देश के पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है. राज्यों के इन चुनावों को 2024 लोकसभा चुनावों का सेमीफाइनल माना जा रहा है. जिसे देखते हुए बीजेपी बड़ी तैयारी के साथ मैदान में उतर चुकी है. बीजेपी पसमांदा मुसलमानों को अपने पाले में करने की रणनीति के बाद अब सूफी समर्थन को हासिल करने में जुट गई है.
बीजेपी ने देश के सबसे बड़े धार्मिक अल्पसंख्यकों को ध्यान में रखते हुए सूफी संवाद महाअभियान या फिर सूफी वार्ता का नाम दिया गया है. बीजेपी के अल्पसंख्यक मोर्चा ने 12 अक्टूबर को लखनऊ में सूफी संवाद कार्यक्रम का आयोजन किया था. जिसमें 100 से ज्यादा दरगाहों के करीब 200 सूफियों ने शिरकत की थी. कार्यक्रम में सूफियों से अपील की गई है कि वे केंद्र सरकार की नीतियों और योजनाओं के बारे में मुसलमानों को बताएं.
अल्पसंख्यक मोर्चा के अध्यक्ष जमाल सिद्दीकी ने जानकारी देते हुए बताया कि पीएम मोदी सूफियों को भारतीय परंपरा का एक अहम हिस्सा मानते हैं. सूफी आम लोगों के बीच में हमेशा रहते हैं. इसके साथ ही बहुलवाद की शिक्षा देते हैं और धर्म जाति, पंथ या विश्वास के बावजूद सभी के प्रति समावेशी भाव रखते हैं. ऐसे में भाजपा पीएम के दृष्टिकोण और सरकार की कल्याणकारी नीतियों को मुसलमानों तक पहुंचाने के लिए सुफियों के बीच पहुंची है. पसमांदा मुसलमानों तक पहुंच बनाने के बाद ये एक अलग तरह की आउटरीच है. इस कार्यक्रम का उद्देश्य सूफी आध्यामिक नेताओं के जरिए अपने अनुयायियों के बीच संदेश पहुंचाना है. जो खासकर मुस्लिम समाज से आते हैं.
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जमाल सिद्दीकी ने आगे कहा कि सूफी संवाद महाअभियान का उद्देश्य उन्हें पार्टी में शामिल करना नहीं है. बल्कि उनके साथ बातचीत शुरू कर आम मुसलमानों तक पहुंच बनाना है. जिससे उनकी समस्याओं और मांगों के बारे में जानकारी मिलेगी. जिसे सरकार तक पहुंचाया जा सकेगा.
-भारत एक्सप्रेस
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