Lok Sabha Election 7th Phase Voting: लोकसभा चुनाव के अंतिम चरण के लिए सुबह 7 बजे से मतदान जारी है. आज केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ और सात राज्यों की 57 सीटों के लिए मतदाता हो रहा है, इसी बीच कुछ जगहों से मतदान बहिष्कार की भी खबरें सामने आ रही हैं. बिहार के एक गांव में सामूहिक रूप से लोगों ने मतदान का बहिष्कार कर दिया. सुबह से लेकर 12 बजे तक अधिकारी वोटर्स का इंतजार करते रहे. इस दौरान एक भी वोटर मतदान केंद्र न पहुंचने पर जिला प्रशासन में हड़कंप मच गया.
खबर बिहार के आरा लोकसभा संसदीय क्षेत्र से सामने आई है. यहां पर शाहपुर प्रखंड के धमवल गांव के 153 बूथ पर जब सुबह 7 बजे से लेकर दोपहर 12 बजे तक कोई वोट डालने के लिए नहीं पहुंचा तो जिला प्रशासन में हड़कंप मच गया. इस पर जब पता लगाया गया तो मालूम चला कि गांव वालों ने मतदान को लेकर बहिष्कार कर दिया है. इस बूथ पर 2,500 से तीन हजार के बीच मतदाता हैं. सभी ने आरोप लगाया है कि देश की आजादी के बाद से ही यहां पर सड़क नहीं बनी है. इस वजह से गांव वालों को तमाम समस्या का सामना करना पड़ रहा है.
बता दें कि इस बूथ पर हिंदू समुदाय से आने वाली लगभग सभी जातियों के वोट हैं लेकिन सुबह से ही यहां का नजारा चिंताजनक दिखाई दिया. क्योंकि न तो यहां पर कोई वोट डालने पहुंचा और न ही किसी भी दल का कोई पोलिंग एजेंट बना है.
गांव वालों ने कहा कि सड़क का निर्माण न होने के कारण बच्चों की पढ़ाई-लिखाई नहीं हो पा रही है. गर्भवती महिलाओं को भी तमाम समस्या का सामना करना पड़ता है. ये गांव आधुनिक सुविधाओं से कोसों दूर है. गांव वालों ने कहा कि इस सड़क निर्माण को लेकर कई बार जिला प्रशासन, सांसद और विधायक के अलावा स्थानीय जन प्रतिनिधियों से अपील कर चुके हैं लेकिन किसी ने भी इस ओर ध्यान नहीं दिया. गांव वालों ने कहा कि उन्होंने जिला प्रशासन के साथ ही आरा के वर्तमान सांसद आरके सिंह के खिलाफ भी विरोध दर्ज कराया है.
वोट बहिष्कार को लेकर भोजपुर जिला अधिकारी महेंद्र कुमार ने बताया कि कई जगहों पर वोट बहिष्कार की बात आई थी लेकिन स्थानीय अधिकारी वोटर्स को समझाने का प्रयास कर रहे हैं.
गोरखपुर लोकसभा क्षेत्र की कैंपियरगंज तहसील अंतर्गत थवईपार और रगरगंज गांव में भी मतदाताओं द्वारा वोट बहिष्कार की खबर सामने आ रही है. बूथ संख्या 274 पर सुबह से ही प्रशासन और नेताओं का प्रति लोगों ने विरोध जताना शुरू कर दिया था. इसके तुरंत बाद ही गांव वालों ने ऐलान किया कि वो वोट नहीं डालेंगे. ग्रामीणों ने कहा जिलाधिकारी जब चकबंदी का आश्वासन देंगे तभी सभी लोग मतदान करेंगे. गांव वालों ने कहा कि चकबंदी के लिए 1959 में अधिसूचना जारी हुआ, जो 1961 में संपन्न हुआ तथा 1962 में धारा 45 पूर्ण हुआ लेकिन बावजूद इसके आज तक चकबंदी प्रक्रिया पूरी नहीं की गई. गांव वालों ने कहा कि चकबंदी के कारण ही यहां पर न तो नालियां बन पाई हैं और न ही सड़कें हैं. गांव में रहना दूभर हो गया है.
-भारत एक्सप्रेस
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