विदेश मंत्रालय ने शुक्रवार (3 जनवरी) को पाकिस्तान के विदेश मंत्री इशाक डार की उस टिप्पणी पर पलटवार किया जिसमें उन्होंने भारत के साथ बेहतर रिश्तों की उम्मीद जताई थी. साथ ही मंत्रालय ने चीन को भी खरी खरी सुनाई है.
पाकिस्तानी उप प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री इशाक डार ने गुरुवार को नई दिल्ली के साथ बेहतर रिश्ते बनाने की इच्छा जाहिर की थी.
एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में भारत के साथ व्यापारिक संबंधों पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि रिश्तों को बेहतर बनाने के लिए ‘दो लोगों की जरूरत होती है. उन्होंने भारत से संबंधों को बेहतर बनाने के लिए माहौल बनाने की अपील की.
पाकिस्तानी मंत्री ने अपने बयान में अंग्रेजी की कहावत – ‘इट टेक्स टू टू टैंगो’ का इस्तेमाल किया था जिसका मतलब होता है कि एक हाथ से ताली नहीं बजती’.
डार के इसी बयान पर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने तंज कसते हुए कहा, “इसमें प्रासंगिक शब्द ‘टी’ है जिसका मतलब होता है ‘आतंकवाद’ न कि ‘टैंगो’.”
वहीं लद्दाख में काउंटी बनाने के मुद्दे पर विदेश मंत्रालय ने अवैध रूप से कब्जे वाले अक्साई चीन क्षेत्र में चीन की तरफ से दो नए काउंटी बनाने को खारिज कर दिया और अपना विरोध दर्ज कराया.
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक पिछले हफ्ते, चीन ने भारत की सीमा से लगे झिंजियांग प्रांत में दो नए काउंटी बनाने की घोषणा की थी. होटन प्रीफेक्चर में बनने वाली हेआन काउंटी और हेकांग काउंटी, अक्साई चीन के कुछ हिस्सों को कवर करती हैं, जो लद्दाख केंद्र शासित प्रदेश का हिस्सा है जिस पर 1950 के दशक से चीन ने अवैध रूप से कब्जा कर रखा है.
इस मुद्दे पर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, “हमने चीन के होटन प्रीफेक्चर में दो नई काउंटियों की स्थापना से संबंधित घोषणा देखी है. इन तथाकथित काउंटियों के अधिकार क्षेत्र के कुछ हिस्से भारत के केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख में आते हैं.”
जायसवाल ने कहा, ‘हमने इस इलाके में भारतीय क्षेत्र पर अवैध चीनी कब्जे को कभी स्वीकार नहीं किया है. नई काउंटियों के निर्माण से न तो इस क्षेत्र पर हमारी संप्रभुता के बारे में भारत की दीर्घकालिक और सुसंगत स्थिति पर कोई असर पड़ेगा और न ही चीन के अवैध-जबरन कब्जे को वैधता मिलेगी. हमने कूटनीतिक चैनलों के माध्यम से चीनी पक्ष के समक्ष गंभीर विरोध दर्ज कराया है.”
इसी के साथ भारत ने शुक्रवार को तिब्बत में ब्रह्मपुत्र नदी पर एक विशाल बांध बनाने की चीन की योजना पर भी चिंता जताई.
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, “हमने चीन के तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र में यारलुंग त्संगपो नदी (ब्रह्मपुत्र नदी) पर एक जलविद्युत परियोजना के संबंध में 25 दिसंबर 2024 को सिन्हुआ द्वारा जारी की गई सूचना देखी है. नदी के पानी पर हमारा अधिकार है और निचले तटवर्ती देश के रूप में, हमने लगातार विशेषज्ञ स्तर और कूटनीतिक चैनलों के माध्यम से चीनी पक्ष को उनके क्षेत्र में नदियों पर मेगा परियोजनाओं को लेकर अपने विचार और चिंताएं व्यक्त की हैं.”
जायसवाल ने कहा, “नई रिपोर्ट के बाद इन चिंताओं को दोहराया गया है. साथ ही पारदर्शिता और निचले देशों के साथ परामर्श की जरुरत पर भी जोर दिया गया है. चीनी पक्ष से यह सुनिश्चित करने का आग्रह किया गया है कि ब्रह्मपुत्र के निचले देशों के हितों को ऊपरी क्षेत्रों में गतिविधियों से नुकसान न पहुंचे. हम अपने हितों की रक्षा के लिए निगरानी करना और आवश्यक उपाय करना जारी रखेंगे.”
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-भारत एक्सप्रेस
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