भारत के विदेश राज्य मंत्री और संसदीय मामलों के राज्य मंत्री वी. मुरलीधरन ने सऊदी अरब के साथ भारत के आर्थिक संबंधों को और ज्यादा तरजीह देने पर बल दिया है. उन्होंने कहा कि सऊदी अरब के साथ भारत के आर्थिक संबंध ऊर्जा साझेदारी से बढ़कर मल्टीलेयर सहयोग में तब्दील हो चुके हैं.”
मंगलवार को रियाद में एक साक्षात्कार के दौरान अरब समाचार से बात करते हुए वी. मुरलीधरन ने कहा, “हमारे द्विपक्षीय व्यापार में पिछले कुछ वर्षों में महत्वपूर्ण वृद्धि देखी गई है और यह पिछले वित्त वर्ष में $50 बिलियन से अधिक हो गया है. भारत और सऊदी अरब दोनों अच्छी विकास दर वाली जीवंत अर्थव्यवस्थाएं हैं और आने वाले वर्षों में उनके व्यापार जुड़ाव बढ़ने के लिए बाध्य हैं.
गौरतलब है कि भारत में सऊदी प्रत्यक्ष निवेश का लागत लगभग 3 बिलियन डॉलर है. उन्होंने कहा कि दोनों देश “वित्त, आईटी, निर्माण और रसद में आपसी सहयोग को और ज्यादा पुख्ता करने पर जोर दे रहे हैं. भारत सरकार सऊदी अरब के साथ साझेदारी को मजबूत करने की इच्छुक है, जिसे मुरलीधरन ने 3T – “Trade, Tourism,Technology” के रूप में वर्णित किया है. उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था और निवेश समिति के तहत चार संयुक्त कार्य समूह – कृषि और खाद्य सुरक्षा, ऊर्जा, प्रौद्योगिकी और सूचना प्रौद्योगिकी, और उद्योग और आधारभूत संरचना – सभी बारीकी से शामिल हैं.
मुरलीधन ने कहा कि भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में से एक है. भारत की अर्थव्यवस्था दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने के क्रम में पिछले साल यूके से आगे निकल गई. इस विकास दर के साथ, यह 2047 तक $40-ट्रिलियन अर्थव्यवस्था बनने का अनुमान है जो भारत की स्वतंत्रता की शताब्दी के साथ मेल खाता है.
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