Amanmani Tripathi Joined Congress: लोकसभा चुनाव से पहले यूपी में राजनीतिक दलों का कुनबा बढ़ाओ अभियान लगातार जारी है. इसी क्रम में कांग्रेस से खबर सामने आ रही है कि शनिवार को यूपी के पूर्व मंत्री और बाहुबली अमरमणि त्रिपाठी के बेटे और नौतनवा सीट से पूर्व विधायक अमनमणि त्रिपाठी ने कांग्रेस का हाथ थाम लिया है. लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस महासचिव और प्रदेश प्रभारी अविनाश पांडे ने उन्हें पार्टी की सदस्यता दिलाई. इसके बाद यूपी की सियासत में चर्चा है कि कांग्रेस उनको महाराजगंज सीट से टिकट दे सकती है. बता दें कि पिछले साल पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल रहने का आरोप लगाकर अमनमणि त्रिपाठी को बसपा ने बाहर का रास्ता दिखा दिया था.
इसको लेकर अविनाश पांडे ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर अमनमणि त्रिपाठी के साथ एक तस्वीर साझा करते हुए लिखा है, “नौतनवा विधानसभा क्षेत्र के पूर्व विधायक अमनमणि त्रिपाठी ने राहुल गांधी और कांग्रेस पार्टी की न्याय की लड़ाई में भरोसा जताते हुए कांग्रेस पार्टी की सदस्यता ग्रहण की.” सपा के साथ गठबंधन में मिली 17 सीटों में से कांग्रेस के खाते में महाराजगंज लोकसभा सीट भी आई है. इसी को देखते हुए कहा जा रहा है कि कांग्रेस उनको यहां से उतार सकती है. मालूम हो कि यूपी निकाय चुनाव के दौरान बसपा ने उन्हें पार्टी विरोधी गतिविधियों के आरोप में निष्कासित कर दिया था. फिलहाल अमनमणि को महाराजगंज से कांग्रेस द्वारा टिकट दिए जाने की चर्चा सामने आ रही है. फिलहाल इस सीट पर कांग्रेस की सोशल मीडिया विभाग की प्रमुख सुप्रिया श्रीनेत को भी दावेदार माना जा रहा है, पिछली बार यानी 2019 के चुनाव में वह यहां से हार गई थीं.
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बता दें कि यूपी सरकार में मंत्री रह चुके अमरमणि त्रिपाठी के बेटे अमनमणि हैं. लम्बे समय से त्रिपाठी परिवार राजनीति से जुड़ा हुआ है और महाराजगंज में उनका काफी असर माना जाता है. इसी को देखते हुए कांग्रेस ने उनको अपने खेमे में मिलाया है. माना जा रहा है कि अमनमणि के आने से कांग्रेस को काफी फायदा हो सकता है. बता दें कि मधुमिता शुक्ला हत्याकांड में अमरमणि त्रिपाठी और उनकी पत्नी मधुमणि को दोषी करार दिया गया था.
बता दें कि अमनमणि त्रिपाठी ने पहली बार साल 2012 में सपा के टिकट पर ही नौतनवा सीट से विधानसभा चुनाव लड़ा था, लेकिन कांग्रेस के कुंवर कौशल किशोर ने उनको हरा दिया था. फिर वह 2015 में सुर्खियों में आए, जब एक सड़क हादसे में उनकी पत्नी सारा की मौत हो गई थी. इस मामले में अमनमणि पर पत्नी की हत्या का आरोप लगा था और उनको गिरफ्तार कर लिया गया था और इसी के बाद 2017 में सपा ने उन्हें टिकट नहीं दिया. कहा जाता है कि पत्नी की हत्या का आरोप लगने के कारण ही सपा ने उनको टिकट देने से मना कर दिया था. इस पर उन्होंने निर्दलीय चुनाव लड़ा और जीत गए थे. अमनमणि 2017-2022 तक महाराजगंज की नौतनवा सीट से विधायक रहे और फिर मायावती की पार्टी बसपा का हाथ थाम लिया था. 2022 में बसपा के टिकट पर चुनाव भी लड़ा था लेकिन जीत नहीं सके थे.
-भारत एक्सप्रेस
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