भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ (CJI DY Chandrachud) 8 नवंबर को आखिरी फैसला सुनाएंगे. 10 नवंबर को वह रिटायर हो रहे है. उनका सीजेआई के तौर पर कार्यकाल दो साल तक के लिए है. सीजेआई रिटायरमेंट से पहले कई महत्वपूर्ण फैसला सुनाएंगे. जिसमे अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय का अल्पसंख्यक का दर्जा बरकरार रखना चाहिए या नही. इसको लेकर सीजेआई की अध्यक्षता वाली सात स्दस्यीय संविधान पीठ ने सभी पक्षों की जिरह के बाद फरवरी में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था.
संविधान पीठ को तय करना है कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 30 के तहत अपना अल्पसंख्यक दर्जा बरकरार रखना चाहिए या नही. यह प्रावधान धार्मिक और भाषाई अल्पसंख्यको को अपनी पसंद के शैक्षणिक संस्थान स्थापित करने और उनके प्रबंधन करने का अधिकार देता है. साथ कोर्ट असम में एनआरसी को लेकर भी अपना फैसला सुनाने वाला है. नागरिकता अधिनियम 1955 की धारा 6A को चुनौती दी गई है.
तय तारीख से पहले असम में प्रवेश करने वाले विदेशियों के विभिन्न समूहों की नागरिकता की स्थिति से संबंधित है. सीजेआई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने इसको लेकर फैसला सुरक्षित रखा है. इसके अलावे नौ सदस्यीय संविधान पीठ को यह तय करना है कि औद्योगिक शराब का विनियमय राज्यों के या केंद्र सरकार के पास होना चाहिए.
पीठ ने अप्रैल 2024 में इस पर फैसला सुरक्षित रखा था. आरजी कर मेडिकल कॉलेज में महिला ट्रेनी डॉक्टर से रेप और हत्या के मामले में सीजेआई की अध्यक्षता वाली पीठ ने स्वतः संज्ञान लिया है और पूरे भारत में डॉक्टरों और पैरामेडिकल स्टाफ की सुरक्षा को लेकर राष्ट्रीय टास्क फोर्स की सिफारिशों की समीक्षा करेगा. सुप्रीम कोर्ट BY JUS के विदेशी निवेशकों द्वारा कंपनी के खिलाफ दिवालियापन कार्यवाही को खारिज करने की चुनौती देने वाली याचिका के संबंध में भी फैसला सुनाएंगे.
डीवाई चंद्रचूड़ 2016 में सुप्रीम कोर्ट के जज बने थे. 8 नवंबर 2022 को वह देश के 50वे चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया बने थे. सीजेआई चंद्रचूड़ कई लैंडमार्क फैसला दे चुके है. सुप्रीम कोर्ट के जज के तौर पर भी वो कई फैसले सुना चुके है. डीवाई चंद्रचूड़ द्वारा दिए गए कई फैसले भारत के न्यायिक इतिहास में हमेशा याद रखा जाएगा. सीजेआई की अध्यक्षता वाली पीठ आधार से लेकर धारा 377 निजता का अधिकार और सबरीमाला जैसे अति संवेदनशील मामलों की सुनवाई कर चुके है.
इलेक्टोरल बॉन्ड को लेकर सीजेआई की अध्यक्षता वाली पीठ ने फरवरी में बड़ा फैसला दिया था. सुप्रीम कोर्ट के संविधान पीठ ने 15 फरवरी को भाजपा सरकार द्वारा शुरू की गई चुनावी बॉन्ड योजना को रद्द कर दिया था. 2 जनवरी 2018 को सरकार द्वारा अधिसूचित चुनावी बॉन्ड योजना को राजनीतिक फंडिंग में पारदर्शिता लाने के लिए राजनीतिक दलों को दिए जाने के वाले नकद दान के विकल्प के रूप में पेश किया गया था.
अप्रैल में एनजीओ की ओर से दायर याचिका में दावा किया गया है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद मार्च में जारी चुनावी बॉन्ड डेटा से पता चलता है कि इनमें से अधिकांश कॉरपोरेट द्वारा राजनीतिक दलों को या तो वित्तीय लाभ के लिए या केंद्रीय जांच ब्यूरो, प्रवर्तन निदेशालय और आयकर विभाग सहित केंद्रीय एजेंसियों की कार्रवाई से बचने के लिए क्विड प्रो क्वो व्यवस्था के रूप में दिए गए थे.
जम्मू-कश्मीर से 370 हटाए जाने को लेकर दायर याचिका को खारिज करते हुए सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली संविधान पीठ ने केंद्र सरकार के फैसले पर मुहर लगा दिया था. सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा था कि जम्मू कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है. उन्होंने कहा था केंद्र के फैसले पर सवाल उठना उचित नही है. जाति आधारित भेदभाव से जुड़ी याचिका पर सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि जेलों में जातिगत भेदभाव नही हो सकता है. कैदियों के साथ सम्मानजनक व्यवहार न करना औपनिवेशिक विरासत है.
कोर्ट ने कहा कि कैदियों से जाति पूछने का कॉलम नहीं होना चाहिए. कोर्ट ने तीन महीने में जेल मैनुअल बदले, मौजूदा समय में संविधान के अनुच्छेद 15, 17, 23 सहित अन्य का उल्लंघन हो रहा है. सीजेआई की अध्यक्षता वाली पीठ ने फैसला देते हुए कहा कि स्टेट बार काउंसिल लॉ ग्रेजुएट्स को वकील के तौर पर रजिस्ट्रेशन के लिए तय प्रावधान से ज्यादा फीस नही ले सकती है.सामान्य वर्ग से 650 रुपये और एसी/एसटी वर्ग के लॉ ग्रेजुएट्स से 125 रुपये बक शुल्क ही वसूला जा सकता है.
सीजेआई ने यह भी कहा कि एडवोकेट एक्ट के तहत लॉ ग्रेजुएट को वकील के तौर पर रजिस्ट्रेशन के लिए संसद की ओर से बनाए गए कानूनी प्रावधानों की अवहेलना नही की जा सकती है. चंडीगढ़ मेयर चुनाव को लेकर सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने मेयर चुनाव में अमान्य किए गए 8 बैलेट पार्टी के कुलदीप कुमार को मेयर घोषित कर दिया था. कोर्ट ने कहा था कि पीठासीन अधिकारी अनिल मसीह द्वारा भाजपा प्रत्याशी को विजेता घोषित करने का फैसला अमान्य है. वही अयोध्या में राम मंदिर को लेकर फैसला देने वालों में सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ भी शामिल थे.
यह फैसला तत्कालीन सीजेआई रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली संविधान पीठ ने सुनाया था. वही निजता के अधिकार को लेकर डीवाई चंद्रचूड़ ने अपने पिता के फैसले पलते हुए ऐतिहासिक फैसला दिया था. डीवाई चंद्रचूड़ ने अपने फैसले में कहा था कि निजता का अधिकार संविधान में निहित है, ये अनुच्छेद 21 के तहत जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता मि गारंटी से निकल कर आता है.
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