देश

20 साल पुराने आपराधिक अवमानना मामले में मेधा पाटकर के लिए अधिकतम सजा की मांग

20 साल पुराने एक आपराधिक अवमानना मामले में नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेता और कार्यकर्ता मेधा पाटकर की सजा की सजा पर बहस के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील ने अधिकतम सजा की मांग की है। जबकि मेधा पाटकर की ओर से पेश वकील ने कहा कि उन्होंने समाज के लिए बहुत काम किया है। उन्हें कई अवार्ड मिला हुआ है। उनकी उम्र काफी हो गई है, लिहाजा अच्छे आचरण को देखते हुए उन्हें छोड़ दिया जाए।

कोर्ट ने फैसला किया सुरक्षित

कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया है। कोर्ट ने मेधा पाटकर से हलफनामा दाखिल करने को कहा है। कोर्ट 7 जून को सजा पर फैसला सुनायेगा। साकेत कोर्ट के मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट राघव शर्मा ने पाटकर को आईपीसी की धारा 500 के तहत दोषी ठहराया था। पाटकर के खिलाफ दिल्ली के वर्तमान उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने वर्ष 2001 में आपराधिक मानहानि की शिकायत की थी। उस समय वे अहमदाबाद स्थित एनजीओ नेशनल काउंसिल फॉर सिविल लिबर्टीज के प्रमुख थे।

2001 में अदालत ने मामले का लिया संज्ञान 

सक्सेना ने पाटकर के खिलाफ 25 नवंबर, 2000 को अहमदाबाद की एक अदालत में मानहानि का शिकायत किया था और उसमें पाटकर की एक प्रेस नोट का हवाला दिया था। प्रेस नोट ‘देशभक्त का असली चेहरा‘ शीषर्क से था और उसमें कहा गया था कि हवाला लेन-देन से दुखी वीके सक्सेना खुद मालेगांव आए। एनबीए की तारीफ की और 40 हजार रुपए का चेक दिया। लेकिन चेक भुनाया नहीं जा सका और बाउंस हो गया। जांच करने पर बैंक ने बताया कि खाता मौजूद ही नहीं है। पाटकर ने यह भी कहा था कि सक्सेना कायर है, देशभक्त नहीं। अदालत ने इस मामले में वर्ष 2001 में संज्ञान ले लिया था और पाटकर को नोटिस जारी किया था। बाद में सुप्रीम कोर्ट के आदेश से इस मुकदमे को दिल्ली स्थानांतरित कर दिया गया था।

पाटकर ने खुद को बताया निर्दोष

पाटकर ने खुद को निर्दोष बताया था और आरोप साबित करने की बात कही थी। मजिस्ट्रेट ने अपने फैसले में कहा था कि पाटकर की हरकतें जानबूझकर और दुर्भावनापूर्ण थीं, जिसका उद्देश्य सक्सेना की अच्छी छवि को धूमिल करना था। इससे उनकी छवि और साख को काफी नुकसान पहुंचा है। उनके लगाए गए आरोप भी न केवल मानहानिकारक हैं, बल्कि नकारात्मक धारणाओं को भड़काने के लिए भी गढ़े हुए हैं। इसके अलावा यह आरोप कि शिकायतकर्ता गुजरात के लोगों और उनके संसाधनों को विदेशी हितों के लिए गिरवी रख रहा है, यह उनकी ईमानदारी और सार्वजनिक सेवा पर सीधा हमला है।

इसे भी पढ़ें: प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर पर्वतीय चोटियां, ताजे पानी की झील और शांति स्तूप… इन दिनों पोखरा में लीजिए हरियाली का मजा

शिकायतकर्ता को ‘कायर व देशभक्त नहीं‘ के रूप में लेबल करने का पाटकर का बयान उनके व्यक्तिगत चरित्र और राष्ट्र के प्रति वफादारी पर सीधा हमला था। इस तरह के आरोप सार्वजनिक क्षेत्र में विशेष रूप से गंभीर हैं, जहां देशभक्ति को बहुत महत्व दिया जाता है। किसी के साहस और देश के प्रति निष्ठा पर सवाल उठाने से उनकी सार्वजनिक छवि औरसामाजिक प्रतिष्ठा को अपूरणीय क्षति हो सकती है। ये शब्द न केवल भड़काऊ थे, बल्कि सार्वजनिक जीवन में उन्हें नीचा दिखाना व उनके सम्मान को कम करने के इरादे से था।

गोपाल कृष्ण

Recent Posts

मृत घोषित होने के बाद हो रहा था अंतिम संस्कार, चिता पर अचानक उठ बैठा युवक, फिर क्या हुआ जानें

राजस्थान के झुंझुनू जिले का मामला. इस घटना को राजस्थान सरकार ने गंभीर लापरवाही का…

27 minutes ago

पंजाब में आम आदमी पार्टी की कमान अब कैबिनेट मंत्री अमन अरोड़ा के हाथ, बनाए गए नए प्रदेश अध्यक्ष

अमन अरोड़ा पंजाब सरकार में कैबिनेट मंत्री हैं. शुक्रवार को संसदीय मामलों की समिति की…

52 minutes ago

आखिर क्या है Joint Therapy, जो Amir Khan को अपनी बेटी Ira संग लेने की पड़ रही जरूरत?

Aamir Khan Taking Joint Therapy With Daughter Ira: आमिर खान ने खुलासा किया कि वे…

1 hour ago

America: स्टूडेंट के साथ बार-बार सेक्स करने के मामले में Ex-Teacher को 30 साल की सजा

अमेरिका के मैरिलैंड राज्य का मामला. मामले की जांच करने वाले अधिकारियों ने बताया कि…

1 hour ago

दिल्ली में वायु प्रदूषण को लेकर ग्रेप 4 लागू होगा या नहीं, सुप्रीम कोर्ट इस दिन सुनाएगा फैसला

Delhi Air Pollution: दिल्ली वायु प्रदूषण मामले में सुप्रीम कोर्ट 25 नवंबर को सुनवाई करेगा.…

1 hour ago