Fire In Patalkot Express: जरा सा साहस और समझदारी किस तरह बड़े से बड़े हादसे को टाल सकती है, इसका जीता-जागता उदाहरण बुधवार दोपहर को देखने को मिला. आगरा कैंट रेलवे स्टेशन से ग्वालियर जा रही पातालकोट एक्सप्रेस ट्रेन के दो डिब्बों से धुएं का गुबार और लपटें उठती देखने के बाद यात्रियों में अफरा-तफरी मच गई और यात्री डिब्बे से कूदने लगे. इतने में ही भांडई रेलवे स्टेशन से गुजर रही ट्रेन को गेटमैन यशपाल सिंह ने लपटें और धुआं के साथ ट्रेन की पटरी पर दौड़ता देखा, जिससे उनका दिल कांप उठा और फिर उन्होंने तमाम जिंदगियों को बचाने के लिए तत्काल भांडई के स्टेशन मास्टर को फोन कर ट्रेन रुकवा दी और सैकड़ों यात्रियों को बचा लिया.
बता दें कि आग से यात्रियों में इतना खौफ भर गया था कि,जब तक ब्रेक लगती तब तक बड़ी संख्या में यात्री जान बचाने के लिए बाहर कूद चुके थे तो वहीं तमाम आग की लपटों का शिकार होकर घायल हो चुके थे. क्योंकि ट्रेन रुकने के के पहले ही धुएं और लपटों से दोनों कोच बुरी तरह से झुलस चुके. हालांकि आग लगने के समय ट्रेन की गति सिर्फ 15 किलोमीटर प्रति घंटा थी. इस वजह से बताया जा रहा है कि, आग तेजी से डिब्बे में नहीं फैली और सैकड़ों यात्रियों की जान बच गई. तो वहीं लोग रेलवे के मूल मंत्र को समय पर याद रखने को लेकर रेलवे विभाग में गेटमैन यशपाल सिंह की प्रशंसा की जा रही है. बताया जा रहा है कि अगर समय पर गेटमैन इसकी सूचना नहीं देता तो, आग का रूप और विकराल हो सकता था. उनकी सूचना की वजह से ही सिर्फ साढ़े तीन मिनट में ट्रेन को रोका गया, जिससे दोनों ही डिब्बों में सफर कर रहे 250 यात्रियों की जान को बचाया जा सके.
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मिली जानकारी के मुताबिक कैंट निवासी यशपाल सिंह ने बताया कि जब उन्होंने बुधवार शाम को पातालकोट एक्सप्रेस के इंजन से चौथे नंबर के साधारण दर्जे के डिब्बे से धुआं उठता देखा तो उनको बड़ी दुर्घटना की आशंका हुई. इस पर उन्होंने तत्काल ही स्टेशन मास्टर को फोन किया और इस सम्बंध में स्टेशन मास्टर ने कंट्रोल रूम को जानकारी दी तो इसके आगे कंट्रोल रूम ने लोको पायलट और गार्ड सत्यवान को इसकी जानकारी दी. इस पूरी प्रक्रिया में कुल साढ़े तीन मिनट का समय लगा और फिर ट्रेन को जल्दी से रोक दिया गया, लेकिन तब तक दो साधारण दर्जे के डिब्बों में आग फैल चुकी थी और यात्रियों में हड़कंप मचा हुआ था. हालांकि इस दौरान तमाम यात्री अपनी जान बचाने के लिए ट्रेन से बाहर कूद चुके थे. तो दूसरी ओर जैसे ही ट्रेन रुकी. यशपाल गेट से हटकर यात्रियों के पास आ गए और फिर उन्हें लगा गेट को खाली नहीं छोड़ना चाहिए तो वह फिर से गेट के पास दौड़कर आ गए और इस तरह से उन्होंने सैकड़ों यात्रियों की जान बचाई. रेलवे विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक, यशपाल सिंह ने 10 साल पूर्व रेलवे में ज्वाइन किया था और तीन साल पूर्व गेट नंबर 487 पर उनको तैनात किया गया था.
घबराए यात्रियों ने मीडिया को जानकारी दी कि दोनों डिब्बों में शौचालय तक में यात्री बैठे थे. इसी दौरान इंजन से चौथे डिब्बे में आग तीसरे नंबर के डिब्बे में पहुंची और फिर पूरे डिब्बे में धुआं भर गया. तमाम यात्रियों ने बताया कि उनका दम घुटने लगा था और वह ट्रेन से कूदने ही वाले थे कि ट्रेन रुक गई. हालांकि इस दौरान कई यात्री बाहर कूद भी गई.
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