दिल्ली हाई कोर्ट ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार को निर्देश दिया है कि वह निर्दिष्ट समय सीमा के भीतर अपने आधिकारिक पोर्टल पर मुस्लिम विवाहों का ऑनलाइन पंजीकरण सक्षम करे. न्यायमूर्ति संजीव नरूला ने मुख्य सचिव को व्यक्तिगत रूप से निर्देश के कार्यान्वयन की निगरानी करने और समय पर अनुपालन सुनिश्चित करने का निर्देश दिया.
अदालत एक जोड़े द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रती है जिन्होंने 11 अक्टूबर, 2023 को इस्लामी शरिया कानून के तहत विवाह किया था. विदेश यात्रा करने का इरादा रखने वाले जोड़े ने वीजा जारी करने के लिए कुछ देशों द्वारा आवश्यक रूप से अपने विवाह को पंजीकृत करने की मांग की. हालांकि मुस्लिम पर्सनल लॉ के तहत संपन्न विवाहों के लिए एक प्रभावी ऑनलाइन पंजीकरण तंत्र की अनुपस्थिति के कारण याचिकाकर्ताओं को विशेष विवाह अधिनियम, 1954 के तहत अपने विवाह को पंजीकृत करने के लिए मजबूर होना पड़ा.
याचिकाकर्ता दंपत्ति की ओर से पेश हुए अधिवक्ता एम. सूफियान सिद्दीकी ने कहा कि याचिकाकर्ताओं को सरकार द्वारा अनिवार्य विवाह पंजीकरण प्रणाली के अधीन किया गया था, जिसमें केवल दो विकल्प दिए गए थे – हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 या विशेष विवाह अधिनियम, 1954 के तहत पंजीकरण – इसके ऑनलाइन पोर्टल पर.
दिल्ली (विवाह का अनिवार्य पंजीकरण) आदेश, 2014 के तहत ऑफ़लाइन विकल्प या उपयुक्त ऑनलाइन विकल्प की अनुपस्थिति ने याचिकाकर्ताओं को प्रभावी रूप से उनके विश्वास और इरादे के विपरीत एक वैधानिक व्यवस्था में मजबूर कर दिया, जिससे अनुच्छेद 14, 21 और 25 के तहत उनके संवैधानिक अधिकारों का गंभीर उल्लंघन हुआ.
अदालत ने नोट किया कि याचिकाकर्ताओं का विवाह इस्लामी शरिया कानून के अनुसार हुआ था. बाद में उन्होंने 9 जुलाई, 2024 को मुबारत नामा निष्पादित किया जो इस्लामी कानून के तहत मान्यता प्राप्त आपसी सहमति से तलाक का एक रूप है. वर्तमान याचिका दोनों याचिकाकर्ताओं के हलफनामों द्वारा समर्थित है, उनके हस्ताक्षर उनके वकील द्वारा सत्यापित किए गए हैं.
–भारत एक्सप्रेस
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