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बनारसी साड़ी से लेकर दार्जिलिंग की चाय तक…G20 मेहमानों को भारत ने दिए कई बेशकिमती उपहार

G20: भारत की अध्यक्षता में हुए G20 शिखर सम्मेलन का सफल समापन हो गया है. समिट के पहले दिन ही सम्मेलन में घोषणापत्र जारी करने पर 100 फीसदी सहमति बन गई थी. अंतिम सत्र को पीएम मोदी ने संबोधित किया और फिर अंत में ब्राजील के राष्ट्रपति लूला डी सिल्वा को जी20 की अध्यक्षता सौंपी. जी20 समिट में भाग लेने वाले देशों के प्रतिनिधियों को कई आकर्षक उपहार दिए गए. उपहार में हस्तनिर्मित कलाकृतियों और उत्पादों को शामिल किया गया था, जो भारत की समृद्ध सांस्कृतिक परंपराओं के बारे में बहुत कुछ बताता है. कुछ उत्पाद सदियों की परंपरा और अद्वितीय कारीगरी और गुणवत्ता के लिए दुनिया भर में पसंद किए जाते हैं. इन्हें कुशल कारीगरों ने सावधानीपूर्वक बनाया था. कुछ उत्पाद हमारे देश की अनूठी जैव-विविधता का परिणाम हैं.

लाल सोना: कश्मीर का केसर

केसर (फ़ारसी में ‘ज़ाफ़रान’, हिंदी में ‘केसर’) दुनिया का सबसे महंगा मसाला है. सभी संस्कृतियों और सभ्यताओं में, केसर को उसके अद्वितीय पाक और औषधीय गुण के लिए जाना जाता है. यह प्रकृति का खजाना दुर्लभ भी और आकर्षक भी है. इसके प्रत्येक धागे में ‘केसर क्रोकस’ का कलंक शामिल है. कलंक का लाल रंग धूप से भीगे हुए दिनों और ठंडी रातों की वजह से होता है. केसर की खेती बहुत मेहनत वाली प्रक्रिया है. प्रत्येक फूल में तीन लाल रंग के कलंक होते हैं. इसे नाजुक हाथ से कटाई की आवश्यकता होती है.

चाय की शैम्पेन: दार्जिलिंग और नीलगिरि चाय

दार्जिलिंग और नीलगिरि चाय भारत की चाय टेपेस्ट्री के दो शानदार रत्न हैं. दार्जिलिंग चाय दुनिया की सबसे मूल्यवान चाय है. 3000-5000 फीट की ऊंचाई पर पश्चिम बंगाल की धुंध भरी पहाड़ियों पर स्थित झाड़ियों से केवल कोमल अंकुर ही चुने जाते हैं. मिट्टी के अनूठे चरित्र के साथ ये बारीकियां, आपकी मेज पर आने वाले अत्यधिक सुगंधित और स्फूर्तिदायक कप में परिलक्षित होती हैं.

नीलगिरि चाय दक्षिण भारत की सबसे शानदार पर्वत श्रृंखला से आती है. 1000-3000 फीट की ऊंचाई पर पहाड़ों के हरे-भरे इलाके के बीच इसकी खेती की जाती है. चाय अपेक्षाकृत हल्की होती है. साथ ही, यह स्वाद के लिए प्रसिद्ध है. यह आइस्ड टी के नींबू के लिए एक पसंदीदा विकल्प है.

तुलना से परे एक कप: अराकू कॉफ़ी

अराकू कॉफी दुनिया की पहली टेरोइर मैप्ड कॉफी है, जो आंध्र प्रदेश की अराकू घाटी के जैविक बागानों में उगाई जाती है. कॉफी के पौधों की खेती घाटी के किसानों द्वारा की जाती है. वे छोटे खेतों में हाथ से काम करते हैं और मशीनों या रसायनों के उपयोग के बिना प्राकृतिक रूप से कॉफी उगाते हैं. दुर्लभ सुगंधित अराकू कॉफी अपनी अनूठी बनावट और स्वादों की एक सिम्फनी के लिए जानी जाती है.

जंगल से धन: सुंदरबन मल्टीफ़्लोरा मैंग्रोव शहद

सुंदरबन दुनिया का सबसे बड़ा मैंग्रोव वन है, जो बंगाल की खाड़ी में गंगा, ब्रह्मपुत्र और मेघना नदियों के संगम से बने डेल्टा पर स्थित है. यह मधुमक्खियों का घर है. मधुमक्खी पालन की संस्कृति से पहले, लोग जंगल से छत्ते निकालते थे. मधुमक्खी के शिकार की यह परंपरा सुंदरबन के लोगों के बीच आज भी प्रचलित है. सुंदरबन शहद का विशिष्ट और समृद्ध स्वाद क्षेत्र की जैव-विविधता को दर्शाता है. 100% प्राकृतिक और शुद्ध होने के अलावा, सुंदरबन शहद में फ्लेवोनोइड्स की मात्रा भी अधिक होती है और यह बहुमूल्य स्वास्थ्य लाभ प्रदान करता है.

