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पुरानी पेंशन योजना से फिर वंचित रहे सीएपीएफ के 11 लाख जवान, सरकार ने ‘संघ के सशस्त्र बल’ मानने से किया इनकार

नई दिल्ली: केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (सीएपीएफ) के 11 लाख जवान और अधिकारी इस साल भी पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) से वंचित रह गए. दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश के बावजूद, केंद्र सरकार ने ओपीएस को इन बलों पर लागू करने से इनकार कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने भी इस मामले में केंद्र सरकार को अंतरिम राहत देते हुए दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी है.

हाईकोर्ट का ऐतिहासिक फैसला

पिछले साल, 11 जनवरी 2023 को दिल्ली उच्च न्यायालय ने अपने फैसले में सीएपीएफ को ‘संघ के सशस्त्र बल’ मानते हुए कहा था कि इन बलों पर भी ओपीएस लागू किया जाना चाहिए. हाईकोर्ट ने यह भी कहा था कि चाहे कोई आज भर्ती हो, पहले कभी भर्ती हुआ हो, या भविष्य में भर्ती होगा, सभी जवान और अधिकारी ओपीएस के दायरे में आएंगे.

सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से लिया स्टे

दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले के बाद, केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में केंद्र सरकार के पक्ष में अंतरिम रोक लगाई. सुप्रीम कोर्ट ने अगस्त 2024 में हुई सुनवाई के दौरान यह भी कहा कि यह मामला तुरंत सुनवाई के योग्य नहीं है और इसे आगे के लिए स्थगित कर दिया.

सरकार का रुख और विरोध

केंद्र सरकार का मानना है कि सीएपीएफ सशस्त्र बल नहीं, बल्कि सिविलियन फोर्स हैं. जबकि सीएपीएफ कर्मियों और सेवानिवृत्त अधिकारियों का कहना है कि इन बलों पर वही कानून और नियम लागू होते हैं, जो सेना पर लागू होते हैं.

सीएपीएफ कर्मियों का तर्क:

– इन बलों को सेना की तरह शपथ दिलाई जाती है.
– जल, थल और वायु में काम करने का वचन लिया जाता है.
– कोर्ट मार्शल का प्रावधान भी है.
– इन्हें सेना की तर्ज पर भत्ते और सुविधाएं दी जाती हैं.

एनपीएस का मुद्दा

सरकार ने 1 जनवरी 2004 के बाद भर्ती हुए सभी कर्मचारियों पर राष्ट्रीय पेंशन योजना (एनपीएस) लागू की थी. इसी आधार पर सीएपीएफ कर्मियों को भी एनपीएस के तहत रखा गया. लेकिन सीएपीएफ कर्मियों का कहना है कि अगर उन्हें ‘सशस्त्र बल’ माना जाता है, तो उन पर एनपीएस लागू नहीं होना चाहिए.

क्या कहता है कानून?

– बीएसएफ अधिनियम 1968:
इसमें स्पष्ट है कि बीएसएफ का गठन ‘संघ के सशस्त्र बल’ के रूप में हुआ है.
– गृह मंत्रालय ने 6 अगस्त 2004 को अपने पत्र में केंद्रीय बलों को ‘संघ के सशस्त्र बल’ माना.
– कोर्ट ने भी अपने फैसले में यह माना है कि सीएपीएफ ‘भारत संघ के सशस्त्र बल’ हैं.

जवानों की उम्मीदों पर फिर पानी

सीएपीएफ जवानों ने इस साल सुप्रीम कोर्ट से बड़ी उम्मीदें लगाई थीं कि उन्हें ओपीएस का लाभ मिलेगा. लेकिन सुप्रीम कोर्ट द्वारा मामले की सुनवाई स्थगित करने और सरकार के दोहरे मापदंड ने उनकी उम्मीदों को झटका दिया.

भविष्य की राह*

सुप्रीम कोर्ट में यह मामला लंबित है. लेकिन सरकार और न्यायालय की मौजूदा स्थिति को देखते हुए, सीएपीएफ कर्मियों को ओपीएस का लाभ मिलने में अभी और समय लग सकता है. पुरानी पेंशन बहाली का यह मुद्दा न केवल सरकारी नीतियों पर सवाल उठाता है, बल्कि उन 11 लाख जवानों और अधिकारियों की उम्मीदों को भी झकझोरता है, जो देश की सुरक्षा में दिन-रात तत्पर रहते हैं.

-भारत एक्सप्रेस 

मिताली चंदोला, एडिटर, क्राइम एंड इंवेस्टिगेशन

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