दिल्ली हाईकोर्ट रोहिणी स्थित आशा किरण आश्रय गृह में 14 लोगों की मौत के मामले में दायर याचिका पर सुनवाई के लिए 12 नवंबर की तारीख तय की है. याचिकाकर्ता के वकील ने आश्रय गृह के अंदर कैदियों पर शारीरिक हमले का आरोप लगाया, जिसके बाद मुख्य न्यायाधीश मनमोहन व न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ ने उनसे अपने दावे पर हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है.
मामले की सुनवाई के दौरान वकील ने कोर्ट को बताया कि उन्होंने न्यायालय में संबंधित दस्तावेज पहले ही दाखिल कर दिए है, जो न्यायालय के रिकार्ड में नही है. इस मामले में कुछ चिंताजनक घटनाक्रम है ये दो घटनाओं की पोस्टमार्टम रिपोर्ट है, दोनों में पाया गया है कि ये आशा किरण के अंदर शारीरिक हमले के कारण हुई है, उन्होंने कोई कार्रवाई नहीं कि है. वकील ने कहा कि उन्होंने एफआईआर भी दर्ज नहीं की है.
याचिकाकर्ता के वकील ने आगे कहा कि दिल्ली सरकार ने अपनी रिपोर्ट में खुलासा किया है कि डीएम को आश्रय गृह का प्रशासक नियुक्त किया गया है, जो अदालत के आदेश की भावनाओ के खिलाफ है, जिसमें सुविधा का नेतृत्व करने के लिए एक समर्पित व्यक्ति की आवश्यकता होती है और अधिकारी के पास पहले से ही कई अन्य जिम्मेदारियां है.
बता दें कि इससे पहले हाईकोर्ट ने सभी विदेशी बंदियों को FRRO शहजादाबाद में स्थानांतरित करने का आदेश दिया था. कोर्ट ने कहा था कि इस आशा किरण आश्रय गृह में 570 लोगों को रखने की क्षमता है. जबकि फिलहाल 928 लोग रह रहे हैं. दिल्ली हाईकोर्ट ने क्षमता से ज्यादा रह रहे कैदियों को जगह ट्रांसफर करने का निर्देश दिया था. इससे पहले कोर्ट ने मेडिकल और गैर-मेडिकल स्टाफ की कमी पर चिंता जाहिर किया था.
हाईकोर्ट ने समाज कल्याण सचिव को व्यक्तिगत रूप से स्थिति की निगरानी करने को कहा था. कोर्ट ने कहा था कि यदि केंद्र में भीड़भाड़ है, तो वहां रहने वाले लोगों को किसी दूसरे अच्छे स्थान पर भेजा जाना चाहिए. बता दें कि जुलाई में आशा किरण आश्रय गृह में एक बच्चों सहित 14 लोगों की मौत हो गई थी. आशा किरण आश्रय गृह में फिलहाल बच्चों और महिलाओं समेत 980 मानसिक रूप से बीमार लोग रह रहे हैं. एक आंकड़े के मुताबिक फरवरी से अब तक 25 लोगों की मौत हो चुकी है.
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-भारत एक्सप्रेस
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