कुलदीप पंडित
Ayodhya Ram Mandir: रामलला की प्राण प्रतिष्ठा को लेकर पूरे देश के राम भक्तों में लगातार उत्साह देखने को मिल रहा है. अपने रामलला लिए कोई कई कुंटल घी तो कोई चावल और अनोखी अगरबत्ती भेज रहा है तो कोई ताला और घंटा. देश भर से लगातार भेंटें राम मंदिर पहुंच रही है. इसी बीच यूपी के बागपत से एक रामभक्त, जिन्होंने 6 साल में बांस की कलम से अनोखी रामचरितमानस लिखी है, ने उत्तर प्रदेश के मुखिया योगी आदित्यनाथ से गुहार लगाई है. कहा है कि, ” हनुमान जैसा कोई दूत, भेज दो अब सरकार..” दरअसल, अस्वस्थ्य होने के कारण ये भक्त इतना लाचार हो चुके हैं कि चाहकर भी अयोध्या पहुंचने में असमर्थ हैं, लेकिन वह रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा अपनी आंखों से देखना चाहते हैं. ऐसे में उन्होंने सीएम योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर सहयोग की अपील की है.
मालूम हो कि 22 जनवरी को रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा है. कार्यक्रम में पीएम नरेंद्र मोदी सहित देश भर के वीवीआईपी मौजूद रहेंगे. इस ऐतिहासिक पल का हर कोई साक्षी बनना चाहता है. वही न्यायालय द्वारा श्री राम जन्मभूमि के फैसले सुनाए जाने और फिर भाजपा सरकार द्वारा भव्य मंदिर के निर्माण करने की घोषणा के बाद से ही बागपत के अंगदपुर के रहने वाले गरीब किसान राकेश शर्मा ने एक ग्रंथ लिखने का संकल्प लिया और उस ग्रंथ को अपने सिर पर रखकर भगवान श्री राम की जन्मभूमि अयोध्या में स्थित श्री राम मंदिर तक 715 किलोमीटर की दूरी नंगे पैर पदयात्रा कर मंदिर के पुजारी को सौंपने का निर्णय लिया था, लेकिन अब राकेश शर्मा अस्वस्थ्य हो गए हैं.
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राकेश शर्मा के मुताबिक वह 14 अप्रैल वर्ष 2018 से रामचरितमानस ग्रंथ को लिख रहे हैं. इन छः वर्षो से वह लगातार इस ग्रंथ को लिख रहे हैं और उन्होंने इसमे भगवान श्रीराम के सम्पूर्ण जीवन को बड़े ही मनमोहक शब्दो मे वर्णित किया है. उनका ये ग्रंथ 2 जनवरी 2024 को पूरा हो गया है और अब वह राम मंदिर के पुजारी को ये ग्रंथ सौंपना चाहते हैं लेकिन स्वास्थ खराब होने के कारण अब वह लाचार और असहाय दिखाई दे रहे हैं.
अस्वस्थ्य होने के कारण राकेश शर्मा ने सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर गुहार लगाई है और कहा है कि हनुमान जैसा कोई दूत भेज दो अब सरकार, जो यह ग्रंथ भव्य मंदिर तक ले जा सके. क्योकि वह बीमार हो गए हैं और पदयात्रा नही कर सकते हैं. तो वहीं अब देखना यह होगा कि इस गरीब के मार्मिक पत्र पर सूबे के मुखिया क्या निर्णय लेते है. हालांकि राकेश शर्मा को पूरी उम्मीद नजर आ रही है कि उनका लिखा यह ग्रन्थ जरूर मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम के श्री चरणों तक पहुंचेगा.
-भारत एक्सप्रेस
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