहचान दिलाने वाला सपूत
उस जमाने में बिहार, बंगाल का हिस्सा हुआ करता था. इसके बावजूद सांस्कृतिक रूप से पृथक होने के कारण डॉ. सच्चिदानंद सिन्हा अपना परिचय हमेशा एक बिहारी के रूप में ही देते थे. बिहार को बंगाल से अलग करने की मुहिम को तेज करने के लिए उन्होंने एक अंग्रेजी अखबार भी निकाला था.