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भारत में कैम्पस स्थापित करेगी ब्रिटेन की साउथेम्प्टन यूनिवर्सिटी

दुनिया के शीर्ष 100 विश्वविद्यालयों में शुमार ब्रिटेन की साउथेम्प्टन यूनिवर्सिटी अब भारत में पूर्ण विकसित कैम्पस स्थापित करेगी. भारत सरकार द्वारा लाइसेंस प्राप्त करने वाली यह ब्रिटेन की पहली यूनिवर्सिटी बन गई है. यूजीसी से लाइसेंस मिलना साउथेम्प्टन यूनिवर्सिटी के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है. ब्रिटेन की यह यूनिवर्सिटी भारत में शिक्षा, रिसर्च, नॉलेज एक्सचेंज और एंटरप्राइज़ को बढ़ावा देने में योगदान देगी.

यूजीसी चेयरमैन प्रोफेसर एम. जगदीश कुमार के मुताबिक, साउथेम्प्टन विश्वविद्यालय के भारतीय परिसर में जुलाई 2025 में शैक्षणिक कार्यक्रम शुरू होने की उम्मीद है. यहां पेश किए जाने वाले पाठ्यक्रम- व्यवसाय और प्रबंधन, कंप्यूटिंग, कानून, इंजीनियरिंग, कला और डिजाइन, बायोसाइंसेज और जीवन विज्ञान पर केंद्रित होंगे. यूजीसी का मानना है कि साउथेम्प्टन विश्वविद्यालय के भारतीय परिसर की शुरुआत देश में पाठ्यक्रम और अध्ययन के अवसरों के संदर्भ में छात्रों के लिए फायदेमंद होगी.

इस अवसर पर साउथेम्प्टन यूनिवर्सिटी के प्रेसिडेंट और वाइस चांसलर मार्क ई. स्मिथ ने कहा, “21वीं सदी में, यूनिवर्सिटीज़ को वैश्विक रूप से खुद को स्थापित करने के लिए भारत से जुड़ने की आवश्यकता है. हमारा लक्ष्य भारत में एक ऐसे कैम्पस की स्थापना करना है, जो भारत और साउथेम्प्टन यूनिवर्सिटी दोनों के लिए लाभकारी हो, और भारत की बढ़ती प्रतिभा को साउथेम्प्टन की शीर्ष शिक्षा, शोध और नवाचार का एक नया स्तर प्रदान करे. इस नए कैम्पस के साथ, साउथेम्प्टन यूनिवर्सिटी भारत के युवाओं की क्षमता और प्रतिभा को प्रखर रखते हुए भारत सरकार के महत्वपूर्ण लक्ष्यों को पूरा करने में सहायता करेगी.”

गौरतलब है कि यह यूनिवर्सिटी भारत में पांच दशकों से भी अधिक समय से सक्रिय है. देश में इसकी विभिन्न साझेदारियां हैं, जो परस्पर रूप से दोनों पक्षों के लिए लाभकारी हैं. शिक्षाविदों का कहना है कि अब नया कैम्पस साउथेम्प्टन यूनिवर्सिटी के रिसर्च सहयोग तथा शिक्षण संबंधों को और भी मजबूत बनाएगा. इससे छात्रों और कर्मचारियों को गतिशीलता मिलेगी तथा स्थानीय लोगों और समुदाय की सहभागिता सुनिश्चित होगी.

इस कैम्पस का उद्देश्य विश्व स्तर पर विशिष्ट और सर्वोच्च कौशल वाले स्नातक तैयार करना है, ताकि भारत की बढ़ती ज्ञान अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहित किया जा सके. यह कैम्पस स्थानीय यूनिवर्सिटीज़, इंडस्ट्रीज़ और सरकार के साथ शोध और ज्ञान के आदान-प्रदान पर भी सहयोग करेगा. साथ ही, प्राप्त जानकारियों को लागू भी करेगा, जिससे सामाजिक और आर्थिक प्रभाव तथा अधिक उद्यमशील और अभिनव वातावरण को बढ़ावा मिलेगा.

विश्वविद्यालय को अनुमति मिलने के अवसर पर भारत में ब्रिटिश उच्चायुक्त लिंडी कैमरून ने कहा, “साउथेम्प्टन यूनिवर्सिटी का नया कैम्पस विश्व स्तर की शिक्षा और नवाचार का केंद्र होगा. इसके माध्यम से, ब्रिटिश छात्रों को भी भारत में रहने और शिक्षा अर्जित करने के अवसर मिल सकेंगे, जिससे शैक्षिक उत्कृष्टता बढ़ेगी. दोनों देशों के बीच संबंध और भी गहरे होंगे.”

वहीं, ब्रिटिश काउंसिल की भारत निदेशक एलिसन बैरेट एमबीई का कहना है कि साउथेम्प्टन यूनिवर्सिटी द्वारा भारत में कैम्पस स्थापित करने का निर्णय भारत और यूके के बीच शिक्षा की मजबूत साझेदारी का प्रमाण है.

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-भारत एक्सप्रेस

Vikash Jha

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