Sunita Kejriwal: शनिवार को दिल्ली हाई कोर्ट ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की पत्नी सुनीता केजरीवाल को सोशल मीडिया पर पोस्ट किये गये अदालती कार्यवाही के वीडियो हटाने का आदेश दिया है. मामले में अगली सुनवाई 9 अगस्त को होगी.
बता दें कि सुनीता केजरीवाल ने जो वीडियो सोशल मीडिया पर पोस्ट किये थे उनमें मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल दिल्ली शराब घोटाले के मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा उनकी गिरफ्तारी के बाद अदालत को संबोधित करते दिख रहे हैं.
हाई कोर्ट की न्यायमूर्ति नीना बंसल और अमित शर्मा की खंडपीठ ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान यह आदेश दिया. याचिका में सुनीता केजरीवाल तथा अन्य पर ट्रायल कोर्ट की कार्यवाही की रिकॉर्डिंग करने का आरोप लगाते हुए कार्रवाई करने की मांग की गई थी. यह आदेश उन सभी लोगों पर लागू होता है जिन्होंने इस तरह के वीडियो अपने सोशल मीडिया हैंडल्स पर शेयर किये हैं. उन्हें ये पोस्ट हटाने होंगे.
दिल्ली के एक वकील वैभव सिंह ने याचिका दायर की थी. इसमें मामले की जांच के लिए विशेष जांच दल (एसआईटी) के गठन और अदालती कार्यवाही की रिकॉर्डिंग करने वालों तथा उसे सोशल मीडिया पर फैलाने वालों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का अनुरोध किया है. याचिका के जरिए वकील ने कहा था कि में कहा गया है कि इस तरह के कदम से ट्रायल कोर्ट के जजों की जिंदगी को खतरा हो सकता है.
वकील ने याचिका में सुनीता केजरीवाल के साथ अक्षय मल्होत्रा, सोशल मीडिया यूजर नागरिक-इंडिया जीतेगा, प्रोमिला गुप्ता, विनीता जैन और डॉ. अरुणेश कुमार यादव पर भी कार्रवाई की मांग की है. उन्होंने याचिका के जरिए कहा है कि इन्होंने जानबूझकर उच्च न्यायालय द्वारा तय वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के नियमों का उल्लंघन किया है. इसमें कहा गया है, “आम आदमी पार्टी और दूसरी विपक्षी पार्टियों के कई सदस्यों ने अदालत की कार्यवाही को प्रभावित करने के उद्देश्य से जानबूझकर उसकी वीडियो और ऑडियो रिकॉर्डिंग की.”
याचिका में आरोप लगाया गया है कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उनकी पार्टी के सदस्यों ने पूर्व नियोजित साजिश के तहत अदालती कार्यवाही की रिकॉर्डिंग की और उसे सोशल मीडिया पर शेयर किया. इसकी गहन जांच की आवश्यकता है ताकि अनाधिकार रिकॉर्डिंग करने के लिए जिम्मेदार लोगों की पहचान कर उन्हें सजा दी जा सके. याचिका के जरिए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों को इस तरह की अनाधिकार रिकॉर्डिंग और उसका प्रसार रोकने का निर्देश देने की भी मांग की गई है. इसके साथ ही याचिका में दोषियों के खिलाफ अदालत की अवमानना का मुकदमा चलाने का अनुरोध किया गया है.
-भारत एक्सप्रेस
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