पश्चिम बंगाल के मामलों में सीबीआई की तरफ से एफआईआर दर्ज होने के खिलाफ राज्य सरकार की ओर से दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट 8 मई को भी सुनवाई जारी रखेगी. कोर्ट को तय करना है कि यह याचिका सुनवाई योग्य है या नही. जस्टिस बी आर गवाई की अध्यक्षता वाली बेंच पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई कर रही है.
मामले की सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट को बताया कि सीबीआई केंद्र सरकार के अधीन नहीं है.इसलिए यह केंद्र सरकार और राज्य सरकार के बीच विवाद में अनुच्छेद 131 के ओरिजनल शूट का विषय नही हो सकता और राज्य इसमें याचिकाकर्ता नही हो सकती.सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने यह भी कहा कि सीबीआई मामला दर्ज करती है न कि केंद्र सरकार,इसलिए केंद्र सरकार को पक्षकार नहीं बनाया जा सकता है.एसजी ने कहा कि सीबीआई मामलों की जांच कर रही है,हालांकि सीबीआई को भी यहा पक्षकार नहीं बनाया जा सकता.एसजी ने कहा कि भले ही वर्तमान मुकदमे का फैसला पश्चिम बंगाल सरकार के पक्ष में हो लेकिन यह लागू नही होगा.
केंद्र सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने ममता सरकार की ओर से दायर याचिका पर सवाल खड़ा किया है.मेहता ने कहा कि इन मामलों में सीबीआई ने केस दर्ज किया है, ना कि केंद्र सरकार.सीबीआई अपने आप मे स्वतंत्र जांच एजेंसी है.सीबीआई की ओर से केस दर्ज होने के चलते बंगाल सरकार केंद्र सरकार के खिलाफ मुकदमा दायर नहीं कर सकती है.
एसजी ने कहा कि ममता सरकार की ये याचिका आर्टिकल 131 के तहत सुनवाई लायक नहीं है। याचिका में राज्य सरकार ने सीबीआई को पक्षकार नही बनाया है.क्योंकि आर्टिकल 131 के तहत वो पक्षकार नहीं बना सकती. बंगाल सरकार ने केंद्र सरकार को जो पक्षकार बनाया है, उसका कोई औचित्व नही बनता है.एसजी ने कहा कि कई मामले तो ऐसे है जहां हाइकोर्ट के आदेश के चलते सीबीआई जांच कर रही है.लेकिन बंगाल सरकार ने जानबूझकर इन तथ्यों को कोर्ट से छुपाया है.
आपको बता दें कि अनुच्छेद 131 केंद्र सरकार और एक या अधिक राज्यों के बीच विवाद में सुप्रीम कोर्ट के मूल क्षेत्राधिकार से संबंधित है.केंद्र सरकार की ओर से पेश एसजी तुषार मेहता ने जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस संदीप मेहता की पीठ को बताया कि संविधान का अनुच्छेद 131 सुप्रीम कोर्ट ने सबसे क्षेत्राधिकारो में से एक है और इस प्रावधान को लागू करने की अनुमति नहीं दी जा सकती है. पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि सीबीआई कोई पार्टी नहीं हो सकती. मैं सीबीआई के खिलाफ कोई घोषणा नहीं मांग रहा हूं. मैं यह कह रहा हूं कि संघीय ढांचे के तहत अगर कोई राज्य सहमति वापस ले लेता है,तो जांच एजेंसी जांच नहीं कर सकती.
कपिल सिब्बल ने कहा कि जहां तक पर्यवेक्षण की बात है. अन्य सभी मामलों में पर्यवेक्षण का अधिकार केंद्र सरकार के पास है.मेरे विद्वान मित्र एसजी तुषार मेहता कह रहे हैं कि केंद्र सरकार का इससे क्या लेना-देना है? गौरतलब है कि बंगाल सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर दावा किया है कि सीबीआई ने कई मामलों में जांच के लिए राज्य सरकार की मंजूरी नहीं ली है. पश्चिम बंगाल सरकार ने संविधान के अनुच्छेद 131 के तहत केंद्र के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर रखा है.जिसमें आरोप लगाया गया है कि राज्य द्वारा सीबीआई को दी गई सामान्य सहमति वापस लेने के बावजूद भी संघीय एजेंसी एफआईआर दर्ज कर राज्य के मामलों की जांच कर रही है.
-भारत एक्सप्रेस
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