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“उन लोगों की जवाबदेही क्यों नहीं तय की, जिन्होंने कमजोर गेट बनाया”, राउ कोचिंग हादसा मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने CBI से पूछा

दिल्ली के ओल्ड राजेंद्र नगर कोचिंग संस्थान में 3 छात्रों के मौत के मामले में गिरफ्तार चार सह मालिकों की ओर से दायर जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान राऊज एवेन्यू कोर्ट ने सीबीआई से पूछा आप उन लोगों की जवाबदेही क्यों नहीं तय कर रहे हैं, जिन्होंने इतना कमजोर गेट बनाया? 28 जुलाई को ओल्ड राजेंद्र नगर में एक सिविल परीक्षाओं की तैयारी करवाने वाले कोचिंग सेंटर के बेसमेंट में पानी भर जाने से तीन छात्रों की मौत हो गई थी.

प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश अंजू बजाज चांदना ने बिल्डिंग के चार सह-मालिकों की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा हमने फ्लाईओवर गिरने की खबरें सुनी हैं. अगर ठेकेदार घटिया सामग्री का इस्तेमाल करता है, तो यह स्वाभाविक परिणाम है. जब घटना के दिन कोचिंग सेंटर के बाहर सड़क से पानी आने के बाद आखिरकार बेसमेंट में पानी भर गया जिससे यह त्रासदी हुई. पुलिस ने पहले कहा था कि मनोज कथूरिया नामक एक स्थानीय व्यक्ति द्वारा अपनी एसयूवी को गली में चलाने के बाद सड़क से पानी कथित तौर पर गेट में घुस गया था.

कोर्ट ने पुलिस को लगाई थी फटकार

दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा उसे गिरफ्तार करने पर पुलिस को फटकार लगाई थी. इसके साथ ही दिल्ली की एक अदालत ने उसे जमानत दे दी थी. सोमवार को सह-मालिकों की ओर से पेश हुए वकील अमित चड्ढा ने अदालत को बताया था कि पूरी संपत्ति व्यावसायिक है और इसका इस्तेमाल कोचिंग के लिए किया जा रहा है. आरोपी केवल ज़मीन के मालिक हैं. उन्होंने कभी भी राउ कोचिंग सेंटर को बेसमेंट को लाइब्रेरी के रूप में इस्तेमाल करने के लिए नहीं कहा. उन्होंने यह भी कहा कि आरोपी स्वेच्छा से पुलिस के पास गए और गिरफ़्तारी से भागे नहीं.

“लापरवाही का मामला हो सकता है”

वकील ने यह भी कहा कि मालिकों के खिलाफ़ लापरवाही का मामला बनाया जा सकता है, न कि गैर इरादतन हत्या का. उन्होंने कहा ज्ञान तब होता है जब कोई व्यक्ति जानता है कि वह कुछ ऐसा कर रहा है जो अवैध है और जिससे मौत हो सकती है. इसके लिए सीधी निकटता होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि बेसमेंट के सह-मालिकों को यह नहीं पता था कि छात्र डूब जाएंगे.

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सीबीआई ने क्या दी दलील?

हालांकि सीबीआई ने चड्ढा की दलीलों का खंडन किया. केंद्रीय एजेंसी ने कहा आपको हर महीने 4 लाख रुपये मिल रहे थे और तीन मासूम बच्चों की जान चली गई. अदालत ने फिर सीबीआई से पूछा कि क्या इस बात का कोई सबूत है कि उसी सड़क पर कभी-कभार जलभराव होता था. जज के अनुसार अगर ऐसा था तो इसका मतलब यह हो सकता है कि मालिकों को इस बात की जानकारी थी कि डूबने की घटना हो सकती है. सीबीआई ने एक छात्र की शिकायत का हवाला देते हुए कहा कि बेसमेंट उम्मीदवारों के लिए असुरक्षित था और मालिकों को इस बारे में पता होना चाहिए. पीड़ितों का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील अभिजीत आनंद ने कहा बारिश के 10 मिनट के भीतर ही उस इलाके में जलभराव हो जाता है क्या मालिकों को भी कुछ जिम्मेदारी नहीं लेनी चाहिए?

-भारत एक्सप्रेस

गोपाल कृष्ण

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