बिहार में जहां लोकसभा चुनाव और आचार संहिता के समाप्त होने के बाद सरकार ने रिक्त पदों को भरने की कवायद शुरू की है, वहीं देश के चर्चित चुनावी रणनीतिकार और जन सुराज यात्रा कर रहे प्रशांत किशोर ने कहा है कि बिहार में चपरासी से लेकर चीफ सेक्रेटरी तक को भी अगर आप जोड़ लें, तो 2 प्रतिशत से भी कम लोग सरकारी नौकरियों में हैं.
उन्होंने कहा, ‘शिक्षकों की भर्ती करके मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव खुद अपनी वाहवाही लूटने में लगे हैं. जो सिस्टम है, जिसे आप तंत्र कहते हैं, सरकारी नौकरियों में पूरे बिहार में 1.57 प्रतिशत लोग ही हैं. चपरासी से लेकर चीफ सेक्रेटरी तक को भी अगर आप जोड़ देंगे, तो 2 प्रतिशत से भी कम लोग सरकारी नौकरियों में हैं.’
प्रशांत किशोर ने स्पष्ट कहा कि बिहार में जो व्यवस्था है, वह सिर्फ 2 प्रतिशत सरकारी नौकरी करने वाले लोगों की वजह से नहीं है. दिक्कत यह है कि जो जनप्रतिनिधि हैं, वो अधिकारियों को चुनकर बैठाते हैं. अधिकारी वैसे ही काम करता है, जैसा वो कराना चाहते हैं.
पत्रकारों से बातचीत में प्रशांत किशोर ने आगे कहा, ‘यही नीतीश कुमार हैं, 2005 से 2010 में यही तंत्र था, यही अधिकारी थे और इन्हीं की वजह से कई क्षेत्रों में सुधार दिखा. अब वह सुधार नहीं दिख रहा है, बदहाली दिख रही है. ऐसा इसलिए हो रहा है, क्योंकि नीतीश कुमार की अपनी प्राथमिकता बदल गई है. पहले वो बिहार को सुधारने में लगे थे और अब वह कुर्सी बचाने में लगे हुए हैं, तो अफसर क्या करेंगे?’
बिहार में सरकारी नौकरी को लेकर विपक्ष सत्ता पक्ष पर हमलावर है. लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान भी राजद ने नौकरी को लेकर नीतीश सरकार को घेरने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी. ऐसे में सत्ता पक्ष अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव के पहले पांच साल में 10 लाख सरकारी नौकरी देने के वादे को पूरा कर लेना चाहता है.
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जदयू के प्रवक्ता नीरज कुमार ने कहा कि 2020 विधानसभा चुनाव में एनडीए 10 लाख सरकारी नौकरी के वादे के साथ सत्ता में आई थी. उसी योजना के तहत काम किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि इससे पहले भी बड़ी संख्या में प्रदेश में लोगों को नौकरी दी गई है.
उन्होंने कहा कि चुनाव प्रचार के दौरान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कह भी चुके हैं कि अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव के पहले हम 10 लाख नौकरी देने का वादा पूरा कर लेंगे.
उल्लेखनीय है कि बिहार में कृषि विभाग, पंचायती राज विभाग और स्वास्थ्य विभाग भी जल्द ही बहाली प्रक्रिया शुरू करने वाले हैं. इधर, शिक्षा विभाग भी शिक्षकों के तीसरे चरण की बहाली की तैयारी में है.
कृषि विभाग के मंत्री मंगल पांडेय ने 15 जून तक विभाग की रिक्तियों का पूरा ब्योरा मांगा है. उन्होंने रिक्त पदों पर जल्द बहाली का निर्देश अधिकारियों को दिया है. उन्होंने संविदा आधारित रिक्त पदों की भी जानकारी उपलब्ध कराने की बात कही है.
इसी तरह पांडेय ने स्वास्थ्य विभाग में 45,000 पदों की घोषणा की थी, जिसे चार महीने के भीतर पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है. उन्होंने बताया कि नर्स, प्राध्यापक, चिकित्सक, ड्रेसर सहित विभिन्न पदों पर बहाली होनी है.
पंचायती राज विभाग भी लगभग 15 हजार से अधिक रिक्त पदों को छह माह के अंदर भरने की कवायद में जुट गया है. इधर, बिहार लोक सेवा आयोग की शिक्षक भर्ती की तीसरे चरण की परीक्षा को लेकर भी तैयारी शुरू किए जाने की बात की जा रही है. यह परीक्षा पहले मार्च में आयोजित हुई थी, लेकिन पेपर लीक की वजह से रद्द कर दी गई। बाद में लोकसभा चुनाव की वजह से परीक्षा ठंडे बस्ते में चली गई थी.
-भारत एक्सप्रेस
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