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दुनिया में भारतीय कॉफी के प्रति बढ़ी लोकप्रियता, पहली बार निर्यात 1 अरब डॉलर के पार

भारत, जिसे पारंपरिक रूप से चाय के प्रमुख निर्यातक के रूप में जाना जाता है, अब कॉफी निर्यात के क्षेत्र में भी तेजी से आगे बढ़ रहा है. वित्त वर्ष 2023-24 में अप्रैल से नवंबर के बीच भारत का कॉफी निर्यात रिकॉर्ड $1.15 अरब पर पहुंच गया. यह पिछले वर्ष के $80.38 करोड़ की तुलना में 29% की वृद्धि है. यह आंकड़ा वित्त वर्ष 2020-21 में दर्ज $4.60 करोड़ से लगभग दोगुना है.

रोबस्टा कॉफी की बढ़ती कीमतों का असर

भारत के कॉफी निर्यात में तेजी का एक बड़ा कारण रोबस्टा कॉफी की बढ़ती कीमतें हैं जो वैश्विक कॉफी उत्पादन का 40% से अधिक हिस्सा बनाती है. जून 2024 में रोबस्टा की कीमत $4,667 प्रति मीट्रिक टन तक पहुंच गई. यह पिछले साल के मुकाबले 63% ज्यादा है.

सरकार के अधिकारियों का कहना है कि भारत की कॉफी ने “प्रीमियम सेगमेंट” में अपनी जगह बना ली है. इसके विपरीत, भारत की चाय निर्यात में इतना अच्छा प्रदर्शन नहीं कर सकी. श्रीलंका जैसे बड़े चाय निर्यातक देश में आर्थिक संकट के बावजूद भारत की चाय निर्यात में खास बदलाव नहीं देखा गया.

अन्य देशों की समस्याओं से भारत को लाभ

कॉफी उत्पादन के क्षेत्र में अन्य बड़े देशों की समस्याओं ने भी भारत के निर्यात को बढ़ावा दिया है. अमेरिकी कृषि विभाग (USDA) की एक रिपोर्ट के अनुसार दुनिया के सबसे बड़े कॉफी उत्पादक देश ब्राज़ील को सूखा और अत्यधिक गर्मी के कारण उत्पादन में गिरावट का सामना करना पड़ा. इस साल ब्राज़ील का कॉफी निर्यात 2.6 मिलियन बैग घटकर 40.5 मिलियन बैग रहने की उम्मीद है.

दूसरा सबसे बड़ा कॉफी उत्पादक वियतनाम भी इस साल कम उत्पादन का सामना कर रहा है. हालांकि वियतनाम का उत्पादन 2.6 मिलियन बैग बढ़कर 30.1 मिलियन होने का अनुमान है, फिर भी यह 2021-22 के रिकॉर्ड उत्पादन से कम रहेगा.

भारत में कॉफी उत्पादन का बड़ा हिस्सा कर्नाटक से आता है. कॉफी बोर्ड के आंकड़ों के अनुसार, 2022-23 में कर्नाटक के चिकमगलूर, कोडागु और हसन जिलों ने 2,48,020 मीट्रिक टन अरबीका और रोबस्टा कॉफी का उत्पादन किया. इसके बाद केरल (72,425 मीट्रिक टन) और तमिलनाडु (18,700 मीट्रिक टन) का स्थान है.

यूरोपीय संघ की नई नीति से भारत को खतरा

यूरोपीय संघ की नई डिफॉरेस्टेशन रेगुलेशन (EUDR) नीति भारत के कॉफी निर्यात पर असर डाल सकती है. यह नीति उत्पादों को अवैध वनों की कटाई वाले क्षेत्रों से आने से रोकने के लिए बनाई गई है. यह नियम दिसंबर में लागू होने वाला था, लेकिन इसे एक साल के लिए बढ़ा दिया गया है. हालांकि, यूरोपीय खरीदार पहले ही कॉफी स्टॉक कर रहे हैं. विशेषज्ञों का मानना है कि इस नीति के कारण भारत जैसे देशों से व्यापार पैटर्न में बदलाव आ सकता है.

ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI) ने चेतावनी दी है कि यह नीति भारत के कृषि निर्यात पर असर डाल सकती है. भारत के कृषि उत्पादों का सालाना निर्यात 130 करोड़ का है. इसमें कॉफी, चमड़ा, तेल खली, कागज और लकड़ी के फर्नीचर जैसे उत्पाद शामिल हैं, जो इस नीति से सबसे ज्यादा प्रभावित हो सकते हैं.

-भारत एक्सप्रेस

Prashant Rai

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