गुजरात के सोमनाथ के आसपास बने सदियों पुरानी मकबरों और मस्जिदों पर की गई बुलडोजर को कार्रवाई के खिलाफ दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट 3 सप्ताह बाद सुनवाई करेगा. पिछली सुनवाई में कोर्ट ने यथास्थिति बरकरार रखने के आदेश देने से इंकार कर दिया था. मामले की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के नोटिस के बाद हमें जवाबी जवाब दाखिल करना है. जिसके लिए कोर्ट ने समय दे दिया है.
मामले की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ वकील संजय हेगड़े ने कहा कि अधिकारियों का तर्क है कि यह निर्माण अरब सागर के पास था, तो बुलडोजर की कार्रवाई से पहले सुप्रीम कोर्ट की अनुमति लेने से किसने रोका था? जस्टिस बीआर गवई की अध्यक्षता वाली बेंच मामले में सुनवाई कर रही है. पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा था कि अगर हमारे आदेश की अवमानना हुई होगी, तो हम उसे पुनर्स्थापित करने का आदेश देंगे और जिम्मेदार अधिकारियों को जेल भेज देंगे.
दायर याचिका में गिर सोमनाथ के कलेक्टर और अन्य अधिकारियों के खिलाफ अवमानना कार्रवाई की मांग की गई है. दायर अवमानना याचिका में दरगाह मंगरोली शाह बाबा, ईदगाह, प्रभास पाटन, वेरावल, गिर सोमनाथ में स्थित कई अन्य स्ट्रक्चर के कथित अवैध विध्वंस बक हवाला दिया गया है. याचिका में यह भी कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद बड़े पैमाने पर तोड़फोड़ की गई है. यहां अल्पसंख्यक समुदाय के एक साथ 9 धार्मिक ढांचों पर बुलडोजर चलाया गया है. बताया जा रहा है कि यह सभी धार्मिक ढांचे प्रभास पाटन में सरकारी जमीन पर बने थे.
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-भारत एक्सप्रेस
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