Aligarh: उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ जिले में अवैध शराब के कारोबार में लिप्त सात आरोपियों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है. बताया जा रहा है कि दो साल पहले भी उसी इलाके में जहरीली शराब बनाने की फैक्ट्री पकड़ी गई थी. वहीं एक बार फिर से अकराबाद क्षेत्र के अधौन में एसटीएफ ने जहरीली शराब का जखीरा पकड़ा है. जानकारी सामने आ रही है कि आरोपित हरियाणा से सस्ते दाम में शराब लाकर उसमें दूसरे ब्रांड मिलाकर ठेकों पर सप्लाई करते थे. अभी इस गिरोह के आठ लोग फरार हैं, जिनकी तलाश में पुलिस संदिग्ध ठिकानों पर दबिश दे रही है.
खूफिया तंत्रों से सूचना मिलने के बाद शनिवार को एसटीएफ (STF) ने अकराबाद क्षेत्र के गांव जसरथपुर के निकट देर रात एक बंद मकान में छापा मारा तो एसटीएफ के होश उड़ गए. यहां पर अवैध रूप से शराब का कारोबार धड़ल्ले से चल रहा था और शराब तैयार की जा रही थी. इस पर एसटीएफ ने मौके पर मौजूद सात आरोपितों को गिरफ्तार कर लिया व मौके से भारी मात्रा में शराब बरामद करने के साथ ही पिस्टल व एक कार भी बरामद की.
इस बड़ी कार्रवाई के बाद पूरे जिले में हड़कम्प मच गया है. वहीं पुलिस पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं, कि इसकी जानकारी स्थानीय पुलिस को कैसे नहीं हुई? 2021 में इसी गांव में जहरीली शराब से 104 लोगों की जान चली गई थी और फिर पुलिस ने उस समय ताबड़तोड़ कार्रवाई की थी और जहरीली शराब की फैक्ट्री का भांडाफोड़ किया था और फिर से उसी गांव में अवैध कारोबार शुरू होने के बाद स्थानीय लोग पुलिस पर ही सवाल खड़े कर रहे हैं.
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एसटीएफ की पूछताछ में आरोपितों ने बताया है कि वे लोग कासगंज में सबसे अधिक सप्लाई करते थे. साथ ही एटा और हाथरस में भी शराब की सप्लाई की जाती थी. अलीगढ़ में टेट्रा पैक में भी शराब बेची जाती थी. जानकारी के मुताबिक जिल मकान में शराब का अवैध कारोबार पकड़ा गया है, वह किसी मलखान सिंह का है और उसने जिला पंचायत का चुनाव भी लड़ा था. आरोपितों ने बताया कि मकान का वह हर महीने 50 हजार रुपये किराया देते थे. इस पर एसटीएफ ने मलखान सिंह को भी गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है.
पुलिस के मुताबिक एसटीएफ को ये जानकारी थी कि मलखान ने इस बार ही सपा से जिला पंचायत सदस्य का चुनाव लड़ा था और हार भी गया था. एसटीएफ को ये तो मालूम था कि शराब का अवैध कारोबार जिले में कहीं चल रहा है, लेकिन कहां पर चल रहा है, इसकी सही लोकेशन नहीं मालूम थी. इस पर स्थानीय पुलिस ने दो दिन तक पड़ताल की और फिर आरोपी धरे गए.
इस मामले में आबकारी विभाग भी सवालों के घेरे में आ गया है. सवाल खड़े हो रहे हैं कि आखिरकार विभाग के स्थानीय अधिकारियों को इस खेल की भनक क्यों और कैसे नहीं मिली? इसी के साथ ये भी सवाल खड़े हो रहे हैं कि कहीं इस पूरे कांड में विभागीय अधिकारियों की मिलीभगत तो नहीं है. चूंकि पूछताछ और जांच में सामने आया है कि यहां से शराब की दुकानों पर सीधे शराब सप्लाई की जा रही थी. ऐसे में आबकारी विभाग के अधिकारियों को इसके बारे में जानकारी क्यों नहीं मिली? इसको लेकर स्थानीय लोगों ने आरोप लगाया है कि बिना किसी की सह पर इतना बड़ा कारोबार संचालित नहीं हो सकता.
-भारत एक्सप्रेस
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