मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने EVM (Electronic Voting Machine) पर उठने वाले सवालों का विस्तार से जवाब देते हुए इसकी पारदर्शिता और सुरक्षा को लेकर कई महत्वपूर्ण बातें साझा कीं. उन्होंने बताया कि ईवीएम में उम्मीदवारों के चुनाव चिह्न मतदान से 7-8 दिन पहले डाले जाते हैं और इस प्रक्रिया में राजनीतिक दलों के एजेंट भी मौजूद रहते हैं. एजेंटों को मॉक पोल करने की अनुमति दी जाती है, जिसके बाद उनकी उपस्थिति में ईवीएम को सील कर स्ट्रॉन्ग रूम में रखा जाता है.
चुनाव वाले दिन स्ट्रॉन्ग रूम से ईवीएम निकालकर एजेंटों की मौजूदगी में फिर से मॉक पोल कराया जाता है. वोटिंग समाप्त होने के बाद फॉर्म 17सी दिया जाता है, जिसकी काउंटिंग से पहले मिलान कराया जाता है. यदि इस मिलान में कोई गड़बड़ी पाई जाती है, तो मतगणना आगे नहीं बढ़ती. काउंटिंग से पहले कुछ रैंडम VVPAT पर्चियों का मिलान भी किया जाता है ताकि प्रक्रिया की पारदर्शिता सुनिश्चित की जा सके.
ईवीएम को लेकर अदालतों में पहुंची शिकायतों पर टिप्पणी करते हुए चुनाव आयुक्त ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट ने ईवीएम की सुरक्षा को लेकर सभी शंकाओं का समाधान कर दिया है. कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि ईवीएम हैक नहीं की जा सकती और इसमें वायरस या बग जैसी कोई समस्या नहीं है. इसके अलावा, ईवीएम में अवैध वोट डालने की कोई संभावना नहीं है. अदालत ने यह भी स्पष्ट किया है कि ईवीएम के साथ किसी भी प्रकार की छेड़छाड़ नहीं हो सकती.
चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने बताया कि ईवीएम पूरी तरह से फुल प्रूफ है और VVPAT सिस्टम के साथ इसकी पारदर्शिता और भी बढ़ गई है. उन्होंने कहा कि पेपर बैलेट की ओर लौटने की मांग अनुचित है, क्योंकि यह चुनाव प्रक्रिया को कमजोर करने जैसा होगा. बिना किसी ठोस सबूत के ईवीएम पर सवाल उठाना गलत है. उन्होंने कहा कि ईवीएम के माध्यम से भारत में निष्पक्ष और पारदर्शी चुनाव कराना गर्व की बात है.
वोटर टर्नआउट में अंतर को लेकर उठे सवालों पर उन्होंने कहा कि वोटिंग समाप्त होने के तुरंत बाद पोलिंग स्टेशन को बंद करना, ईवीएम को लॉक करना और अन्य प्रशासनिक कार्यों में समय लगता है. इसलिए शाम 6 बजे का वोटर टर्नआउट फाइनल नहीं होता और रात 11 बजे तक डेटा अपडेट होता रहता है. कुछ पोलिंग पार्टियां देर रात तक पहुंचती हैं, जिसके कारण अगले दिन सुबह फाइनल वोटर टर्नआउट जारी किया जाता है.
बार-बार VVPAT की गिनती की मांग पर उन्होंने बताया कि 2019 में कोर्ट के आदेश के बाद हर विधानसभा क्षेत्र से 5-5 VVPAT पर्चियों की गिनती शुरू की गई. अब तक 67 हजार से अधिक वीवीपैट मशीनों की करीब 4.5 करोड़ पर्चियां गिनी जा चुकी हैं, लेकिन एक भी वोट का अंतर नहीं पाया गया है. उन्होंने कहा कि ईवीएम और वीवीपैट से जुड़े सभी सवालों के उत्तर चुनाव आयोग की आधिकारिक वेबसाइट पर उपलब्ध FAQs में देखे जा सकते हैं.
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-भारत एक्सप्रेस
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