सुप्रीम कोर्ट ने आज मंगलवार को भारतीय चुनाव आयोग (ईसीआई) से पूछा कि क्या इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (ईवीएम) में हेरफेर करने वाले प्राधिकारों और अधिकारियों को सजा देने का कोई कानून है.
जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की बेंच ने कहा कि जब तक कड़ी सजा का डर नहीं होगा, हेरफेर की संभावना हमेशा बनी रहेगी. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मान लीजिए कि जो सजा तय की गई है उसमें कुछ हेरफेर किया गया है. यह गंभीर बात है. यह डर होना चाहिए कि अगर कुछ गलत किया है तो सजा मिलेगी.
ईसीआई के वकील ने जवाब में कहा कि कार्यालय का उल्लंघन दंडनीय है. इस पर जस्टिस खन्ना ने कहा कि हम प्रक्रिया पर नहीं, बल्कि कोई हेरफेर किया गया है तो उसके संबंध में कोई विशेष प्रावधान नहीं है. हालांकि, कोर्ट ने साथ ही यह भी कहा कि सिस्टम पर संदेह नहीं किया जाना चाहिए.
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जस्टिस दत्ता ने याचिकाकर्ताओं की दलीलों पर कहा कि मेरे गृह राज्य पश्चिम बंगाल की जनसंख्या जर्मनी से भी अधिक है. हमें किसी पर भरोसा करने की जरूरत है. इस तरह व्यवस्था को गिराने की कोशिश न करें. अदालत चुनावों में वोटर वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपीएटी) पर्चियों की गहन गिनती की मांग करने वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी.
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