यूएपीए के तहत सजा को चुनौती देने वाली सादिया अनवर शेख की याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट ने एनआईए को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. न्यायमूर्ति प्रतिभा एम सिंह और अमित शर्मा की खंडपीठ ने एनआईए को अगली सुनवाई की तारीख से दो दिन पहले जवाबी हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है.
सादिया अनवर शेख ने अधिवक्ता रजत कुमार के माध्यम से 6 मई, 2024 को सुनाई गई सजा के आदेश को चुनौती देते हुए अपील दायर की थी. उन्हें गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम, 1967 (यूएपीए) की धारा 38 और 39 के तहत अपराधों के लिए 7 साल की सजा सुनाई गई थी. सादिया अनवर शेख को चार अन्य लोगों के साथ राष्ट्र विरोधी गतिविधियों को अंजाम देने और इस्लामिक स्टेट खुरासान प्रांत (आईएसकेपी) के साथ उनके जुड़ाव के लिए दोषी ठहराया गया था, जो प्रतिबंधित आतंकी संगठन आईएसआईएस का हिस्सा है.
सादिया अनवर शेख को सात साल की कारावास की सजा सुनाई गई थी. उसे 18 अप्रैल, 2024 को दोषी ठहराया गया था. गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) 1967 की धारा 38 आतंकवादी संगठन में सदस्यता से संबंधित अपराधों से संबंधित है. इसमें कहा गया है कि ऐसा अपराध करने वाले व्यक्ति को जुर्माना, 10 साल तक की कैद या दोनों से दंडित किया जा सकता है. गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) 1967 की धारा 39 आतंकवादी संगठनों का समर्थन करने से संबंधित है.
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इस मामले को अन्य दोषियों द्वारा दायर की गई 4 अन्य अपीलों के साथ 11 सितंबर को सूचीबद्ध किया गया है. विशेष एनआईए अदालत ने अब्दुल्ला बसिथ, जहाँज़ैब सामी, उनकी पत्नी हीना बशीर बेग, नबील सिद्दीक और सादिया अनवर शेख़ को दोषी ठहराया था. वह महाराष्ट्र के पुणे जिले की रहने वाली है.
-भारत एक्सप्रेस
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