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India vs Bharat Controversy: ‘इंडिया’ या ‘भारत’ पर मचा सियासी घमासान, क्या है मोदी सरकार का प्लान?

India vs Bharat Controversy: देश का नाम INDIA या भारत इसको लेकर इनदिनों सियासी गलियारों में बवाल मचा हुआ है. आधिकारिक G20 शिखर सम्मेलन के निमंत्रणों पर पारंपरिक ‘INDIA के राष्ट्रपति’ के बजाय ‘भारत के राष्ट्रपति’ के उपयोग ने तो हलचल और बढ़ा दी है. संसद के विशेष सत्र से कुछ दिन पहले उठाए गए इस कदम ने राजनीतिक तापमान बढ़ा दिया है. अब तो देश के नाम को भारत करने की भी अटकलें हैं.

भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा ने बुधवार रात प्रधानमंत्री की इंडोनेशिया यात्रा पर एक दस्तावेज़ भी साझा किया. जिसमें भारत का प्रधानमंत्री लिखा गया था. 9 और 10 सितंबर को जी20 शिखर सम्मेलन में भारतीय अधिकारियों के पहचान पत्र पर भी अब ‘भारत-आधिकारिक’ लिखा होगा. इन अटकलों के बीच कि केंद्र सरकार देश का नाम इंडिया से ‘भारत’ करने का प्रस्ताव लाने की योजना बना रही है, केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने स्पष्ट किया है कि ये सिर्फ “अफवाहें” हैं. अनुराग ठाकुर ने कहा कि सरकार विशेष सत्र के दौरान ऐसा कुछ भी नहीं करने जा रही है. इस बीच पीएम मोदी ने भी पार्टी के सदस्यों और मंत्रियों को इस विषय पर बातचीत करने से बचने की सलाह दी है. पीएम मोदी ने साफ-साफ हिदायत दी है कि पार्टी के प्रवक्ता ही भारत और इंडिया विषय पर बोलेंगे.

विपक्षी दलों का क्या कहना है?

विपक्षी दलों का गठबंधन INDIA ने ये आरोप लगाया है कि केंद्र सरकार देश के नाम के तौर पर ‘INDIA’ शब्द का इस्तेमाल बंद कर रही है. विपक्षी दलों का कहना है कि सरकार अब देश का नाम भारत करने की योजना बना रही है. हालांकि, केंद्र सरकार की ओर से आधिकारिक तौर पर अभी तक ऐसा कुछ भी नहीं कहा गया है. केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने भी अपना निमंत्रण पत्र एक्स पर डाला जिसमें ‘प्रेसीडेंट ऑफ़ भारत’ लिखा हुआ था.

INDIA बनाम भारत का विवाद कब शुरू हुआ?

बता दें कि 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव में केंद्र से मोदी सरकार को बेदखल करने के लिए बेंगलुरु में हुई विपक्षी एकता की बैठक में 26 दल शामिल हुए थे. इस बैठक में आगे की रणनीति पर चर्चा हुई. नीतीश कुमार से लेकर शरद पवार, केजरीवाल से लेकर लालू यादव तक बैठक में शामिल हुए. सर्वसम्मति से विपक्षी गठबंधन का नाम INDIA रखा गया. जैसे ही गठबंधन का नाम इंडिया पड़ा. भाजपा ने तमाम विपक्षी दलों को घेरना शुरू कर दिया. यहां तक की इस बैठक में शामिल 26 पार्टियों के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई गई है. शिकायत के अनुसार,गठबंधन की तरफ से नाम INDIA रखना एंबलम एक्ट 2022 का उल्लंघन है. इस एक्ट के तहत कोई भी इंडिया नाम अपने निजी फायदे के लिए इस्तेमाल नहीं कर सकता, इससे लोगों की भावना आहत हुई है.

यह भी पढ़ें: G20 Summit: रूस की चेतावनी, पश्चिमी देशों की ‘चाल’ और डिप्लोमैटिक बैलेंस की भारत की कोशिश!

संविधान वाला ‘भारत’

“भारत” शब्द की जड़ें पुराणों और महाभारत के प्राचीन ग्रंथों में खोजी जा सकती हैं. स्वतंत्रता के बाद, संविधान बनाने वाले लोगों ने अनुच्छेद 1 में इंडिया और भारत दोनों को शामिल करते हुए कहा, “इंडिया, जो कि भारत है, राज्यों का एक संघ होगा”. संविधान में आज भी दोनों शब्दों का उपयोग मिलता है. संविधान सभा की बहस के दौरान ‘भारत’ और ‘इंडिया’ के इस्तेमाल पर विस्तार से चर्चा हुई थी.

24 जनवरी, 1950 को भारत के संविधान पर हस्ताक्षर किए जाने से कुछ महीने पहले, 17 सितंबर, 1949 को एक बहस के दौरान, मसौदा समिति के अध्यक्ष डॉ. बीआर अंबेडकर ने उप-खंड 1 में शामिल करने के लिए अनुच्छेद 1 में संशोधन का प्रस्ताव रखा, “इंडिया अर्थात् भारत राज्यों का एक संघ होगा.” हालांकि, अन्य सदस्यों ने चर्चा की मांग की और अगले दिन तक के लिए स्थगन का प्रस्ताव रखा. अगले दिन इस पर सर्वसम्मति से फैसला कर लिया गया.

हमारे देश का यह नाम कैसे पड़ा?

प्राचीन ग्रंथों में देश के अलग-अलग नाम लिखे गए- जैसे जम्बूद्वीप, भारतखंड, हिमवर्ष, अजनाभ वर्ष, आर्यावर्त तो वहीं अपने-अपने जमाने के इतिहासकारों ने हिन्दुस्तान, भारत वर्ष आदि नाम दिए. लेकिन, देश के नाम को लेकर चल रहे तमाम विवादों के बीच क्या आप जानते हैं कि हमारे देश का यह नाम कैसे पड़ा? अगर नहीं तो आइये हम विस्तार से बताते हैं. दरअसल, INDIA-भारत”, “भरत” या “भारतवर्ष” की जड़ें पौराणिक साहित्य और महाभारत तक जाती हैं. पुराणों के अनुसार, भारत “दक्षिण में समुद्र और उत्तर में बर्फ की परत” के बीच की जमीन है. भरत पौराणिक कथाओं के प्राचीन राजा का नाम भी है. भरत ऋग्वैदिक जनजाति के पूर्वज थे. ऐसा माना जाता है कि हिंदुस्तान नाम ‘हिंदू’ से आया है. मुगल साम्राज्य के शासनकाल के दौरान भी, भारत को ‘हिंदुस्तान’ के नाम से जाना जाता था, लेकिन ब्रिटिश उपनिवेशों के सत्ता में आने के बाद, हिंदुस्तान धीरे-धीरे भारत के रूप में लोकप्रिय हो गया.

-भारत एक्सप्रेस

 

Rakesh Kumar

Sr. Sub-Editor

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