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बलात्कार के दोषी आसाराम को इलाज के लिए 7 दिन की पैरोल मिली

बलात्कार के मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहे आसाराम को राजस्थान हाईकोर्ट ने 7 दिन की पैरोल मंजूर कर ली है. उसे ये पैरोल इलाज के लिए मिली है. आसाराम को जोधपुर की एक पॉक्सो अदालत ने अपने आश्रम में एक लड़की से बलात्कार के मामले में दोषी ठहराया और आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी. वह जोधपुर की सेंट्रल जेल में आजीवन कारावास की सजा काट रहा है.

85 वर्षीय आसाराम को पुलिस हिरासत में इलाज के लिए महाराष्ट्र ले जाया जाएगा. इससे पहले हाईकोर्ट ने आसाराम की पैरोल याचिका को दो बार खारिज कर दिया था, जिसमें उसकी रिहाई पर संभावित कानून और व्यवस्था के मुद्दों का हवाला दिया गया था. इस साल फरवरी में आसाराम को सीने में तेज दर्द होने के बाद एम्स जोधपुर ले जाया गया था.

अदालत से अनुरोध

बीमार चल रहे आसाराम ने आयुर्वेदिक उपचार पर जोर दिया था और अदालत से अनुरोध किया था कि उसे विशेष रूप से पुणे के माधवबाग मल्टीडिसिप्लिनरी कार्डियक केयर क्लिनिक एंड हॉस्पिटल में इलाज की अनुमति दी जाए.

मार्च में सुप्रीम कोर्ट ने आसाराम द्वारा दायर याचिका में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया था, जिसमें उसने राजस्थान हाईकोर्ट के उस फैसले को चुनौती दी थी, जिसमें चिकित्सा आधार पर सजा को निलंबित करने की उसकी याचिका को खारिज कर दिया गया था.

हालांकि, शीर्ष अदालत ने कहा था कि आसाराम इलाज के लिए हाईकोर्ट से अनुमति मांग सकता है.

याचिका में क्या कहा गया

अपने अधिवक्ताओं के माध्यम से दायर याचिका में आसाराम ने कहा था कि उनका स्वास्थ्य अनिश्चित है और तेजी से बिगड़ रहा है. याचिका में कहा गया है कि आसाराम पहले ही 11 साल की सजा काट चुके हैं और उन्हें कई बार दिल का दौरा पड़ चुका है. अधिवक्ताओं ने 14 जनवरी की उनकी कोरोनरी एंजियोग्राफी रिपोर्ट का भी हवाला देते हुए कहा कि इसमें 99% तक धमनियों में रुकावट दिखाई गई है.

याचिका में कहा गया है, “याचिकाकर्ता, जो अपने जीवन के अंतिम पड़ाव पर है, 85 वर्ष से अधिक आयु का है, उसे आशंका है कि अगर उसे अपनी पसंद के अस्पताल/डॉक्टर से इलाज कराने की अनुमति नहीं दी गई तो वह जेल में ही मर सकता है, जो कि हर व्यक्ति को दिया गया मौलिक अधिकार है, चाहे वह दोषी हो या विचाराधीन कैदी.”

क्या है पूरा मामला

आसाराम को साल 2013 में अपने आश्रम में एक लड़की के साथ कथित तौर पर बलात्कार करने के आरोप में इंदौर में गिरफ्तार किया गया था और 2018 में एक विशेष POCSO अदालत ने उसे दोषी ठहराया था. जनवरी 2023 में गुजरात की एक अदालत ने एक महिला शिष्य से जुड़े एक दशक पुराने यौन उत्पीड़न मामले में उसे दोषी ठहराया और आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी. सूरत की इस महिला ने उस पर 2013 में अपने आश्रम में बार-बार बलात्कार करने का आरोप लगाया था.

ये भी पढ़ें- ईडी के समन को चुनौती देने वाली अभिषेक बनर्जी की याचिका पर सुनवाई पूरी, SC ने सुरक्षित रखा फैसला

-भारत एक्सप्रेस

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