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गांधीनगर: पीएम मोदी स्कूली बच्चों से मिले तो भड़क उठे केजरीवाल,कहा-दिल्ली के शिक्षा मॉडल से सीखें

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज गांधीनगर में अदालज (Adalaj) में मिशन स्कूल ऑफ एक्सीलेंस का शुभारंभ किया. इस दौरान उन्होंने स्कूली बच्चों से भी बातचीत की. लेकिन पीएम मोदी के बच्चों से मिलने पर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और  शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने उन पर जमकर निशाना साधा. केजरीवाल ने पीएम पर तंज कसते हुए कहा कि अगर देश को बेहतर शिक्षा देना है तो आम आदमी पार्टी के एजुकेशन मॉडल से  सीखें और मदद लें.

दरअसल  मिशन स्कूल ऑफ एक्सीलेंस कार्यक्रम के उद्घाटन के दौरान पीएम मोदी ने क्लास रुम में बच्चों के साथ बैठकर बातचीत की थी. इस बीच उन्होंने कहा कि, बीते दो दशकों में गुजरात में शिक्षा के क्षेत्र में जो परिवर्तन आया है, वो अभूतपूर्व है. 20 साल पहले गुजरात में 100 में से 20 बच्चे स्कूल ही नहीं जाते थे और जो बच्चे जाते थे, उनमें से कई बच्चे 8वीं तक पहुंचते-पहुंचते स्कूल ही छोड़ देते थे. बेटियों की स्थिति तो और खराब थी.

पीएम मोदी की इसी बात पर  सीएम केजरीवाल ने  दिल्ली के शिक्षा मॉडल को सबसे बेहतर बताने में देर नहीं की.केजरीवाल दिल्ली के शिक्षा मॉडल का प्रचार गुजरात में भी खूब कर रहे हैं,ऐसे में वह पीएम स्कूल विजिट को कैसे पचा पाते?  पीएम की ओर इशारा करते हुए केजरीवाल ने कहा कि, मुझे बेहद खुशी है कि आज देश की सभी पार्टियों और नेताओं को शिक्षा और स्कूलों की बात करनी पड़ रही है. ये हमारी सबसे बड़ी उपलब्धि है. मैं उम्मीद करता हूं कि केवल चुनाव के दौरान शिक्षा याद न आए.

अरविंद केजरीवाल ने अपने ट्विटर हैंडल पर पीएम मोदी पर हमला करते हुए लिखा, पीएम सर, हमने दिल्ली में शिक्षा में शानदार काम किया है. पांच साल में दिल्ली के सारे सरकारी स्कूल शानदार बना दिए. पूरे देश के स्कूल पांच साल में ठीक हो सकते हैं. हमें अनुभव है. आप हमें पूरी तरह इसके लिए इस्तेमाल कीजिए प्लीज. मिलके करते हैं न, देश के लिए.”

केजरीवाल के सुर में सुर मिलाते हुए डिप्टी सीएम और शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने भी शिक्षा के मुद्दे पर पीएम मोदी पर जमकर हमला किया. सिसोदिया ने ट्विविट करते हुए लिखा, “बीजेपी के 27 साल के शासन में गुजरात के सरकारी स्कूलों का हाल ये है. 48,000 स्कूलों में से 32,000 की हालत एकदम खस्ताहाल है. इनमें भी 18,000 में तो कमरे तक नहीं हैं. टीचर नहीं हैं. एक करोड़ बच्चों में से अधिकतर का भविष्य अंधेरे में है इन स्कूलों में.”

-भारत एक्सप्रेस

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