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farmers protest

दिल्ली हाईकोर्ट ने 2021 के किसान विरोध प्रदर्शन से जुड़े टूलकिट मामले में थिलकश्री कृपानंद और शांतुनु मुलुक के खिलाफ जारी लुकआउट सर्कुलर को रद्द कर दिया, यह कहते हुए कि जांच के चार साल बाद भी उनके खिलाफ कोई आरोप पत्र नहीं दायर किया गया है. 

प्रदर्शनकारी किसानों में 70 वर्षीय जगजीत सिंह डल्लेवाल भी शामिल है, जो पिछले 40 दिनों से आमरण अनशन पर हैं. उनकी स्वास्थ्य को लेकर सुप्रीम कोर्ट चिंतित है.

MSP के लिए कानूनी गारंटी की किसानों की मांग पर केंद्र द्वारा कार्रवाई नहीं किए जाने के विरोध में संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा ने एक सप्ताह पहले बंद का आह्वान किया था.

कोर्ट ने संयुक्त किसान मोर्चा के नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल के स्वास्थ्य की निगरानी करने को कहा है. डॉक्टरों के मुताबिक डल्लेवाल को अस्पताल में भर्ती करने की आवश्यकता है. कोर्ट ने कहा कि डल्लेवाल की स्थिर स्वास्थ्य स्थिति सुनिश्चित करना पंजाब सरकार की जिम्मेदारी है.

किसानों ने केंद्र पर उनकी मांगों को पूरा करने के लिए कदम ना उठाने का आरोप लगाया है और दावा किया है कि 18 फरवरी के बाद से केंद्र सरकार ने उनके मुद्दों पर उनसे कोई बातचीत नहीं की है.

किसान प्रदर्शनकारियों का कहना है कि आज मार्च भले ही पुलिस के बल प्रयोग के कारण रुक गया हो, लेकिन वे सोमवार को अपनी अगली रणनीति का ऐलान करेंगे. किसान संगठनों ने यह सुनिश्चित किया है कि उनका संघर्ष जारी रहेगा.

संयुक्त किसान मोर्चा और किसान मजदूर मोर्चा के बैनर तले किसान रविवार को अपना 'दिल्ली चलो' मार्च फिर से शुरू करेंगे, जिसमें 101 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल दोपहर में हरियाणा और पंजाब के बीच शंभू सीमा से अपना विरोध शुरू करेगा.

किसान नेता सरवन सिंह पंधेर ने कहा है कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होतीं, तब तक वे धरने से नहीं उठेंगे. किसान इस संघर्ष में पूरी तरह से एकजुट हैं और कह रहे हैं कि किसी भी दबाव के आगे नहीं झुकेंगे.

संसद में कृषि मंत्री शिवराज चौहान ने कहा कि जब कांग्रेस सत्ता में थी, तब उसने कभी MSP पर किसानों का उत्पाद नहीं खरीदा. मगर हम सभी कृषि उत्पादों को MSP पर खरीदेंगे. अगर किसान को किसी फसल में नुकसान होगा, तो हम मुआवजा भी देंगे.

नोएडा से दिल्ली की तरफ कूच कर रहे किसान प्रदर्शनकारी नए कृषि कानूनों के तहत मुआवजे और लाभ की 5 मांगों पर जोर दे रहे हैं. पुलिस द्वारा उन्हें नोएडा के दलित प्रेरणा स्थल पर रोकने की कोशिश की गई, तो किसानों के समूह ने बैरिकेडिंग तोड़ दी.