देश

अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ के फैसले को दिल्ली हाई कोर्ट ने किया रद्द, पढ़ें क्या है पूरा मामला

अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ (AIFF) के उस आदेश को दिल्ली हाई कोर्ट ने रद्द कर दिया है, जिसमें फुटबॉलर अनवर अली, इमामी ईस्ट बंगाल फुटबॉल क्लब (EBFC) और दिल्ली एफसी पर त्रिपक्षीय खिलाड़ी ऋण समझौते के कथित उल्लंघन के लिए 12.9 करोड़ का जुर्माना लगाया गया था. न्यायमूर्ति संजीव नरूला ने कहा कि विस्तृत कारण बताए बिना निर्णय जारी करने का एआईएफएफ का कार्य प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का मूल रूप से उल्लंघन है.

कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि न्यायालय की राय में एआईएफएफ पीएससी द्वारा विस्तृत कारण बताए बिना निर्णय जारी करने की प्रथा मूल रूप से प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का उल्लंघन है. निष्पक्ष सुनवाई के अधिकार में न केवल सुनवाई का अवसर शामिल है, बल्कि किसी भी प्रतिकूल निर्णय के कारणों को जानने का अधिकार भी शामिल है.

क्या है मामला?

यह विवाद दिल्ली एफसी (अनवर अली का मूल क्लब) और मोहन बागान सुपर जायंट (एमबीएसजी) के बीच खिलाड़ी ऋण समझौते से उपजा है, जिसके अनुसार खिलाड़ी को चार साल के लिए एमबीएसजी को ऋण दिया गया था.हालांकि, अनवर अली ने 8 जुलाई, 2024 को अनुबंध समाप्त कर दिया और दिल्ली एफसी में वापस आ गए और उसके बाद 10 जुलाई, 2024 को इमामी ईस्ट बंगाल एफसी में स्थानांतरित हो गए.

स्थानांतरण के बाद एमबीएसजी ने एआईएफएफ प्लेयर्स स्टेटस कमेटी (पीएससी) के समक्ष कार्यवाही शुरू की, जिसके परिणामस्वरूप अनवर अली, दिल्ली एफसी और ईबीएफसी को एमबीएसजी को मुआवजे के रूप में 12.9 करोड़ का भुगतान करने का निर्देश दिया गया. इसके अतिरिक्त, अनवर अली को चार महीने के लिए किसी भी मैच में भाग लेने से प्रतिबंधित कर दिया गया और दिल्ली एफसी और ईबीएफसी को दो स्थानांतरण विंडो के लिए नए खिलाड़ियों को पंजीकृत करने से रोक दिया गया.

पीएससी के फैसले को दी चुनौती

दिल्ली एफसी, ईबीएफसी और अनवर अली ने पीएससी के फैसले में विस्तृत कारणों की कमी के कारण प्राकृतिक न्याय के उल्लंघन का आरोप लगाते हुए दिल्ली उच्च न्यायालय के समक्ष इस आदेश को चुनौती दी.

यह भी पढ़ें- पीएम मोदी को दुनिया के किन देशों ने दिया अपना सर्वोच्च नागरिक सम्मान? यहां देखें 2014 से लेकर अब तक की पूरी लिस्ट

उन्होंने तर्क दिया कि आदेश में व्यापक तर्क का अभाव था और लगाए गए प्रतिबंधों के लिए स्पष्ट औचित्य प्रदान करने में विफल रहा. उन्होंने तर्क दिया कि इस चूक ने प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का उल्लंघन किया है, क्योंकि विस्तृत तर्क के अभाव में पक्षों के लिए निर्णय के आधार को समझना और प्रभावी ढंग से इसका विरोध करना मुश्किल हो गया.

-भारत एक्सप्रेस

गोपाल कृष्ण

Recent Posts

महाकुम्भ में हो पुख्ता सुरक्षा व्यवस्था, इंटेलिजेंस बढाएं, माफिया-गुर्गों पर भी कार्रवाई तेज करें: CM योगी

CM योगी ने आज प्रयागराज में महाकुम्भ से जुड़ी तैयारियों की समीक्षा की, आवश्यक कार्यों…

3 hours ago

… तो ये है असली कारण जिसकी वजह से शमी नहीं खेल पाएंगे Border–Gavaskar Trophy

भारतीय तेज़ गेंदबाज़ मोहम्मद शमी के नाम पर बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफ़ी के अंतिम दो मैचों में…

3 hours ago

शेख हसीना का प्रत्यर्पण: जानिए भारत इससे कैसे कर सकता है इनकार!

बांग्लादेश की मौजूदा सरकार ने भारत से पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के प्रत्यर्पण की आधिकारिक…

5 hours ago

Mohan Bhagwat के बयान पर क्यों हुए नाराज संत?

Video: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के प्रमुख चीफ मोहन भागवत ने हाल ही में नए…

5 hours ago

आतंकी लांडा और गैंगस्टर पवित्र बठिंडा के मुख्य सहयोगी को पंजाब आतंकवादी साजिश मामले में मुंबई से NIA ने किया गिरफ्तार

NIA ने खालिस्तानी आतंकवादी लखबीर सिंह लांडा और गैंगस्टर बचितर सिंह के मुख्य सहयोगी जतिंदर…

5 hours ago

अडानी डिफेंस एंड एयरोस्पेस ने 400 करोड़ के एंटरप्राइज वैल्यू पर एयर वर्क्स इंडिया प्राइवेट लिमिटेड का अधिग्रहण किया

अडानी डिफेंस एंड एयरोस्पेस द्वारा एयर वर्क्स इंडिया प्राइवेट लिमिटेड का अधिग्रहण किया जाना अडानी…

5 hours ago