दिल्ली के आस-पास जुटे प्रदर्शनकारी किसानों ने अपनी मांगों को पूरा करवाने के लिए शुरू किए आंदोलन की रणनीति बदलने का फैसला किया है. रविवार को जब हजारों किसान दिल्ली की ओर बढ़ रहे थे, तो उनकी पुलिस से झड़प हुई. हरियाणा पुलिस ने किसानों को रोकने के लिए कई स्तर पर बैरिकेडिंग लगाई और आंसू गैस के गोले दागे. किसानों पर गर्म पानी की बौछारें भी छोड़ीं.
झड़प में कम से कम पांच किसानों के घायल होने की सूचना मिली है. वहीं, बताया जा रहा है कि अब किसान नेता कल ‘नो दिल्ली चलो’ मार्च निकालेंगे.
कई आंदोलनकारियों का कहना है कि वे सोमवार को अपनी आगामी कार्रवाई पर विचार करेंगे और फिर अगले कदम का ऐलान करेंगे.
रविवार को किसानों द्वारा शुरू की गई पदयात्रा को हरियाणा के शंभू बॉर्डर पर पुलिस ने भारी बैरिकेडिंग से रोका. पुलिस ने किसानों को रोकने के लिए आंसू गैस के गोले फेंके, जिसके कारण कई किसानों को चोटें आईं. घायल किसानों में फतेहाबाद के दीदार सिंह, तरनतारन के मेजर सिंह और मोगा जिले के 70 वर्षीय कर्नैल सिंह शामिल हैं. उनको अस्पताल भेजा गया है, वहीं एक अन्य घायल को पीजीआई चंडीगढ़ रेफर किया गया है.
किसान नेताओं ने अपनी प्रमुख मांगें फिर से दोहराई हैं. उनका कहना है कि वे न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) के लिए कानूनी गारंटी चाहते हैं. इसके अलावा किसानों का ऋण माफी, किसानों और खेत मजदूरों के लिए पेंशन, बिजली दरों में वृद्धि पर रोक, किसानों के खिलाफ दर्ज पुलिस मामलों की वापसी, और 2021 के लखीमपुर खीरी हिंसा के शिकार किसानों के परिवारों के लिए न्याय की मांग भी की गई है. किसान नेताओं ने यह भी कहा कि 2020-21 में हुए आंदोलन में शहीद हुए किसानों के परिवारों को मुआवजा दिया जाए और भूमि अधिग्रहण कानून 2013 को बहाल किया जाए.
किसान नेता सरवण सिंह पंधेर ने पंजाब सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि आम आदमी पार्टी (AAP) की सरकार केंद्र के साथ गठबंधन कर किसानों के खिलाफ काम कर रही है. उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि मीडिया को क्यों प्रदर्शन स्थल पर जाने से रोका जा रहा है, जबकि वे शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन कर रहे हैं. पंधेर ने सरकार के इस कदम को आंदोलन को दबाने की कोशिश बताया.
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