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दिल्ली हाईकोर्ट ने नागा विद्रोही समूह से संबंधित आतंकी फंडिंग मामले में दूसरे आरोपी को जमानत देने से किया इनकार

दिल्ली हाईकोर्ट ने नागा विद्रोही समूह नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नगालैंड-इसाक मुइवा (एनएससीएन (आईएम)) से संबंधित आतंकी फंडिंग मामले में दूसरे आरोपी मासासोसांग एओ को जमानत देने से इनकार कर दिया है. न्यायमूर्ति सुरेश कुमार कैत एवं मनोज जैन की पीठ ने कहा कि भले ही एनएससीएन (आईएम) को आतंकी संगठन घोषित करने की औपचारिक घोषणा न हुआ हो, लेकिन मासासोसांग के खिलाफ लगाए गए आरोप काफी गंभीर हैं. इस दशा में उसे जमानत पर रिहा नहीं किया जा सकता. पीठ ने यह कहते हुए उसकी जमानत याचिका खारिज कर दी.

दिल्ली हाईकोर्ट ने जमानत देने से किया इनकार

पीठ ने कहा कि अभियोजन पक्ष के अनुसार एनएससीएन (आईएम) के लिए आतंकी फंड जुटाने को लेकर सभी आरोपियों के बीच एक आपराधिक साजिश की बात है. याचिकाकर्ता ऐसी साजिश को आगे बढ़ाने में काम कर रहा था. उसने इस तरह के पैसे को छिपाने और इधर-उधर करने के लिए बैंक खाते खोले थे. साथ ही खुद को बचाने के इरादे से जबरन वसूली के पैसे एवं सबूतों को गायब करने के लिए सभी प्रयास किए थे. इस प्रकार आरोपों के अनुसार उसने धोखाधड़ी से आतंकवादी निधि को छिपाया. उसे कानून के शिकंजे से भागने की अनुमति नहीं दी जा सकती कि बैंक खाते भले ही उसके नाम पर थे, लेकिन उसका नियंतण्रसह आरोपी कर रहा था.

पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता एक सरकारी कर्मचारी है और उसे इस तरह के खातों में होने वाले वित्तीय लेनदेन की गंभीरता के बारे में सावधान रहना चाहिए था. उसे केवल मौखिक रूप से यह कहने की छूट नहीं दी जा सकती कि उसका इन खातों से कोई संबंध नहीं है. पीठ ने कहा कि यह मामला तब सामने आया जब 17 दिसंबर, 2019 को अलेमला जमीर नामक एक महिला को गिरफ्तार किया गया और उसके पास से बड़ी मात्रा में नकदी बरामद की गई. आयकर अधिनियम के तहत पूछताछ के दौरान उसने कबूल किया कि यह नकदी एनएससीएन (आईएम) की थी और इसका उद्देश्य भारत में आतंकवादी अभियानों सहित उनकी गतिविधियों को वित्तपोषित करना था.

जांच के दौरान उसके घर से ड्रोन, बुलेटप्रूफ जैकेट, कारतूस और नागा सेना के झंडे सहित कई आपत्तिजनक सामान जब्त किए गए थे. मासासोसांग की पहचान उसके बहनोई के रूप में की गई थी और कथित तौर पर एनएससीएन (आईएम) के लिए धन जुटाने में उसकी सहायता करने में शामिल था. इस प्रकार मासासोसांग को गिरफ्तार कर लिया गया और आरोप है कि उसने जबरन वसूली गई धनराशि को संभालने के लिए बैंक खाते खोले और इसकी उत्पत्ति को छिपाने के लिए धोखाधड़ी वाले भूमि सौदों में शामिल रहा.

ये भी पढ़ें- अनुच्छेद 370 को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका हुई खारिज

-भारत एक्सप्रेस

गोपाल कृष्ण

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