केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मंगलवार (17 दिसंबर) को राज्यसभा में संविधान पर हुई चर्चा का जवाब दिया. उन्होंने कहा कि मोदी सरकार के लिए संविधान केवल एक दस्तावेज नहीं, बल्कि वंचितों के कल्याण और राष्ट्र निर्माण की मूल प्रेरणा है.
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने तर्क दिया कि अगर कांग्रेस 77 बार संविधान बदल सकती है, यहां तक कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को कम करने वाला एक खंड भी पेश कर सकती है, तो वे इस आधार पर ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ विधेयक पर आपत्ति नहीं कर सकते कि इसके लिए संविधान संशोधन की आवश्यकता होगी. शाह ने कहा कि कांग्रेस ने अपने 55 साल के शासन में 77 बार संविधान में संशोधन किया. उन्होंने यह भी कहा कि भाजपा ने अपने 10 साल के कार्यकाल में अब तक केवल 22 बार ऐसा किया है.
संविधान की खाली प्रति
इसके बाद अनुच्छेद 19ए का जिक्र करते हुए उन्होंने सवाल किया कि इसे क्यों लाया गया. कांग्रेस सदस्यों के जोरदार विरोध के बीच शाह ने कहा, ‘अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर अंकुश लगाने के लिए.’ केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने आरोप लगाया कि कांग्रेस सांसद राहुल गांधी संविधान की खाली प्रति लेकर यह टिप्पणी कर रहे थे कि संविधान खतरे में है और उस पर हमला किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि यह कदम ‘अब तक का सबसे बड़ा धोखा’ है, जबकि एक पार्टी संविधान के बारे में बोल रही है. शाह ने कांग्रेस पर हमला किया और उस पर भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के शासनकाल के दौरान अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को कम करने के लिए संविधान में संशोधन करने का आरोप लगाया.
अमित शाह ने कांग्रेस पर वोट बैंक की राजनीति करने का आरोप लगाते हुए कहा कि इसने कई सालों तक मुस्लिम महिलाओं को उनके अधिकारों से वंचित रखा. उन्होंने एनडीए सरकार द्वारा मुसलमानों के लिए उठाए गए विभिन्न कदमों का जिक्र किया, जिसमें तीन तलाक को खत्म करना भी शामिल है. संविधान पर बहस का जवाब देते हुए शाह ने कहा कि मोदी सरकार ने देश को गुलामी की मानसिकता से मुक्त किया है.
शाह ने कहा, ‘इंदिरा गांधी द्वारा एक और संशोधन लाया गया था, जिसने संसद को नागरिकों के मौलिक अधिकारों को कम करने की शक्ति दी थी.’ गृह मंत्री अमित शाह ने कहा, ‘देश की प्रगति के बारे में सार्थक चर्चा हुई. हमें बहुत लंबी लड़ाई के बाद आजादी मिली. संविधान पर चर्चा युवा पीढ़ी के लिए अच्छा है. देश कितना आगे बढ़ा, यह चर्चा जनता को इस बात का एहसास कराएगी. इस चर्चा में हम गहराई तक गए और हमारा लोकतंत्र पाताल की गहराई तक है.’
आपातकाल को लेकर हमला बोला
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने जून 1975 में 21 महीने के लिए आपातकाल लगाया था, क्योंकि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उनके चुनाव को अमान्य घोषित कर दिया था. शाह ने कहा कि आपातकाल के दौरान लाखों लोगों को जेल में डाल दिया गया था और मीडिया पर भारी सेंसरशिप लगाई गई थी. उन्होंने एक उदाहरण दिया, जिसमें इंडियन एक्सप्रेस ने आपातकाल के विरोध में खाली पन्नों का संपादकीय प्रकाशित किया था.
अमित शाह ने कहा कि संसद के दोनों सदनों में हुई बहस देश के युवाओं के लिए शिक्षाप्रद होगी. इससे देश के लोगों को यह समझने में भी मदद मिलेगी कि किस पार्टी ने संविधान का सम्मान किया है और किसने नहीं. मैं सरदार पटेल को धन्यवाद देता हूं, क्योंकि उनके संघर्षों के कारण ही भारत दुनिया के सामने मजबूती से खड़ा है.
उन्होंने कहा, ‘ये भी साफ हुआ कि जनता ने जब किसी पार्टी को जनादेश दिया, तो उसने सम्मान किया या नहीं किया. संविधान पर चर्चा युवा पीढ़ी के लिए अच्छा है. इस देश की जनता ने लोकतांत्रिक तरीके से अनेक तानाशाहों का अभिमान चूर-चूर करने का काम किया है.’
गृह मंत्री ने कहा, ‘भारत की आजादी पर दुनिया मानने को तैयार नहीं थी कि यह देश संगठित रह पाएगा या संवैधानिक मूल्य स्थापित कर सकेगा, लेकिन आज आजादी के 75 साल बाद, जब हम पीछे मुड़कर देखते हैं, तो यह सरदार वल्लभभाई पटेल के अथक परिश्रम का ही परिणाम है कि हमारा देश मजबूती से खड़ा है.’
उन्होंने कहा कि जो लोग कहते थे कि हम आर्थिक रूप से मजबूत नहीं हो पाएंगे, उनको भी जनता ने व हमारे संविधान ने खूबसूरती से जवाब दिया है. आज हम दुनिया की 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनकर सम्मान के साथ खड़े हैं.
-भारत एक्सप्रेस
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