सुप्रीम कोर्ट ने आज मंगलवार को भारतीय चुनाव आयोग (ईसीआई) से पूछा कि क्या इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (ईवीएम) में हेरफेर करने वाले प्राधिकारों और अधिकारियों को सजा देने का कोई कानून है.
जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की बेंच ने कहा कि जब तक कड़ी सजा का डर नहीं होगा, हेरफेर की संभावना हमेशा बनी रहेगी. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मान लीजिए कि जो सजा तय की गई है उसमें कुछ हेरफेर किया गया है. यह गंभीर बात है. यह डर होना चाहिए कि अगर कुछ गलत किया है तो सजा मिलेगी.
ईसीआई के वकील ने जवाब में कहा कि कार्यालय का उल्लंघन दंडनीय है. इस पर जस्टिस खन्ना ने कहा कि हम प्रक्रिया पर नहीं, बल्कि कोई हेरफेर किया गया है तो उसके संबंध में कोई विशेष प्रावधान नहीं है. हालांकि, कोर्ट ने साथ ही यह भी कहा कि सिस्टम पर संदेह नहीं किया जाना चाहिए.
इसे भी पढ़ें: सुप्रीम कोर्ट में EVM-VVPAT मामले में 18 अप्रैल को अगली सुनवाई
जस्टिस दत्ता ने याचिकाकर्ताओं की दलीलों पर कहा कि मेरे गृह राज्य पश्चिम बंगाल की जनसंख्या जर्मनी से भी अधिक है. हमें किसी पर भरोसा करने की जरूरत है. इस तरह व्यवस्था को गिराने की कोशिश न करें. अदालत चुनावों में वोटर वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपीएटी) पर्चियों की गहन गिनती की मांग करने वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी.
दिल्ली विधानसभा में विपक्ष के नेता विजेंद्र गुप्ता द्वारा दायर याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट…
पीएम मोदी ने आगे कहा कि भाषा एक समय हाशिए पर रहने वाले समुदायों के…
इस मामले में लालू प्रसाद यादव सहित उनके परिवार के पांच सदस्य आरोपी है. इसमें…
राजयोगी ब्रह्माकुमार ओमप्रकाश 'भाईजी' ब्रह्माकुमारीज संस्था के मीडिया प्रभाग के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं इंदौर…
छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले में ‘महतारी वंदन योजना’ के तहत सनी लियोनी को हर महीने…
winter care for pregnant women: सर्दी में प्रेग्नेंसी के दौरान विटामिन डी की कमी हो…