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मणिपुर के हिंसाग्रस्त जिले जिरीबाम में 70 से ज्यादा घरों में आगजनी, कमांडो तैनात

असम से सटे जिरीबाम जिले में मेईतेई, नगा, कुकी, मुस्लिम और गैर-मणिपुरियों की मिश्रित आबादी है. यह पिछले साल 3 मई को मणिपुर में शुरू हुई जातीय हिंसा की घटनाओं से अब तक अछूता रहा है.

मणिपुर के जिरिबाम जिले में हिंसा के दौरान एक क्षतिग्रस्त मकान.

असम की सीमा पर स्थित मणिपुर के जिरीबाम जिले में भारी तनाव के बीच एक समुदाय विशेष के 70 से अधिक घर जला दिए गए हैं. अधिकारियों ने शनिवार को बताया कि इलाके में सुरक्षा बलों की तैनाती बढ़ा दी गई है. मणिपुर पुलिस के कमांडो भी तैनात किए गए हैं.

जिरीबाम में गुरुवार (6 जून) की रात संदिग्ध हथियारबंद हमलावरों द्वारा 59 वर्षीय सोइबाम सरतकुमार सिंह की हत्या के बाद जिरीबाम और पड़ोसी तामेंगलौंग जिलों में कर्फ्यू लगा दिया गया था.

इस घटना के बाद जिला प्रशासन ने हिंसा को बढ़ने से रोकने के लिए गुरुवार रात से पूरे जिले में सीआरपीसी की धारा 144 के तहत निषेधाज्ञा लागू कर दी थी.

विशेष समुदाय के घरों को जलाया

जिरीबाम जिले में शनिवार को तनाव बढ़ गया, जब हथियारबंद बदमाशों ने दो पुलिस चौकियों, एक वन विभाग के दफ्तर और एक समुदाय के 70 से अधिक घरों को आग के हवाले कर दिया. हिंसा के कारण मोंगबंग, लामताई खुनौ और आसपास के गांवों के 230 से अधिक लोगों को अपने घरों से भागकर जिरीबाम जिला मुख्यालय में दो राहत शिविरों में शरण लेनी पड़ी.

पुलिस के एक अधिकारी ने शनिवार (8 जून) को इम्फाल में बताया कि कथित तौर पर हथियारबंद हमलावरों ने जिरीबाम जिले के लामताई खुनोऊ, दिबोंग खुनोऊ, नुनखल और बेगरा गांवों में एक विशेष समुदाय के घरों को जला दिया गया.

मेईतेई समुदाय के सोइबाम सरतकुमार सिंह की हत्या के बाद हिंसा भड़कने पर समुदाय के 200 से अधिक लोगों ने नए बने राहत शिविर में शरण ली है.

पुलिस अधिकारी ने बताया कि गुरुवार रात पीड़ित का शव मिलने के बाद स्थानीय लोगों ने बड़े पैमाने पर विरोध-प्रदर्शन किया. उनके शरीर पर कई घाव और कटे के निशान थे.

पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा

कुछ निर्जन ढांचों में आग लगाने के बाद स्थानीय लोगों ने बड़े पैमाने पर विरोध-प्रदर्शन किया. जिरीबाम में कई प्रदर्शनकारियों ने उनके लाइसेंसी हथियार वापस करने की मांग की. हाल में हुए लोकसभा चुनावों के मद्देनजर सबके लाइसेंसी हथियार जमा करा लिए गए थे.

प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा.

स्थिति को नियंत्रित करने और जल्द से जल्द स्थिति सामान्य करने के लिए जिरीबाम जिले में असम राइफल्स, केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल और मणिपुर पुलिस ने एक संयुक्त नियंत्रण कक्ष स्थापित किया है.

जिरीबाम और पड़ोसी तामेंगलौंग जिलों में मणिपुर पुलिस और केंद्रीय बलों की भारी तैनाती की गई है.

जिले में रहती है मिश्रित आबादी

असम से सटे जिरीबाम जिले में मेईतेई, नगा, कुकी, मुस्लिम और गैर-मणिपुरियों की मिश्रित आबादी है. यह पिछले साल 3 मई को मणिपुर में शुरू हुई जातीय हिंसा की घटनाओं से बीत 6 जून तक अछूता रहा था. जिरीबाम मणिपुर के पश्चिम में स्थित है, जो राज्य की राजधानी इंफाल से लगभग 220 किलोमीटर दूर असम के कछार जिले की सीमा पर है.

पिछले साल राज्य के कई जिलों में मेईतेई और कुकी-जोमी समुदायों के बीच हुए जातीय संघर्ष में अब तक 220 से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है. दोनों समुदायों के 1,500 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं और 70 हजार से अधिक लोग अपने घरों से विस्थापित हो गए हैं. दंगों में कई घर, सरकारी और गैर-सरकारी संपत्तियों तथा धार्मिक ढांचों को नुकसान पहुंचा है.

-भारत एक्सप्रेस

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