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पति ने मृतक पत्नी को दिलाया हक, जानें कैसे जीता 12.52 लाख का केस

इंश्योरेंस लेते समय तो कंपनियां या उनके एजेंट ज्यादा जानकारी नहीं देते हैं लेकिन खुदा न खास्ता कभी इंश्योरेंस क्लेम करने की बात आ जाए तो ये कंपनी वाले इतने ज्यादा रूल्स और रेगुलेशन में फंसा देते हैं कि क्लेम करने वालों के लिए अपने हक का पैसा लेना भी लगभग मुश्किल हो जाता है. ऐसा ही एक मामला नेशनल कंज्यूमर डिस्प्यूट रिड्रेसल कमीशन ने 27 दिसंबर को हल किया है. साथ ही 14 साल से चल रहे ट्रैवल इंश्योरेंस केस क्लेम का फैसला दिया है. इसमें कंपनी को क्लेम की राशि चुनने का आदेश दिया गया है. यह राशि अरुणा वैश्य के पति को मिलेगी. NCDRC ने कहा है कि बजाज आलियांज जनरल इंश्योरेंस अरुणा वैश्य को 20,000 और साथ में ब्याज की भरपाई करेगी.

हालांकि, केस 15,000 डॉलर यानी 12.52 लाख के क्लेम से जुड़ा था. बता दें कि कंपनी और पॉलिसी होल्डर के बीच इस केस की लड़ाई 28 जुलाई 2009 से शुरू हुई, जब इंश्योरेंस कंपनी द्वारा विदेशी यात्रा बीमा का दावा खारिज कर दिया गया था. बीमा का क्लेम रिजेक्ट होने के बाद अरुणा वैश्य ने बीमा लोकपाल के पास शिकायत दर्ज की थी. बीमा लोकपाल ने 12 अक्टूबर, 2011 को एक पत्र के माध्यम से कहा कि उनका दावा उनके अधिकार क्षेत्र से बाहर है. उसके बाद वह राज्य उपभोक्ता फोरम और फिर एनसीडीआरसी में अपना मामला लड़ने गईं.

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उनकी केस लड़ने के दौरान मृत्यु हो गई. इसलिए पति दीपक चंद्र वैश्य उनकी ओर से बीमा कंपनी के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे थे. अरुणा वैश्य ने बजाज आलियांज जनरल इंश्योरेंस से एक विदेशी यात्रा बीमा पॉलिसी ली, जो 19 जून, 2009 से 16 अक्टूबर, 2009 तक वैध थी. इस पॉलिसी को खरीदने के लिए, श्रीमती अरुणा वैश्य ने प्रीमियम के रूप में 16,001 रुपये का भुगतान किया था.

जानकारी के मुताबिक 29 जून 2009 को अरुणा वैश्य को कमजोरी और कम ब्लड प्रेशर के समाधान के लिए अमेरिका के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया था. इसके बाद इलाज के दौरान डॉक्टरों को पता चला कि उन्हें यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन (यूटीआई) और सेप्सिस है. इलाज होने और अस्पताल से छुट्टी मिलने के बाद, उन्होंने बीमा के लिए क्लेम किया. कंपनी ने उनसे क्लेम से दस्तावेज मांगे. दस्तावेज़ जमा करने के बाद 28 जुलाई 2009 को दावा खारिज कर दिया गया.

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बजाज आलियांज जनरल इंश्योरेंस द्वारा शिकायतकर्ता को बीमा रिजेक्ट करने का कारण यह बताया गया कि कथित तौर पर अपनी पहले से मौजूद बीमारियों का खुलासा नहीं किया गया था, जो बीमा पॉलिसी की शर्तों का उल्लंघन है. इस कारण के जवाब में शिकायतकर्ता ने कहा कि उसे विदेशी यात्रा बीमा पॉलिसी की खरीद के दौरान किसी भी चिकित्सा स्थिति का खुलासा करने के लिए कोई फॉर्म भरने के लिए नहीं कहा गया था.

-भारत एक्सप्रेस

कृष्णा बाजपेई

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