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कुलदीप सेंगर की अंतरिम जमानत बढ़ाने की मांग पर दिल्ली हाईकोर्ट ने एम्स से रिपोर्ट तलब किया

उन्नाव रेप मामले में बीजेपी से निष्कासित विधायक और दोषी कुलदीप सिंह सेंगर ने अंतरिम जमानत बढ़ाने की मांग को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर की है, जिस पर कोर्ट ने दिल्ली एम्स से रिपोर्ट तलब किया है. कोर्ट 20 दिसंबर को इस मामले में अगली सुनवाई करेगा.

दिल्ली हाईकोर्ट ने पिछले दिनों कुलदीप सिंह सेंगर को मेडिकल ग्राउंड पर 20 दिसंबर तक के लिए अंतरिम जमानत दिया था. अदालत ने निर्देश दिया था कि कुलदीप सेंगर को एम्स, नई दिल्ली में भर्ती कराया जाए और उनका मेडिकल मूल्यांकन किया जाए. कोर्ट ने अपने आदेश में यह भी कहा था कि मेडिकल सुपरिटेंडेंट कोर्ट को सुझाव देंगे कि क्या इलाज एम्स में संभव है. कुलदीप सेंगर ने हाईकोर्ट ने याचिका दायर कर दावा किया है कि वह मधुमेह, मोतियाबिंद, रेटिना संबंधी समस्या और अन्य बीमारियों से पीड़ित हैं.

स्वास्थ्य की स्थिति पर रिपोर्ट

बता दें दिल्ली हाईकोर्ट ने उन्नाव रेप पीड़िता के पिता की हिरासत में मौत के मामले में कुलदीप सिंह सेंगर की स्वास्थ्य के आधार पर सजा को निलंबित करने की मांग वाली याचिका पर सीबीआई को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. कोर्ट 13 जनवरी को इस मामले में अगली सुनवाई करेगा. कोर्ट ने सेंगर की याचिका पर जेल प्रशासन को निर्देश दिया था कि वो उनके स्वास्थ्य की स्थिति पर रिपोर्ट दाखिल करें.

8 साल से जेल में बंद

मामले की सुनवाई के दौरान सीबीआई की ओर से पेश वकील ने कोर्ट को बताया था कि कुलदीप सेंगर की हाईकोर्ट ने जून में सजा निलंबित करने की मांग को खारिज कर चुका है, जिस पर सेंगर की ओर से पेश वकील ने कहा था कि स्वास्थ्य के आधार पर सजा को निलंबित करने की मांग कर रहे हैं. इससे पहले स्वास्थ्य के आधार पर सजा को निलंबित करने की मांग नहीं की गई थी. सेंगर के वकील ने यह भी कहा था कि उन्होंने ट्रायल कोर्ट के आदेश को चुनौती दे रखी है, जिस पर लंबे समय से सुनवाई नहीं हो पाई है. सेंगर करीब 8 साल से जेल में बंद हैं, जबकि इस मामले में अधिकतम 10 साल की सजा का प्रावधान है.

क्या है मामला

ज्ञात हो कि कुलदीप सिंह सेंगर पर साल 2017 में एक युवती का अपहरण कर उससे बलात्कार करने का दोष साबित हुआ था. घटना के समय पीड़ित नाबालिग थी. 13 मार्च 2020 को निचली अदालत ने कुलदीप सिंह सेंगर को बलात्कार पीड़िता के पिता की हिरासत में मौत के मामले में 10 साल की कठोर सजा और 10 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया था. निचली अदालत ने फैसला देते हुए कहा था कि परिवार के एकमात्र कमाने वाले की हत्या के लिए कोई नरमी नहीं बरती जा सकती.

-भारत एक्सप्रेस

गोपाल कृष्ण

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