Assembly Election 2023: छत्तीसगढ़ चुनाव में कांग्रेस की हार के पीछे छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल सरकार का अत्यधिक ग्रामीण फोकस, भाजपा द्वारा “सांप्रदायिक लामबंदी” और पार्टी में लंबे समय से चली आ रही अंदरूनी कलह को कारण बताया गया है. शुक्रवार को पार्टी ने राज्य के नेताओं के साथ हार पर मंथन किया है. इस दौरान ही हार की असली वजह का पता चला है.
कांग्रेस प्रमुख मल्लिकार्जुन खड़गे की अध्यक्षता में मध्य प्रदेश चुनावों में हार की समीक्षा में राहुल गांधी, कमल नाथ और दिग्विजय सिंह और एआईसीसी प्रभारी रणदीप सुरजेवाला सहित वरिष्ठ नेता शामिल हुए. इस दौरान ईवीएम की भूमिका पर सवाल उठाए गए. कुछ नेताओं ने महसूस किया कि कांग्रेस का ध्यान एक व्यक्ति (कमलनाथ) पर था, जिसने भाजपा के विपरीत नेताओं और समुदायों के सामूहिक प्रक्षेपण की अनुमति नहीं दी. यह भी नोट किया गया कि भाजपा ने ओबीसी प्रभुत्व वाली लगभग 80% सीटें जीतीं, और शहरी क्षेत्रों ने भाजपा को वोट दिया. यह तर्क दिया गया कि यह काफी हद तक एससी और एसटी और अल्पसंख्यकों का मजबूत समर्थन था कि कांग्रेस ने अपना 2018 वोट शेयर बरकरार रखा.
छत्तीसगढ़ के बारे में, एआईसीसी अधिकारियों ने मंथन किया कि कांग्रेस ने 2018 में अपना वोट शेयर 42% के साथ लगभग बरकरार रखा था लेकिन भाजपा ने पिछली बार से लगभग 13% की वृद्धि की. मंथन के दौरान चर्चा की गई कि पूरी तरह से द्विध्रुवीय मुकाबला इस तथ्य से स्पष्ट था कि भाजपा और कांग्रेस कुल वोटों का 76% हासिल करते थे, लेकिन इन चुनावों में उनके बीच 88.5% वोट बंट गए.
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बताया गया है कि कांग्रेस के मंथन में जातीय जनगणा पर भी चर्चा की गई, लेकिन इस बात पर फोकस था कि कांग्रेस 18 शहरी सीटों में से दो को छोड़कर बाकी सभी सीटें हार गई. खासकर रायपुर इलाके में उसकी करारी हार हुई,जिसे मुख्यमंत्री बघेल का गढ़ माना जाता है. चुनाव के बाद स्थानीय विश्लेषकों ने शहरी इलाकों में कांग्रेस के खराब प्रदर्शन के लिए हिंदुत्व अभियान और जाति जनगणना पर पार्टी के जोर को जिम्मेदार ठहराया है.हालांकि बैठक में पाया गया कि सरकार का ग्रामीण फोकस शहरों में असफलता का एक कारण बताया जा रहा है.
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