जम्मू-कश्मीर में हाल के आंकड़े काफी सुकून देने वाले हैं. इसके अलावा ये राज्य केंद्र सरकार की योजनाओं को सही ढंग से लागू करने में अव्वल बनता दिखाई दे रहा है. खास बात ये है कि आर्टिकल 370 हटाए जाने के बाद से यहां चौतरफा ग्रोथ दिखाई दे रही है. इंफ्रास्ट्रक्चर हो या हम्यून इंडेक्स, जम्मू-कश्मीर में विकास की गति काफी तेज है. और इसकी गवाही ताजा आंकड़े दे रहे हैं.
लोगों के जीवन में शिक्षा, स्वास्थ्य और भोजन एक बुनियादी पैमाना है. अगर इस पैमाने के हिसाब से जम्मू-कश्मीर को राष्ट्रीय कसौटी पर रखकर देखें तो यह काफी बेहतर है. देश में जहां मृत्यु दर प्रति 1000 पर 24.9 है, वहीं जम्मू-कश्मीर में संख्या सिर्फ 9 है. शिशु मृत्यु दर भी देश के 35 के मुकाबले 16 है. सेक्स रेशियो में भी यूनियन टेरिटरी की हालत काफी अच्छी है. प्रति 1000 हजार पर देश का लिंगानुपात जहां 929 है, वहीं जम्मू-कश्मीर में 976 है. इसी तरह देश की औसत आयु 69 साल के मुकाबले यहां 74 साल है. देश में स्वस्थ बच्चों का औसत जहां 76.3 है, वहीं जम्मू-कश्मीर में 96.5 फीसदी है.
देश में औसत घरेलू आय जहां 10,218 रुपये है, वहीं जम्मू-कश्मीर में 18,918 रुपये है. इसी तरह प्रति व्यक्ति आय, ऊर्जा उपभोग, शिक्षक और विद्यार्थी का अनुपात और वन क्षेत्र के अनुपात में भी यह यूनियन टेरिटरी काफी बेहतर हालात में है.
जम्मू कश्मीर की बागडोर यहां के एलजी मनोज सिन्हा के हाथ में है. मनोज सिन्हा हालांकि अपने प्रशासनिक कार्य के लिए जाने जाते हैं. लंबे अनुभावों के आधार पर ही यहां उन्होंने आर्थिक कामकाज में पारदर्शिता को बड़ा हथियार बनाया है. जिसमें कोई काम बिना प्रशासकीय अनुमति और ई-टेंरिंग के स्वीकृति नहीं किया जा सकता. किसी भी काम का 100 फीसदी फिजिकल वेरिफिकेशन, GEO टैगिंग और काम के पहले और बाद की फोटोग्राफी सुनिश्चित कराना तय पैमाना है. पूरे काम का बजट आवंटन ऑनलाइन कर दिया जाता है.
जन सेवा की डिलिवरी कैसी है इसका प्रमाण इंपारमेंट पोर्टल (Empowerment Portal) है. यहां पूरे कामकाज की डिटेल मिल जाती है. अभी तक इस पोर्टल पर 38,688 कार्यों की डिटेल मौजूद है. गुड गवर्नेंस के इंडेक्स में जम्मू-कश्मीर इन्हीं सभी वजहों से अव्वल रहा है. जिला स्तर पर कार्यों को लागू करने में देश के मुकाबले इसकी स्थिति काफी बेहतर है.
एलजी मनोज सिन्हा ने गुड गवर्नेंस की नीति को लोगों तक पहुंचाने के लिए तकनीक को बड़ा हथियार बनाया है. ‘सतर्क नागरिक’ ऐप और पोर्टल के जरिए नागरिक 24 घंटे सातों दिन किसी भी अधिकारी या कर्मचारी के भ्रष्टाचार या उत्पीड़न का मामला दर्ज करा सकते हैं. ‘आपकी जमीन आपकी निगरानी’ (https:// landrecords.jk.gov.in) पोर्टल के जरिए नागरिक अपनी जमीन की जानकारी हासिल कर सकते हैं. नगरिकों को अब लैंड रिकॉर्ड के लिए किसी भी सरकारी कर्मचारी या अधिकारी के चक्कर काटने की जरूरत नहीं है. अब तक 20 लाख 61 हजार नागरिक अपना लैंड रिकॉर्ड देख चुके हैं.
इसके अलावा अब हर तरह के जमीनी कागजात और नियमावली को ऑनलाइन कर दिया गया है. जहां नागरिक आसानी से जानकारी हासिल कर सकेत हैं.
-भारत एक्सप्रेस
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