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जामिया मिल्लिया इस्लामिया के छात्र संगठन ने किया Waqf Bill का समर्थन, कहा- यह गरीब मुसलमानों के लिए वरदान बनेगा

जामिया मिल्लिया इस्लामिया के छात्र संगठन ‘शहर-ए-आरज़ू’ ने संसद में पारित वक्फ (संशोधन) विधेयक 2025 का खुलकर समर्थन किया है. शुक्रवार को जामिया परिसर में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में संगठन के सदस्यों ने इस विधेयक को मुस्लिम समुदाय, खासकर गरीबों, महिलाओं और समाज के कमजोर वर्गों के लिए लाभकारी बताया. उनका कहना है कि यह विधेयक वक्फ संपत्तियों के दशकों से चले आ रहे दुरुपयोग पर लगाम लगाएगा और इनके प्रबंधन में पारदर्शिता लाएगा, जिससे समुदाय का व्यापक कल्याण संभव होगा.

वक्फ संपत्तियों की बदहाली पर चिंता

प्रेस कॉन्फ्रेंस में संगठन के प्रतिनिधियों ने वक्फ संपत्तियों की मौजूदा स्थिति पर गहरी चिंता जताई. ‘शहर-ए-आरज़ू’ के सदस्य बज़मी ख़ान ने कहा, “भारत में अरबों रुपये की वक्फ संपत्तियां मौजूद हैं, लेकिन इसके बावजूद मुस्लिम समुदाय की हालत बेहद खराब है. सच्चर कमेटी और रंगनाथ मिश्रा आयोग की रिपोर्टें बताती हैं कि आज़ादी के 75 साल बाद भी मुसलमानों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति दलितों से नीचे है. अगर इन संपत्तियों का सही इस्तेमाल हुआ होता, तो आज देश में मुस्लिम समुदाय के लिए बेहतरीन स्कूल, कॉलेज, अस्पताल और अन्य सुविधाएं होतीं.”

उन्होंने आगे कहा कि इस विधेयक के ज़रिए वक्फ संपत्तियों का प्रबंधन व्यवस्थित होगा और इसका लाभ सीधे ज़रूरतमंद लोगों तक पहुंचेगा. संगठन का मानना है कि विधेयक का विरोध करने वाले वे लोग हैं जो इन संपत्तियों पर अवैध कब्ज़ा किए हुए हैं और पारदर्शिता से डरते हैं.

विधेयक से मुस्लिम समुदाय को होने वाले फायदे

संगठन की सदस्य नाज़नीन फ़ातिमा ने विधेयक के संभावित लाभों को विस्तार से बताया. उन्होंने कबताया कि इस विधेयक से मुस्लिम समुदाय को कई फायदे होंगे, जैसे:

  • शिक्षा और कौशल विकास: मुस्लिम लड़कियों के लिए छात्रवृत्तियां, महिलाओं के लिए कौशल प्रशिक्षण और उद्यमिता को बढ़ावा देने वाली योजनाएं शुरू की जाएंगी.
  • महिला सशक्तिकरण: स्वास्थ्य सुविधाओं, मातृत्व कल्याण और विधवा पेंशन जैसे कार्यक्रमों से महिलाओं की स्थिति में सुधार होगा.
  • गरीबी उन्मूलन: वक्फ संपत्तियों से होने वाली आय का उपयोग गरीब मुसलमानों के उत्थान के लिए किया जाएगा.
  • पारदर्शी व्यवस्था: भ्रष्टाचार पर रोक लगाने के लिए वक्फ प्रबंधन में जवाबदेही सुनिश्चित की जाएगी.

विधेयक के मुख्य प्रावधान

‘शहर-ए-आरज़ू’ के सदस्य शहज़ान असगर ने विधेयक के महत्वपूर्ण प्रावधानों को विस्तार से समझाया. उनके अनुसार, यह विधेयक वक्फ प्रणाली में क्रांतिकारी बदलाव लाने के लिए तैयार किया गया है. इसके कुछ अहम प्रावधान इस प्रकार हैं:

  • समावेशी प्रतिनिधित्व: केंद्रीय वक्फ परिषद और राज्य वक्फ बोर्डों में विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञों को शामिल किया गया है.
  • महिलाओं की भागीदारी: बोर्डों में मुस्लिम महिलाओं की न्यूनतम संख्या सुनिश्चित की गई है.
  • संपत्ति प्रबंधन में सुधार: सर्वेक्षण आयुक्त की जगह योग्य अधिकारियों की नियुक्ति होगी, जिससे संपत्तियों का प्रबंधन पारदर्शी होगा.
  • न्यायिक अपील का अधिकार: वक्फ ट्रिब्यूनल के फैसलों के खिलाफ 90 दिनों के भीतर हाईकोर्ट में अपील की जा सकेगी.
  • महिला उत्तराधिकारियों के हक: संपत्तियों में महिलाओं के अधिकारों की रक्षा की जाएगी.
  • डिजिटल सुधार: वक्फ संपत्तियों के पंजीकरण और ऑडिट के लिए एक केंद्रीय पोर्टल और डेटाबेस बनाया जाएगा.

समुदाय से सहयोग की अपील

प्रेस कॉन्फ्रेंस में संगठन के सदस्यों- बज़मी ख़ान, नाज़नीन फ़ातिमा, शहज़ान असग़र, मोहम्मद आसिफ़, ज़ोया और अमन ने मुस्लिम समुदाय से इस विधेयक का स्वागत करने और इसके कार्यान्वयन में सहयोग करने की अपील की. उन्होंने कहा कि यह विधेयक मुस्लिम समाज के लिए एक सुनहरा अवसर है, जिसके जरिए वक्फ संपत्तियों का सही उपयोग सुनिश्चित होगा और समुदाय की शैक्षिक, आर्थिक और सामाजिक प्रगति होगी.

संगठन ने केंद्र सरकार से आग्रह किया कि विधेयक के प्रावधानों को जल्द से जल्द लागू किया जाए और वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन के लिए एक प्रभावी निगरानी तंत्र स्थापित किया जाए. ‘शहर-ए-आरज़ू’ का कहना है कि बिना सख्ती के यह विधेयक अपने उद्देश्य में पूरी तरह सफल नहीं हो पाएगा.


ये भी पढ़ें- वक्फ संशोधन विधेयक 2024-2025 से वक्फ संपत्तियों पर माफिया का कब्जा हुआ खत्म: मुस्लिम राष्ट्रीय मंच


-भारत एक्सप्रेस

Prashant Rai

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