UP News: धर्मनगरी वाराणसी से ताल्लुकात रखने वाले अजय राय के प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद से कांग्रेस की छवि भी सॉफ्ट हिन्दुत्व की बनने लगी है. यूं तो सियासत में ना कुछ स्थायी होता है और ना ही अन्तिम लेकिन विचारधारा और कार्यप्रणाली की वजह से एक छवि जरूर बन जाती है जिसका नफा – नुकसान दोनों समय के अनुरूप उठाना पड़ता है.
2024 के लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए कांग्रेस ने जहां अपना प्रदेश अध्यक्ष बदल दिया है वहीं नये प्रदेश अध्यक्ष अजय राय के 24 अगस्त को पद ग्रहण करने के बाद से यूपी की सियासत में बदलाव तो आया ही साथ ही कांग्रेस के मिजाज में भी साफ तौर पर बदलाव देखने को मिला. उत्तर प्रदेश सरकार के पूर्व मंत्री एवं कांग्रेस के नवनियुक्त प्रदेश अध्यक्ष अजय राय के पद ग्रहण समारोह में 100 बार से अधिक बार हर हर महादेव का जयघोष हुआ और कार्यकर्ता लगातार महादेव के जयकारे करते हुए नजर आए.
भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ता जहां जय श्री राम के नारे का उद्घोष करते हैं वहीं अब यूपी कांग्रेस पार्टी के कार्यालय में हर हर महादेव के नारे गूंजने लगे हैं जिसने कांग्रेस के प्रति लोगों की सोच को बदलने का काम किया है. अजय राय पर कई धार्मिक मामलों में भी मुकदमे दर्ज हैं जिनमें उन्होंने हिन्दू धर्म के सम्मान के लिए कई बार जेल यात्राएं भी की हैं ऐसे में अब भाजपा के लोगों द्वारा यूपी कांग्रेस को मात्र एक धर्म के लिए समर्पित पार्टी नहीं कहा जा सकता.
अजय राय के जब पद ग्रहण करने आए तो उनके स्वागत में प्रदेश भर से कार्यकर्ता हजारों की संख्या में पहुंचे थे. अजय राय के कांग्रेस प्रदेश कार्यालय पहुंचने के बाद न सिर्फ कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के नारे लगे बल्कि लगातार हर हर महादेव का जयघोष भी पूरे कार्यक्रम में होता रहा जो कि कांग्रेस पार्टी में एक बड़े बदलाव के तौर पर देखा जा रहा है. कल के पदभार ग्रहण कार्यक्रम में मंच से बोलने समय प्रमोद तिवारी रहें हों या सलमान खुर्शीद सभी के भाषण के दौरान कार्यकर्ता हर हर महादेव का उद्घोष करते हुए नजर आए और मंच पर अजय राय के पहुंचते ही हर – हर महादेव से पूरा पंडाल गूंज उठा था.
अजय राय के संबोधन की शुरुआत से पहले वैदिक मंत्रोच्चार से काशी से आए विद्वान पंडितों ने ईश्वर को प्रणाम किया और उसके बाद शंखनाद हुआ. अजय राय ने अपने भाषण की शुरुआत गणेश स्तुति से करते हुए काशी की परंपरा का भी जिक्र किया और कहा वह जिस नगरी से आए हैं वह महादेव की नगरी है, कबीर की नगरी है, रविदास की नगरी है, गंगा मैया की नगरी है, बुद्ध समेत तमाम ऋषि काशी से हैं और इसलिए उनके लिए सबका समान है.
-भारत एक्सप्रेस
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