छत्तीसगढ़ (Chattisgarh)के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (CM Bhupesh Baghel) ने छत्तीसगढ़ के निवासियों से 2022 में अपील की थी कि मजदूर दिवस के दिन सभी लोग बोरे बासी (Eat Bore Basi On Labor Day) खाएं. छत्तीसगढ़ में पिछले साल से बोरे-बासी खाकर अपने पारंपरिक भोजन, संस्कृति और श्रमिकों के प्रति सम्मान प्रकट करने की शुरूआत की है. मुख्यमंत्री बघेल ने देश-विदेश के कोने-कोने में बसे छत्तीसगढ़ के सभी लोगों से भी मजदूर दिवस के दिन बोरे-बासी खाकर श्रम को सम्मान देने का आग्रह किया था और छत्तीसगढ़ की जनता इसे सहर्ष स्वीकार करती नज़र आई. ऐसे में यह जानना जरूरी हो जाता है कि आखिर बोरे बासी है क्या?
पके चावल को माड़ और पानी के साथ रात को भिगोकर रख दिया जाता है और सुबह इसका सेवन किया जाता है, इसे बोरे बासी कहते हैं. इस प्रक्रिया में चावल में कई स्वास्थ्य वर्धक गुणों का समावेश हो जाता है और यह सामान्य चावल की तुलना में अधिक लाभकारी हो जाता है. यदि कोई डायबिटिक पेशेंट है, तो सामान्य चावल (Normal Rice) की जगह कोदो चावल का प्रयोग कर सकते हैं और हाई ब्लड प्रेशर के पेशेंट सामान्य नमक की जगह कम मात्रा मे सेंधा नमक का प्रयोग करके बोरे-बासी खा सकते हैं.
फ़र्मेंटेशन की प्रक्रिया इसमें से अतिरिक्त वसा को हटा देती है. बी कॉम्प्लेक्स, विटामिन के, कैल्शियम, आयरन, मैग्नीशियम, पोटेशियम और सेलेनियम को बढ़ा देती है. फ़र्मेंटेशन की प्रक्रिया से बोरे बासी लैक्टोबैसिलस, लैक्टिक एसिड बैक्टीरिया जैसे लाभकारी प्रोबायोटिक्स से भरपूर होते हैं. फर्मेंट करने की प्रक्रिया से प्रोबायोटिक बनते है जिससे पाचन मजबूत होता है और पाचन तंत्र की बहुत सी बीमारियों में लाभ मिलता है. यह शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी मजबूत करता है.
छत्तीसगढ़ और झारखण्ड (Jharkhand) के कुछ हिस्सों में पारम्परिक रूप से मेहनतकशों के दैनिक भोजन का हिस्सा बोरे-बासी रहा है. स्वास्थ्य विशेषज्ञ बताते हैं कि बोरे बासी में सारे पोषक तत्व मौजूद होते हैं. गर्मी के दिनों में शरीर को ठंडा रखने के साथ पाचन शक्ति बढ़ाने के लिए भी यह बहुत उपयोगी है. एक शोध में यह पाया गया है कि 100 ग्राम चावल में 3.4 मिलीग्राम आयरन होता है. इसे 12 घंटे के लिए पानी में भिगोकर रखने पर आयरन की मात्रा कई गुना बढ़ जाती है. इसमें सोडियम के अलावा, पोटेशियम, कैल्शियम होता है. शरीर में पानी की मात्रा को बनाए रखने के बासी भरपूर मदद करता है.
स्थानीय नागरिकों के अनुसार एक तरफ मेडिकल साइंस (Medical Science) नए आधुनिक उपकरणों से बीमारियों का इलाज करने में सफलता हासिल कर रही है. तो वहीं दूसरी ओर छत्तीसगढ़ का पारम्परिक आहार बोरे बासी भी कई रोगों का सफलतापूर्वक इलाज कर रहा है. यही नहीं डॉक्टर भी लोगों को बोरे बासी खाने की सलाह देते हैं. अब तक डॉक्टरों की सलाह पर हजारो मरीज बोरे बासी खाकर ठीक हुए हैं.
कुछ लोग बोरे और बासी को एक ही समझते हैं, लेकिन ऐसा नहीं है. रात को खाना खाने के बाद बचे हुए चावल को पानी में डूबाकर रख दिया जाता है और उसे सुबह में खाया जाता है, उसे बासी कहते हैं. जबकि रात में चावल बनाकर उसे ठंडा करने के बाद पानी में डालकर खाते हैं तो उसे बोरे कहते हैं.
मजदूर दिवस के दिन छत्तीसगढ़ राज्य के लोगों के ट्वीट कुछ यूं देखने को मिले थे.
– बासी के गुण कहुँ कहाँ तक, इसे न टालो हाँसी में.
गजब विटामिन भरे हुए हैं, छत्तीसगढ़ के बासी में.
– बोरे बासी खाके, मनाबो श्रम तिहार
गजब बिटामिन ले भरे, ए छत्तीसगढ़िया आहार
– आइए! आज आमा के अथान और गोंदली के साथ हर घर में बोरे-बासी खाएं और अपनी संस्कृति और विरासत पर गर्व महसूस करें.
– मई दिवस पर श्रम और श्रम-संस्कृति के सम्मान में छत्तीसगढ़ आज ‘बोरे-बासी तिहार’ भी मना रहा है. मैंने भी आज ‘बोरे-बासी तिहार’ का आनंद लिया.
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