दे दी जान हमने मुल्क की हिफ़ाज़त में… लाल सलाम के नाम पर आतंक का खेल आखिर कब तक?
ज़रूरत है समाज में बैठे उन चेहरों को पहचाने की. ज़रूरत है उनके मंसूबों को मटियामेट करने में सरकार के साथ खड़े होने की. अगर ऐसा नहीं होता है तो नक्सलवाद के नाम पर आज जवानों को निशाना बनाया गया है कल समाज के बेकसूर भी उनके निशाने पर आ सकते हैं.
पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने तीन बार किया पाकिस्तान का दौरा, लेकिन कभी नहीं लौटे अपने गांव ‘गाह’
डॉ. मनमोहन सिंह का जन्म 26 सितंबर 1932 को पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के गाह गांव में हुआ था. बचपन का यह गांव उनके दिल के बेहद करीब था.
डॉ. मनमोहन सिंह: एक अराजनैतिक अर्थशास्त्री, जो बना देश के आर्थिक पुनर्जागरण का पुरोधा
आज पूर्व पीएम डॉ. मनमोहन सिंह जब सदा के लिए मौन हो गए हैं, उनका वो कथन मुझे याद आता है जब उन्होंने कहा था कि "मुझे उम्मीद है कि मीडिया की तुलना में इतिहास मेरे प्रति ज्यादा दयालु होगा."
चुनावी वादों के बीच फंसा वोटर
चुनाव चाहे किसी राज्य की सरकार का हो या केंद्र की सरकार का, हर राजनैतिक दल मतदाताओं को लुभाने की मंशा से ऐसे कई वादे करते हैं जो वास्तव में सच नहीं किए जाते. यदि जनता को चुनावों में किए गए वादों और उन्हें पूरा किए जाने के अंतर की देखा जाए तो यह अंतर काफी बड़ी संख्या में पाया जाएगा.
दिव्यांगजनों की सेवा और स्वाभिमान का अमृत दशक
आज का दिन अंतरराष्ट्रीय दिव्यांग दिवस के रूप में मनाया जा रहा है। इस साल भारत के संविधान के 75 वर्ष भी पूर्ण हुए हैं। हमारा संविधान हमें समानता और अंत्योदय के लिए काम करने की प्रेरणा देता है।बीते 10 वर्षों में हमने दिव्यांगजनों की उन्नति की मजबूत नींव रखी है।
शारदा सिन्हा के छठ गीत सदैव सदियों तक गूंजते ही रहेंगे
शारदा सिन्हा के गाने सिर्फ़ मनोरंजन ही नहीं, बल्कि सामाजिक संदेश भी देते हैं. वो महिलाओं की ताकत और स्वतंत्रता के लिए आवाज़ उठाती हैं, और सामाजिक बुराइयों के खिलाफ भी मुखर हैं.
Microsoft Outage: माइक्रोसॉफ्ट के सर्वर में क्यों आई समस्या और क्या है इसका समाधान
बीते 19 जुलाई माइक्रोसॉफ्ट आउटेज के कारण भारत सहित कई प्रमुख देशों के एयरलाइंस, मीडिया, अस्पताल, सार्वजनिक सेवाएं कुछ घंटों के लिए लगभग ठप पड़ गई थीं.
ढलान पर औपचारिक शिक्षा
शैक्षिक सुधार की किसी भी योजना में इस तरह की संस्तुति कदापि नहीं होती कि जिस शिक्षक को आप प्रयोग और नवाचार की जिम्मेदारी देने जा रहे हैं, उनकी नीयत पर शक करें.
विकास की योजनाओं का हो ‘सोशल ऑडिट’
‘सोशल ऑडिट’ करना लोकतंत्र के लिए बहुत ही फायदेमंद है. जो भी प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री ईमानदार होगा, पारदर्शिता में जिसका विश्वास होगा और जो वास्तव में अपने लोगों की भलाई और तरक्की देखना चाहेगा, वो सरकारी तंत्र के दायरे के बाहर इसे अपनी प्राथमिकता में रखेगा.
अष्ट बलिदानी:- भावी पीढ़ियों के लिए बुनियादी दस्तावेज
आज जब देश अपने अमृत काल में प्रवेश कर चुका है तब "अष्ट बलिदानी" खण्डकाव्य के रचयिता संजीव कुमार त्यागी ने इस घटना को विश्व पटल पर सकारात्मकता के साथ रेखांकित एवं पुनर्स्थापित किया है।