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Aditya L1 Mission: सूर्ययान के साथ जा रहे है ‘PAPA’, जानिए क्या है 7 पेलोड्स वाले ISRO मिशन का लक्ष्य

Aditya-L1 Launch: Chandrayaan-3 की सफलता के बाद, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) अब सूर्य को लेकर स्टडी करने की तैयारी में है. इसरो ने सोमवार को बताया कि सूर्य का अध्ययन करने के लिए भारत के पहले सौर मिशन ‘आदित्य-एल1’ को 2 सितंबर को सुबह 11 बजकर 50 मिनट पर श्रीहरिकोटा स्पेसपोर्ट से लॉन्च किया जाएगा. आम जनता को श्रीहरिकोटा लॉन्च व्यू गैलरी से इसकी लॉन्चिंग देखने की इजाजत भी दी गई है.

आदित्य-एल1 भारत के हैवी-ड्यूटी लॉन्च वाहन, पीएसएलवी पर सवार होकर 15 लाख किलोमीटर का सफर करेगा. इसरो चीफ एस सोमनाथ ने बताया कि लॉन्चिंग के बाद इसे पृथ्वी से लैरेंज प्वाइंट 1 (L1) तक पहुंचने में 125 दिन लगेंगे. हमें तब तक इंतजार करना होगा. Aditya-L1 स्पेसक्राफ्ट को सौर कोरोना (सूर्य की सबसे बाहरी परत) के दूरस्थ अवलोकन और एल1 (सूर्य-पृथ्वी लैग्रेंज बिंदु) पर सौर वायु के यथास्थान अवलोकन के लिए तैयार किया गया है.

क्या है ‘PAPA’?

PAPA (प्लाज्मा एनालाइजर पैकेज फॉर आदित्य) सूर्य की गर्म हवाओं में मौजूद इलेक्ट्रॉन्स और भारी आयन की दिशाओं और उनका अध्ययन करेगा. इनकी हवाओं में कितनी गर्मी है, इसका पता लगाया जाएगा. साथ ही चार्ज्ड कणों यानी आयंस के वजन के बारे में भी जानकारी जुटाई जाएगी.

‘लैरेंज प्वाइंट वन’ अंतरिक्ष में स्थित वे स्थान हैं, जहां सूर्य और पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण बल आकर्षण और प्रतिकर्षण के उन्नत क्षेत्र उत्पन्न करते हैं. नासा के अनुसार, इनका उपयोग अंतरिक्ष यान द्वारा स्थिति में बने रहने के लिए आवश्यक ईंधन की खपत को कम करने के लिए किया जा सकता है. लैग्रेंज बिंदु का नाम इतालवी-फ्रांसीसी गणितज्ञ जोसेफी-लुई लैग्रेंज के सम्मान में रखा गया है.

क्या है मिशन का लक्ष्य?

आदित्य-एल1 मिशन का लक्ष्य एल1 के पास की कक्षा से सूर्य के बारे में जानकारी जुटाना है. यह अंतरिक्ष यान सात पेलोड लेकर जाएगा, जो अलग-अलग वेव बैंड में फोटोस्फेयर (प्रकाशमंडल), क्रोमोस्फेयर और सूर्य की सबसे बाहरी परत (कोरोना) का अवलोकन करने में मदद करेंगे. हालांकि यह बेहद चुनौतीपूर्ण होगा.

इसरो के एक अधिकारी ने कहा कि आदित्य-एल1 पूरी तरह से स्वदेशी प्रयास है, जिसमें राष्ट्रीय संस्थानों की भागीदारी है. स्पेस एजेंसी के मुताबिक वीईएलसी का लक्ष्य यह पता लगाने के लिए डेटा एकत्रित करना है कि कोरोना का तापमान लगभग दस लाख डिग्री तक कैसे पहुंच सकता है, जबकि सूर्य की सतह का तापमान 6000 डिग्री सेंटीग्रेड से थोड़ा अधिक रहता है.

आदित्य-एल1 यूवी पेलोड का उपयोग करके कोरोना और सौर क्रोमोस्फीयर पर और एक्स-रे पेलोड का उपयोग करके लपटों का अवलोकन कर सकता है. कण संसूचक और मैग्नेटोमीटर पेलोड आवेशित कणों और एल1 के चारों ओर प्रभामंडल कक्षा तक पहुंचने वाले चुंबकीय क्षेत्र के बारे में जानकारी प्रदान कर सकते हैं. यू आर राव सैटेलाइट सेंटर द्वारा विकसित सैटेलाइट इस महीने की शुरुआत में श्रीहरिकोटा के इसरो के स्पेसपोर्ट पहुंचा. इसे सूर्य-पृथ्वी प्रणाली के एल1 बिंदु के चारों ओर एक प्रभामंडल कक्षा में स्थापित करने की योजना है.

इसरो ने कहा कि एल1 बिंदु के चारों ओर प्रभामंडल कक्षा में स्थापित उपग्रह से सूर्य पर लगातार नजर रखने में बड़ा फायदा होगा और कोई भी ग्रह इसमें बाधा नहीं डालेगा. इससे वास्तविक समय में सौर गतिविधियों और अंतरिक्ष मौसम पर इसके प्रभाव को देखने का अधिक लाभ मिलेगा. एल1 का उपयोग करते हुए चार पेलोड सीधे सूर्य की स्टडी करेंगे और अन्य तीन पेलोड द्वारा एल1 बिंदु पर कण और क्षेत्रों के आसपास की स्टडी जाने की उम्मीद है.

-भारत एक्सप्रेस

कमल तिवारी

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