सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार (23 अप्रैल) को जेलों में क्षमता से अधिक कैदी होने से जुड़े एक मामले की सुनवाई की. इस दौरान एमिकस क्यूरी अधिवक्ता गौरव अग्रवाल ने शीर्ष अदालत को बताया कि 16 राज्यों की जेलों में क्षमता से अधिक कैदी हैं, जिनमें महिला कैदियों की स्थिति काफी निराशाजनक है, क्योंकि उनके पास न कोई डॉक्टर, स्त्री रोग विशेषज्ञ उपलब्ध हैं और न ही वॉशरूम में अलग दीवारें आदि हैं.
राज्यों की बात करें तो उत्तर प्रदेश की जेलों में अत्यधिक भीड़ है और कैदियों को समायोजित करने के चलते बुनियादी ढांचे में बढ़ोतरी के बिना क्षमता में कागजी बढ़ोतरी की गई है. इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह हालत सिस्टम के लिए उचित नहीं है. एमिकस क्यूरी ने कहा कि उत्तर प्रदेश की सभी 74 जेलों की बैठकों का ब्योरा अदालत को दिया जाए और बताया जाए कि जेलों में क्षमता बढ़ाने का क्या प्रस्ताव है?
एमिकस क्यूरी ने मंगलवार की सुनवाई के लिए एक संक्षिप्त नोट दायर कर बिहार, यूपी, चंडीगढ़, राजस्थान, हरियाणा और कुछ अन्य राज्यों से प्राप्त रिपोर्ट के संबंध में डेटा एकत्र किया है. उन्हें अभी भी रिपोर्टों का अध्ययन करना बाकी है. उन्होंने कहा कि राज्यों के मुख्य सचिव को संबंधित स्थिति रिपोर्ट का अध्ययन करना चाहिए और मुद्दों के समाधान के लिए निश्चित समयसीमा के भीतर की जाने वाली कार्रवाई पर प्रकाश डालना चाहिए.
मुख्य सचिव समयसीमा के संबंध में हलफनामा दायर करेंगे. हमने नोट किया है कि जिला मजिस्ट्रेट और पुलिस अधीक्षक ने अदालत के आदेश के बावजूद विचार-विमर्श में भाग नहीं लिया है और उन्हें राज्य सरकार द्वारा समग्र रिपोर्ट के लिए भाग लेना चाहिए.
उन्होंने कहा कि यूपी, बिहार, छत्तीसगढ़ के मुख्य सचिव दो सप्ताह के भीतर एक हलफनामा देकर सिफारिशों को लागू करने की समयसीमा बताएं. राज्य सरकारें/केंद्रशासित प्रदेश अतिरिक्त हलफनामा भी दाखिल करेंगे, जिसमें उठाए गए कदम दर्शाए जाएंगे, जिनके भीतर कार्रवाई की जाएगी.
बीते फरवरी माह में सुप्रीम कोर्ट ने जेलों में भीड़भाड़ की समस्या से निपटने और भारत भर की जेलों में बंद महिला कैदियों और बच्चों की स्थिति पर राज्यों को कई निर्देश जारी किए थे. पश्चिम बंगाल की जेलों में महिलाओं के गर्भवती होने की खबरों के बाद अदालत ने सभी राज्य प्राधिकारियों से जेलों में बच्चों वाली महिलाओं के लिए उपलब्ध सुविधाओं की स्थिति पर रिपोर्ट मांगी थी.
-भारत एक्सप्रेस
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