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700 मिलियन डॉलर के भारत-वियतनाम BrahMos सौदे से रक्षा निर्यात को बढ़ावा मिला, इस साझेदारी के बारे में जानें

इंडो-पैसिफिक क्षेत्र की तेजी से बदलती गतिशीलता में भारत की ब्रह्मोस मिसाइल प्रणाली सटीकता, शक्ति और साझेदारी के प्रतीक के रूप में उभरी है. वियतनाम द्वारा सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल खरीदने के लिए 700 मिलियन डॉलर के सौदे पर हस्ताक्षर करने के साथ भारत-वियतनाम रक्षा संबंधों में एक नए अध्याय की शुरुआत हो गई है.

300 किलोमीटर की रेंज

भारत की ब्रह्मपुत्र नदी और रूस की मोस्कवा नदी के नाम पर बनी ब्रह्मोस मिसाइल 1998 में स्थापित ब्रह्मोस एयरोस्पेस की संयुक्त रचना है. मैक 3 तक की गति तक पहुंचने में सक्षम सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल के साथ यह बेजोड़ सटीकता, 300 किलोमीटर की रेंज (उन्नत संस्करणों में विस्तार योग्य) और जमीन, समुद्र या हवा से लॉन्च किए जाने की बहुमुखी प्रतिभा का दावा करता है.

रक्षा निर्यात की पहचान बना

अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में 2017 के परीक्षण के दौरान ब्रह्मोस मिसाइल ने अपनी विश्वसनीयता अर्जित की. मिसाइल ने जमीन पर आधारित लांचर से समुद्र में एक गतिशील लक्ष्य को बिना किसी बाधा के मारा, जिससे दुनिया की सबसे सटीक क्रूज मिसाइलों में से एक होने का दावा मजबूत हुआ. मिसाइल की परिचालन सफलता और अनुकूलनशीलता ने इसे भारत के रक्षा निर्यात की पहचान बना दिया है, जो न केवल सैन्य कौशल बल्कि रणनीतिक गठबंधनों का भी प्रतिनिधित्व करता है.

ब्रह्मोस में वियतनाम की दिलचस्पी

ब्रह्मोस में वियतनाम की दिलचस्पी कोई नई बात नहीं है. दोनों देशों के बीच ऐतिहासिक दोस्ती है, जो आपसी सम्मान और क्षेत्रीय सुरक्षा को लेकर साझा चिंताओं पर आधारित है. फिलीपींस 2022 में 375 मिलियन डॉलर के सौदे में ब्रह्मोस खरीदने वाला पहला देश बना था. अब वियतनाम का अधिग्रहण भारतीय रक्षा क्षमताओं में उसके बढ़ते भरोसे को दर्शाता है.

कथित तौर पर 700 मिलियन डॉलर के इस सौदे में वियतनाम की सेना को अपनी समुद्री रक्षा को मजबूत करने के लिए इस अत्याधुनिक मिसाइल से लैस करना शामिल है. दक्षिण चीन सागर में, जहां क्षेत्रीय विवाद व्याप्त हैं, ब्रह्मोस वियतनाम को एक महत्वपूर्ण रणनीतिक बढ़त प्रदान करता है.

भारत विश्वसनीय रक्षा निर्यातक

ब्रह्मोस सिर्फ रक्षा के बारे में नहीं है; यह भू-राजनीतिक खेल-परिवर्तक है. मिसाइल का निर्यात करके भारत क्षेत्रीय खतरों का मुकाबला करने और दक्षिण-पूर्व एशिया में प्रमुख भागीदारों के साथ संबंधों को गहरा करने के अपने इरादे का संकेत देता है. इस सौदे से वियतनाम ब्रह्मोस का दूसरा अंतरराष्ट्रीय ऑपरेटर बन गया है, लेकिन इंडोनेशिया जैसे अन्य देश कथित तौर पर इस सूची में शामिल होने में रुचि दिखा रहे हैं.

यह सौदा एक विश्वसनीय रक्षा निर्यातक के रूप में भारत की बढ़ती प्रतिष्ठा को भी दर्शाता है. आयात पर दशकों की निर्भरता के बाद देश अपने मेक इन इंडिया पहल के सहारे वैश्विक हथियार बाजार में अपनी जगह बना रहा है.

-भारत एक्सप्रेस

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