Nirupa Roy Birth Anniversary: 90 के दशक में फिल्मी कलाकार अपने करियर में ढेरों फिल्में करते हैं अलग-अलग तरह के कई किरदार निभाते हैं लेकिन कोई न कोई एक ऐसा किरदार जरूर करता है जिसके लिए उस कलाकार को ताउम्र याद किया जाता है. इन्ही में से एक बॉलीवुड फिल्मों की सबसे फेमस मां और खासकर अमिताभ बच्चन की ऑनस्क्रीन मां निरूपा रॉय को कौन नहीं जानता.
उन्होंने अपने करियर में 250 से ज्यादा फिल्मों में काम किया था. वहीं ज्यादातर में वो मां के रोल में नजर आई थीं. आज वह भले ही हमारे बीच मौजूद नहीं हैं, लेकिन उनकी सदाबहार फिल्मों को लोग आज भी बड़े चाव से देखते हैं. तो चलिए आज निरूपा रॉय के बर्थ एनिवर्सरी के खास मौके पर जानते हैं उनके जीवन से जुड़े कुछ दिलचस्प किस्से.
निरुपा रॉय का जन्म गुजरात के वलसाड में हुआ था. उन्हें फिल्मों में काम करने के तो क्या फिल्म देखने के भी खिलाफ थे. उनके घर में फिल्म देखने की इजाजत नहीं होती थी. उनके पिता का ऐसा मानना था कि फिल्में देखने से बुरा असर पड़ता है. हालांकि जब निरुपा रॉय की शादी हुई तो फिर उसके बाद उन्होंने फिल्मों में एंट्री कर ली जिससे उनका पिता काफी नाराज हो गए थे.
निरूपा रॉय ने अपने पिता के कहने पर 14 साल की उम्र में ही कर ली थी. वहीं शादी के बाद निरूपा अपने पति कमल रॉय का सपना पूरा करने के लिए उनके साथ मुंबई आ गईं. कमल रॉय एक्टर बनना चाहते थे. वह रोज फिल्मों में ऑडिशन देने के लिए जाया करते थे. वहीं एक दिन वह निरूपा को भी अपने साथ ले गए और वह सेलेक्ट हो गईं. इसके बाद फिर निरूपा ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और इस तरह वो फिल्मी दुनिया में आ गई.
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निरूपा रॉय ने खुलासा किया कि वह फिल्म में काम करने के लिए तो तैयार हो गईं, लेकिन इसका अंजाम उनके लिए अच्छा नहीं रहा. फिल्मों में करियर बनाने की वजह से उनके माता-पिता ने जो कष्ट झेले, उसका असर निरूपा रॉय पर भी पड़ा. उनके पिता ने गुस्से में आकर 20 साल तक उनका चेहरा नहीं देखा. फिल्म ‘दीवार’ की इस मशहूर अभिनेत्री ने अपने अनुभव साझा करते हुए बताया था, ” उन्होंने कहा कि मैं कभी भी उनके घर नहीं आऊंगी. वे मुझे फिर कभी नहीं देखना चाहते. वे वाकई बहुत जिद्दी थे और अपनी बात पर अड़े रहे. हम 20 सालों तक नहीं मिले, जब तक कि उनकी मृत्यु नहीं हो गई.”
946 में रिलीज़ हुई फिल्म अमर राज से निरूपा रॉय ने अपने अभिनय करियर की शुरुआत की. इसके बाद उन्होंने कई अन्य फिल्मों में काम किया. 1953 में आई फिल्म मुनीमजी में उन्होंने पहली बार मां का किरदार निभाया. इस फिल्म में उन्होंने खुद से बड़े देवानंद की मां का रोल प्ले किया था. इसके बाद उन्हें लगातार मां के किरदार ऑफर होने लगे.
1975 में यश चोपड़ा की फिल्म दीवार उनके करियर के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुई. इस फिल्म के बाद उन्होंने खून पसीना, इंकलाब, अमर अकबर एंथनी, सुहाग, गिरफ्तार, मुकद्दर का सिकंदर, मर्द, गंगा-यमुना-सरस्वती, तीसरी आंख, बेताब, और लाल बादशाह जैसी कई फिल्मों में मां की भूमिका निभाई.
-भारत एक्सप्रेस
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