साल 2014 में प्रधानमंत्री पद से हटने से पहले डॉ. मनमोहन सिंह ने आखिरी प्रेस कॉन्फ्रेंस की. उन्होंने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा था कि उनका नेतृत्व कमजोर नहीं था. उन्होंने कहा, “मैं यह नहीं मानता कि मैं एक कमजोर प्रधानमंत्री रहा हूं. परिस्थितियों और गठबंधन राजनीति के बीच मैंने जितना कर सकता था, उतना किया है.” उनका यह बयान आज भी राजनीति और मीडिया के बीच चर्चाओं का विषय है.
डॉ. सिंह का मानना था कि इतिहास उनके कामों का सही मूल्यांकन करेगा, जो समकालीन मीडिया और विपक्ष से ज्यादा उदार होगा. वे यह भी कहते थे कि, “इतिहास मेरे प्रति समकालीन मीडिया या संसद में विपक्ष की तुलना में ज्यादा उदार होगा.”
उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी पर भी तीखा हमला बोला था और गुजरात दंगों के संदर्भ में बीजेपी के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी को आड़े हाथों लिया था. इसके अलावा, डॉ. सिंह ने उस समय अपनी सरकार की आलोचना करने वाले विपक्षी नेताओं और मीडिया के सवालों का भी जवाब दिया था. वे यह मानते थे कि उन्होंने राजनीतिक मजबूरियों के बावजूद अपने कार्यकाल में भारत के हित में सर्वश्रेष्ठ किया.
उनकी जीवन यात्रा में एक महत्वपूर्ण पल 2014 के चुनावों से पहले आया, जब उन्होंने अपनी आखिरी प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा था, “मुझे विश्वास है कि इतिहास मेरे प्रति ज्यादा दयालु होगा.” उस समय यूपीए-2 सरकार को भ्रष्टाचार के आरोपों का सामना करना पड़ा था, जिससे कांग्रेस को 2014 के आम चुनाव में हार का सामना करना पड़ा था और नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बीजेपी सत्ता में आई थी.
डॉ. मनमोहन सिंह का निधन भारतीय राजनीति के एक युग के अंत का प्रतीक है. उनके योगदान को भारतीय राजनीति और अर्थव्यवस्था में हमेशा याद किया जाएगा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनके निधन पर शोक व्यक्त करते हुए कहा कि भारत ने अपने सबसे प्रतिष्ठित नेताओं में से एक को खो दिया है. डॉ. सिंह का योगदान भारतीय राजनीति में अनमोल रहेगा, और उनका कार्यकाल एक यादगार अध्याय के रूप में इतिहास में अंकित रहेगा.
पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह, जिनका 92 वर्ष की आयु में गुरुवार रात दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) में निधन हो गया, ने अपने करियर में भारतीय राजनीति और अर्थव्यवस्था पर गहरी छाप छोड़ी. उनका निधन कई दशकों तक भारतीय राजनीति के एक प्रमुख स्तंभ के रूप में उनकी भूमिका के बाद हुआ. डॉ. सिंह का जीवन एक साधारण पृष्ठभूमि से ऊंचाइयों तक पहुंचने की प्रेरक कहानी है. उनका जन्म 26 सितंबर 1932 को अविभाजित पंजाब के एक छोटे से गांव में हुआ था. शिक्षा के प्रति उनका गहरा लगाव उन्हें पंजाब विश्वविद्यालय और दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में लेकर गया, जहां से उन्होंने अर्थशास्त्र में उत्कृष्टता प्राप्त की.
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डॉ. सिंह ने भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर के रूप में कार्य किया और बाद में पीवी नरसिम्हा राव सरकार के वित्त मंत्री के रूप में भारत के आर्थिक सुधारों की अगुआई की. उनके नेतृत्व में भारत ने कई महत्वपूर्ण आर्थिक सुधार किए, जिनसे देश की आर्थिक स्थिति को मजबूती मिली. वे भारत के पहले प्रधानमंत्री थे जिन्होंने 10 साल तक सत्ता में रहने के बावजूद एक विवादित और संघर्षपूर्ण राजनीति के बीच अपनी कड़ी मेहनत और कार्यशीलता के साथ एक स्थिर सरकार का नेतृत्व किया.
-भारत एक्सप्रेस
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