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इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग में आत्मनिर्भरता की ओर भारत, घटक निर्माण पर सरकार का नया फोकस

भारत सरकार ने वैश्विक स्मार्टफोन कंपनियों जैसे Apple और Samsung को स्थानीय उत्पादन के लिए आकर्षित करने में सफलता पाने के बाद अब इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र में गहराई से वैल्यू एडिशन (स्थानीय मूल्यवृद्धि) पर ध्यान केंद्रित किया है. सरकार का लक्ष्य अब केवल असेंबली तक सीमित न रहकर कंपोनेंट स्तर पर आत्मनिर्भरता हासिल करना है.

घटक निर्माण के लिए नई योजनाएं शुरू

सरकार ने हाल ही में इलेक्ट्रॉनिक्स घटकों के निर्माण को बढ़ावा देने के लिए ₹22,919 करोड़ की प्रोत्साहन योजना अधिसूचित की है. यह योजना स्मार्टफोन और लैपटॉप असेंबली के लिए पहले से मौजूद PLI योजनाओं का विस्तार मानी जा रही है. इस नई योजना के अंतर्गत डिस्प्ले मॉड्यूल, कैमरा सब-असेंबली मॉड्यूल, प्रिंटेड सर्किट बोर्ड असेंबली, लिथियम सेल एनक्लोज़र, रेसिस्टर्स, कैपेसिटर्स और फेराइट्स जैसे घटकों का स्थानीय उत्पादन प्रोत्साहित किया जाएगा.

घरेलू उत्पादन और रोजगार पर असर

यह योजना छह वर्षों में ₹4.56 लाख करोड़ के उत्पादन को बढ़ावा देने और ₹59,350 करोड़ का अतिरिक्त निवेश लाने की क्षमता रखती है. इसके तहत लगभग 91,600 लोगों को प्रत्यक्ष रोजगार मिलने की उम्मीद है. खास बात यह है कि कंपनियों को मिलने वाली सब्सिडी उनके द्वारा सृजित रोजगार से सीधे जुड़ी होगी.

चीन पर निर्भरता घटाने का प्रयास

हाल के वर्षों में, भारत में स्मार्टफोन और लैपटॉप की असेंबली में तेज़ी आई है, लेकिन इनके आंतरिक घटकों के लिए अभी भी चीन पर भारी निर्भरता बनी हुई है. 2024-25 में भारत का चीन के साथ व्यापार घाटा लगभग $100 अरब तक पहुंच गया, जो चिंता का विषय है. सरकार चाहती है कि इस नए योजना के जरिए यह अंतर कम किया जाए और भारत निर्यात-उन्मुख निर्माण में आगे बढ़े.

  • PLI योजनाओं का प्रदर्शन
  • PLI (उत्पादन आधारित प्रोत्साहन) योजना स्मार्टफोन क्षेत्र में विशेष रूप से सफल रही है. फरवरी 2025 तक, इस योजना के तहत:
  • ₹10,905 करोड़ का निवेश हुआ
  • ₹7,15,823 करोड़ का कुल उत्पादन
  • ₹3,90,387 करोड़ का निर्यात
  • 1,39,670 लोगों को मिला प्रत्यक्ष रोजगार
  • इसके अतिरिक्त, कंप्यूटर और लैपटॉप के लिए PLI योजना में:
  • ₹10,365 करोड़ का उत्पादन
  • ₹522 करोड़ का निवेश
  • 5,132 लोगों को मिला रोजगार

केंद्रीय आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा, “अब हमें इम्पोर्ट सब्स्टीट्यूशन के माइंडसेट से आगे बढ़कर एक्सपोर्ट-उन्मुख दृष्टिकोण अपनाना होगा. हमारे देश में इलेक्ट्रॉनिक्स निर्माण वर्तमान में $120 बिलियन है और सरकार का लक्ष्य इसे बढ़ाकर $500 बिलियन करना है.”

भारत अब केवल असेंबली नहीं बल्कि सम्पूर्ण इलेक्ट्रॉनिक्स वैल्यू चेन में खुद को स्थापित करने की ओर अग्रसर है. सरकार की यह रणनीति न केवल भारत को वैश्विक विनिर्माण केंद्र बनाएगी, बल्कि देश में गुणवत्ता पूर्ण रोजगार भी सृजित करेगी.

ये भी पढ़ें: मार्च 2025 में ऑयल मिल निर्यात में भारत, पूरे सालाना आंकड़ों में गिरावट दर्ज

-भारत एक्सप्रेस

Aarika Singh

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