दिल्ली उच्च न्यायालय ने वन विभाग के सचिव को दो वर्ष में वन क्षेत्रों में पेड़ों की कटाई और जंगल से अतिक्रमण हटाने के लिए डीएमआरसी, एनएचएआई और पीडब्ल्यूडी को वृक्ष अधिकारी द्वारा दी गई अनुमति सहित विभिन्न जानकारियां उपलब्ध कराने का निर्देश दिया है.अदालत ने अधिकारी से राष्ट्रीय राजधानी में अधिसूचित आरक्षित वनों, अधिसूचित संरक्षित वनों (उद्यानों या बगीचों को छोड़कर), अधिसूचित संरक्षित क्षेत्रों, अधिसूचित खुले वनों और अधिसूचित जैव विविधता उद्यानों का विवरण भी देने को कहा है.
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और न्यायमूर्ति मनमीत पीएस अरोड़ा की पीठ ने एक अप्रैल, 2022 से 31 मार्च, 2024 तक वन क्षेत्रों से हटाए गए अतिक्रमणों का विवरण भी मांगा.
पीठ ने अपने आदेश में कहा, ‘‘वन विभाग के सचिव को इस अदालत को निम्नलिखित जानकारी प्रदान करने का निर्देश दिया जाता है: वृक्ष अधिकारी द्वारा दिल्ली मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन (डीएमआरसी) /लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी)/ भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) और अन्य प्राधिकरण को एक अप्रैल, 2022 और 31 मार्च, 2024 के बीच पेड़ों की कटाई के लिए दी गयी मंजूरी और प्रत्येक प्राधिकरण द्वारा काटे गए पेड़ों की संख्या.’’
आदेश में यह भी बताने को कहा गया है कि वृक्षों की कटाई के एवज में लगाए गए पेड़ों की संख्या, खुले वन में लगाए गए पेड़ों की संख्या तथा बेची गयी लकड़ी से कितनी कमाई हुई, साथ ही इससे अर्जित राशि कहां जमा कराई गई.
उच्च न्यायालय ने चार सप्ताह के भीतर ये सारी जानकारियां उपलब्ध कराने का निर्देश दिया है- अदालत ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 22 जुलाई की तारीख निर्धारित की है.
अदालत दिल्ली में खराब वायु गुणवत्ता पर जनहित याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी.यह ऐसा मुद्दा है जिसका स्वत: संज्ञान अदालत ने लिया है तथा मामले में सहायता के लिए एक न्याय-मित्र नियुक्त किया है. इस मामले के न्याय-मित्र वरिष्ठ अधिवक्ता कैलाश वासुदेव ने दलील दी कि अधिकारियों द्वारा वनीकरण पर डेटा उपलब्ध नहीं कराया जा रहा है. वासुदेव ने अदालत से आवश्यक निर्देश जारी करने का आग्रह किया.
-भारत एक्सप्रेस
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