दुर्लभ विलासिता की बनावट: कश्मीरी पश्मीना

कश्मीरी पश्मीना शॉल अपने ताने-बाने में कई मनमोहक कहानियां बुनी हुई है. फ़ारसी में ‘पश्म’ का मतलब ऊन होता है. लेकिन कश्मीरी में, इसका तात्पर्य चांगथांगी बकरी (दुनिया की सबसे अनोखी कश्मीरी बकरी) के कच्चे बिना काटे ऊन से है जो समुद्र तल से केवल 14,000 फीट की ऊंचाई पर पाई जाती है. इस बकरी के अंडरकोट में कंघी करके ऊन इकट्ठा किया जाता है. कुशल कारीगर सदियों पुरानी प्रक्रियाओं का उपयोग करके अपने नाजुक रेशों को हाथ से घुमाते, बुनते और कढ़ाई करते हैं.

एक खुशबूदार कहानी: ज़िगराना इत्तर

ज़िघराना इत्र उत्तर प्रदेश के एक शहर, कन्नौज की खुशबू की उत्कृष्ट कृति है. ‘इत्तर’ वनस्पति स्रोतों से प्राप्त तेल है. यह उत्कृष्ट इत्र निर्माण की सदियों पुरानी परंपरा को प्रदर्शित करता है. पीढ़ियों से चली आ रही विधि का उपयोग करके कुशलतापूर्वक ज़िगराना इत्तर मास्टर कारीगर भोर में चमेली और गुलाब जैसे दुर्लभ फूलों को नाजुक ढंग से इकट्ठा करते हैं, जब उनकी खुशबू सबसे तीव्र होती है.

खादी दुपट्टा

खादी एक पर्यावरण-अनुकूल वस्त्र है जो हर मौसम में अपनी सुंदर बनावट और बहुमुखी प्रतिभा के लिए सबसे अधिक पसंद की जाती है. इसे कपास, रेशम, जूट या ऊन से बुना जा सकता है. यह भारत के स्वतंत्रता संग्राम के सबसे महत्वपूर्ण प्रतीकों में से एक है. दरअसल, इसका नाम स्वयं महात्मा गांधी ने रखा था.भारत के ग्रामीण कारीगर, जिनमें 70% महिलाएं शामिल हैं, इन जटिल धागों को हाथ से बुनते हैं और दुनिया भर में फैशन स्टेटमेंट बनाते हैं.

सिक्का बक्सा

भारत की G20 अध्यक्षता के उपलक्ष्य में, भारत के प्रधानमंत्री ने 26 जुलाई 2023 को विशेष G20 डाक टिकट और सिक्के जारी किए. G20 इंडिया टिकट और सिक्के नई दिल्ली के प्रगति मैदान में भारत मंडपम के उद्घाटन के दौरान जारी किए गए.

बनारसी सिल्क स्टोल

बनारसी रेशम के स्टोल भारत के खूबसूरत खजाने हैं. वाराणसी में हस्तनिर्मित, वे सपनों की तरह नरम हैं. शानदार रेशम के धागे जटिल पैटर्न बनाते हैं, जो शहर की सांस्कृतिक समृद्धि और इसकी बुनाई विरासत को दर्शाते हैं. बनारसी रेशम के स्टोल शादियों और विशेष अवसरों के लिए पसंद किए जाते हैं. वे पहनने वाले पर राजसी अनुग्रह जोड़ते हैं. उनकी चमकदार बनावट और जीवंत रंग उन्हें प्रतिष्ठित फैशन सहायक उपकरण बनाते हैं. चाहे कंधों पर लपेटा जाए या हेडस्कार्फ़ के रूप में पहना जाए, ये स्टोल कालातीत आकर्षण दर्शाते हैं.

असमी स्टोल

असमी स्टोल पूर्वोत्तर राज्य असम में बुने जाने वाले पारंपरिक कपड़े हैं. इस स्टोल को मुगा रेशम का उपयोग करके कुशल कारीगरों द्वारा तैयार किया गया है. ये स्टोल अपने जटिल डिज़ाइन और रूपांकनों के लिए जाने जाते हैं जो अक्सर क्षेत्र के प्राकृतिक परिवेश से प्रेरणा लेते हैं. असम स्टोल सिर्फ परिधान नहीं हैं; वे असमिया लोगों की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और उनकी बुनाई परंपराओं का प्रतीक हैं. असम स्टोल पहनना सिर्फ कपड़े पहनना नहीं है – यह एक शानदार सांस्कृतिक विरासत और कलात्मक विरासत को अपनाना है.

कांजीवरम सिल्क

कांजीवरम सिल्क बुनाई की एक सच्ची कृति हैं, जो अपने समृद्ध और जीवंत रंगों, जटिल डिजाइनों और अद्वितीय शिल्प कौशल के लिए प्रसिद्ध हैं. ‘कांजीवरम’ का नाम दक्षिण भारत के एक छोटे से गांव – तमिलनाडु के कांचीपुरम से लिया गया है, जहां से इस शिल्प की उत्पत्ति हुई थी. कांजीवरम स्टोल शुद्ध शहतूत रेशम के धागों से कुशल बुनकरों द्वारा हस्तनिर्मित किया जाता है. यह बहुत टिकाऊ और मजबूत कपड़ा है.

बनारसी रेशम के स्टोल

बनारसी रेशम के स्टोल भारत के खूबसूरत खजाने हैं. वाराणसी में हस्तनिर्मित शानदार रेशम के धागे जटिल पैटर्न बनाते हैं, जो शहर की सांस्कृतिक समृद्धि और इसकी बुनाई विरासत को दर्शाते हैं. बनारसी रेशम के स्टोल शादियों और विशेष अवसरों के लिए पसंद किए जाते हैं.

-भारत एक्सप्रेस

 

 

 

 

 

 

Rakesh Kumar

Sr. Sub-Editor

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