UP News: उत्तर प्रदेश सरकार के नगर विकास एवं ऊर्जा मंत्री एके शर्मा ने विद्युत दुर्घटनाओं से हो रही जनधन हानि को रोकने के सख्त निर्देश दिए हैं, उन्होंने कहा कि अधिकारी विद्युत दुर्घटना को रोकने के लिए पूरी संवेदनशीलता के साथ कार्य करें. बरसात में विद्युत पोल, ट्रांसफार्मर एवं इसकी सुरक्षा जाली, स्टेवायर एवं बाक्स में करंट उतरने का खतरा बना रहता है, जिससे दुर्घटनायें हो रही हैं. इसको रोकने के लिए सभी अधिकारी अपने-अपने क्षेत्रों में जाए और ऐसी परिस्थितियों का शीघ्र समाधान करें, लोगों को जागरूक करें कि खासतौर से बरसात में विद्युत के ऐसे उपकरणों को छूने से बचें.
ऊर्जा मंत्री के निर्देशों के क्रम में पावर कारपोरेशन के अध्यक्ष ने सभी डिस्कॉम के प्रबंध निदेशकों को विद्युत दुर्घटनाओं को रोकने के सम्बन्ध में दिशा-निर्देश जारी किये हैं. वर्तमान समय में श्रावण माह के दौरान कांवड यात्रा चल रही है, इस दौरान विद्युत दुर्घटनाओं की रोकथाम के लिए विशेष प्रयास किए जाएं. विद्युत दुर्घटना घटित न हो, इसके लिए उस क्षेत्र के कांवडियों के मार्ग पर लाइन मैन तथा विशेष रूप से सम्बन्धित कार्मिकों द्वारा पेट्रोलिंग की जाए तथा कांवड अवधि में स्थापित कन्ट्रोल रूम पूर्णतः क्रियाशील रहे.
इस दौरान ग्राम प्रधानों तथा नगर निकायों के महापौर/अध्यक्ष/सभासदों को 33/11 वाट एवं एल०टी० लाइन की ऊँचाई के बारे में निर्धारित मानकों से अवगत कराया जाए. सम्बन्धित मुख्य अभियन्ता/अधीक्षण अभियन्ता/अधिशासी अभियन्ता द्वारा जिला प्रशासन एवं पुलिस प्रशासन से अनुरोध किया जाए कि विद्युत लाईनों की ऊंचाई के मानक के सम्बन्ध में सूचना आयोजकों को दें, जिससे कि कांवड यात्रा में प्रयुक्त वाहन की ऊँचाई निर्धारित की जा सके.
ऐसे स्थानों को चिन्हित किया जाये, जहाँ से कांवड यात्रा गुजर रही है या कांवडियों के रूकने का स्थान हैं. इन स्थलों पर पोस्टर चस्पा कर दिये जायें, सूचनापट्/होर्डिंग लगा दिये जायें, जिससे कि वे विद्युत सुरक्षा के दृष्टिगत पोल/लाइन के नीचे न जायें. स्थानीय समाचार पत्रों/टी०वी० चैनलों/सोशल मीडिया के माध्यम से विद्युत सुरक्षा के नियमों से अवगत कराया जाए, खुले में रखे परिवर्तकों को चिन्हित कर उनके बाहर जाली लगाकर गार्डिंग सुनिश्चित किया जाए.
ग्रामीण एवं शहरी अंचलों में जो रोड़ क्रासिंग हैं वहां सड़क मरम्मत के बाद सड़क की ऊँचाई बढ़ने से विभिन्न 33/11 वाट/एल0टी0 लाइन का जमीन से क्लीयरेन्स निरन्तर कम होने की सम्भावना है. इन सड़कों से जब बड़ी ऊँचाई के ट्रक या बस लाइनों के नीचे से गुजरते हैं तो उसमें कम क्लीयरेन्स होने के कारण तार छूना और दुर्घटनायें होने की सम्भावना रहती है. रोड़ क्रांसिग पर दोनों ओर जहाँ आवश्यक हो 11 मीटर पोल लगा कर क्रांसिग से ग्राउण्ड क्लीयरेन्स बढ़ाया जाए और सम्बन्धित अवर अभियन्ताओं से सर्टीफिकेट ले लिया जाए कि कोई खतरनाक क्रांसिंग उनके क्षेत्र में नहीं रह गयी हैं, क्रांसिंग पर लाइनों की जाली से गार्डिंग भी सुनिश्चित की जाए. नहर की पटरी के किनारे जो विद्युत लाइनें बनी है उन पर भी मिट्टी के पटान के कारण ग्राउण्ड क्लीयरेंस कम होने से वहां भी जब वाहन गुजरतें हैं तो विद्युत लाइनों से दुर्घटना होने की सम्भावना रहती हैं इसलिए उक्त क्षेत्र में भी विशेष ध्यान रखा जाए.
पोल में करेंट आने के कारण भी दुर्घटनायें घटित होती हैं. पोल में करेंट तब आता है जब उनकी ठीक प्रकार से अर्थिंग नहीं होती हैं इसलिए यह दिखवा लिया जाए कि मानक के अनुसार पोल की समुचित अर्थिंग सुनिश्चित हो. भीड़-भाड़ वाले क्षेत्रों में एल०टी० लाइन पोलों की टेस्टर से रैण्डम टेस्टिंग कराने के साथ ही लाइनों के नीचे तथा आस-पास जहाँ मानक के आधार पर वांछित क्लियरेन्स नहीं है, निर्माण पर रोक लगाये जाने हेतु जिला प्रशासन के सहयोग से प्रभावी कार्यवाही सुनिश्चित की जाए.
-भारत एक्सप्रेस
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